झांसी। उत्तानपाद, सुरुचि और सुनीति यह तीन पात्र हर मनुष्य के जीवन में होते हैं मां के गर्भ में हर व्यक्ति उत्तानपद होता है सर नीचे और पैर ऊपर,सुनीति जब भी मनुष्य कोई गलत कार्य करना चाहता है तो अंदर से एक शक्ति उसे रोकती है यही सुनीति है, लेकिन हर जगह सुरुचि हावी होती है और व्यक्ति अपनी मनमानी करता है अर्थात गलत कार्य करता है, कहां मिलेगा और 1 दिन ऐसा आता है सुनीती पर चलने वाला व्यक्ति दृढ़ता प्राप्त करता है और सुरुचि पर चलने वाला अर्थात मनमर्जी करने वाला अपना सब कुछ खो देता है, सुनीति पर चलने वाले व्यक्ति का आत्मबल बहुत बड़ा होता है बिना दीक्षा के सरकार व्यर्थ होता है अतः मनुष्य को किसी सद्गुरु की दीक्षा अवश्य लेनी चाहिए भजन में मंत्र विधि स्थल बहुत आवश्यक है तीनों से भजन सिद्ध होता है अथरवाना सिद्धि प्राप्त करने के बाद बताए हुए सतगुरु के भजन को अवश्य करें सारे कार्य अपने आप सिद्ध होते जाएंगे महाराज ने भगवान अवतार मत्स्य अवतार श्री राम अवतार कृष्ण अवतार की कथा का वर्णन किया इस अवसर पर मुख्य यजमान अर्चना प्रमोद द्विवेदी राष्ट्रभक्त संगठन के केंद्रीय अध्यक्ष अंचल अरजरिया, रामकुमार शुक्ला, आरके सहारिया, सरजू, प्रसून तिवारी, प्रशांत, दीदी कन्हैया कपूर, वंदना अवस्थी, मंजू, उषा, राधा आदि भक्त उपस्थित रहे।
रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा






