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“रानी लक्ष्मीबाई केवल इतिहास नहीं, हम सबकी प्ररेणा–शक्ति हैं” : कुलपति रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय में ‘एक शाम–रानी के नाम’ कार्यक्रम भव्य रूप से सम्पन्न

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झाँसी। वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की 197वीं जयंती के अवसर पर रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय में बुधवार की शाम देशभक्ति और सांस्कृतिक गरिमा से ओत-प्रोत भव्य कार्यक्रम “एक शाम–रानी के नाम” का आयोजन किया गया। कुलपति प्रो. (डॉ.) अशोक कुमार सिंह ने विश्वविद्यालय अधिकारियों के साथ रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन कर वीरांगना को नमन किया।

फूड फेस्ट का आकर्षण— छात्राओं ने परोसे विविध व्यंजन

विश्वविद्यालय की छात्राओं द्वारा तैयार फूड फेस्ट ने कार्यक्रम में विशेष उत्साह भर दिया। कुलपति ने फीता काटकर इसका शुभारम्भ किया। छात्राओं ने विभिन्न प्रदेशों के व्यंजन जैसे— चॉकलेट बॉल्स, आलू कचालू स्नैक्स, गाजर का हलवा, राजस्थानी भेल, दही पूरी, गुलाब जामुन, बिसिबड़े भात, पापड़ी चाट, शाही टुकड़ा और लिट्टी-चोखा प्रस्तुत किए। विश्वविद्यालय के अधिकारियों, वैज्ञानिकों और विद्यार्थियों ने इन व्यंजनों की खरीदी कर छात्राओं का उत्साहवर्धन किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. (डॉ.) अशोक कुमार सिंह ने कहा कि
“रानी लक्ष्मीबाई केवल इतिहास की वीरांगना नहीं, बल्कि जीवंत प्रेरणा हैं। उनका शौर्य, नेतृत्व और मातृभूमि के प्रति निष्ठा हमें कठिन परिस्थितियों में भी कर्तव्यपथ पर डटे रहने का संदेश देती है। विश्वविद्यालय उनके आदर्शों पर चलते हुए शिक्षा, शोध और नवाचार में उत्कृष्टता स्थापित कर रहा है।”

काव्य–गंगा से सभागार गुंजायमान

विशिष्ट अतिथि प्रख्यात कवि सुमित ओरछा ने रानी के अदम्य साहस पर केंद्रित मार्मिक पंक्तियों से माहौल भाव-विभोर कर दिया—
“लक्ष्मीबाई रानी नहीं थीं, वो तो स्वयं भवानी थी…
भारत माता दिखती है मुझे झाँसी वाली रानी में…”

कवि हितेश बिस्वा ने बुंदेलखंड की मिट्टी की महक लिए ओजपूर्ण कविता से सभागार में देशभक्ति का संचार किया—
“जहाँ फिरंगी टिके नहीं, उस मातृभूमि का जाया हूँ…
इस पर मैं गर्वित होता हूँ, मैं झाँसी से आया हूँ…”

सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ बनी आकर्षण का केंद्र

छात्रों ने नृत्य, नाटक, देशभक्ति गीत और रानी के जीवन पर आधारित मंचन पेश कर उपस्थित जनसमूह को रानी के गौरवशाली इतिहास से जोड़ने का अविस्मरणीय अवसर दिया।

निदेशक शिक्षा डॉ. अनिल कुमार ने कहा कि
“रानी लक्ष्मीबाई का साहस संपूर्ण भारत की आत्मा में दर्ज है। उनका संघर्ष हमें संविधानिक मूल्यों और स्वतंत्रता की रक्षा का संदेश देता है।”
उन्होंने रानी को नारी शक्ति, नेतृत्व और राष्ट्रधर्म का सर्वोत्तम प्रतीक बताया।

कार्यक्रम में गरिमा और उत्साह की झलक

विश्वविद्यालय के विभिन्न महाविद्यालयों के अधिष्ठाता, निदेशक, संकाय सदस्य, गैर-शिक्षण कर्मचारी एवं बड़ी संख्या में छात्र उपस्थित रहे।

“एक शाम–रानी के नाम”: राष्ट्रभक्ति और नारी–शक्ति का अद्भुत संगम

यह कार्यक्रम केवल सांस्कृतिक आयोजन नहीं, बल्कि देशभक्ति, ऐतिहासिक चेतना और नारी–शक्ति को समर्पित प्रेरणादायी संध्या रही, जिसने युवाओं में कर्तव्यनिष्ठा और राष्ट्रप्रेम की भावना को और भी सुदृढ़ किया। इस अवसर पर
विश्वविद्यालय के विभिन्न महाविद्यालयों के अधिष्ठाता, निदेशक, संकाय सदस्य, गैर-शिक्षण कर्मचारी एवं बड़ी संख्या में छात्र उपस्थित रहे।
संचालन डॉ आर्तिका सिंह एवं सभी लोगों का आभार डॉ जितेन्द्र तिवारी ने व्यक्त किया।
रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा

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