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पोस्को एक्ट की अदालत के ऐतिहासिक फैसला, पिता पर चलेगा पुत्री की हत्या का मुकदमा, सरकार से मिली राशि वसूली करने के आदेश

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झांसी। पोस्को एक्ट की अदालत ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए न्यायपालिका पर जनता का फिर विश्वास जीता है। झांसी की पोस्को एक्ट की अदालत ने एक ऐसे पिता के खिलाफ उसकी ही पुत्री की हत्या कर मुकदमा पुलिस को दर्ज करने के साथ न्यायालय में मिथ्या साक्ष्य देने के आरोप में जबाव तलब भी किया। साथ ही पिता द्वारा लिखाई गई एफआईआर में बने अभियुक्तों को दोष मुक्त करते हुए राहत की सांस की दी है। यह आदेश विशेष न्यायधीश पोस्को एक्ट मोहम्मद नेयाज अहमद अंसारी की अदालत ने दिया है। अभियोजन की ओर से पैरवी कर रहे विशेष शासकीय अधिवक्ता विजय सिंह कुशवाह ने जानकारी देते हुए बताया कि बड़ागांव के हाजीपुरा निवासी एक दलित व्यक्ति ने गांव के युवक आकाश उर्फ कल्लू पांडे ओर अंकित मिश्रा 9 जुलाई 2002 से उसकी नाबालिग पुत्री को रास्ते में आते जाते समय छेड़खानी करते थे। जब उसकी पुत्री बालिग हो गई तब भी तब भी अंकित मिश्रा ओर आकाश उर्फ कल्लू पांडे उसकी पुत्री को लगातार प्रताड़ित करते थे। यह बात उसकी पुत्री ने उसकी पत्नी को बताई थी। कई बार पुलिस में शिकायत की लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। एफआईआर में बताया गया कि 8 जून 2018 को शाम जब कोई घर पर नहीं था उसी समय उसकी पुत्री ने आकाश उर्फ कल्लू पांडे, अंकित मिश्रा से परेशान प्रताड़ित होकर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। न्यायालय के आदेश पर बड़ागांव पुलिस ने मुकदमा दर्ज करते हुए बयानों के आधार पर दोनों युवकों को जेल भेजते हुए न्यायलय में आरोप पत्र दाखिल कर दिया था। इस मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया कि अभियुक्तों के खिलाफ मुकदमा वादी कोई साक्ष्य ऐसा प्रस्तुत नहीं कर सका। जिससे दोनों आरोपियों पर न्यायालय ने दोष मुक्त करते हुए पाया कि मृतिका के पोस्टमार्टम रिपोर्ट में। कई जगह चोट के निशान पाए गए। घटना से प्रतीत होता है कही न कही मुकदमा वादी ने अपनी पुत्री की हत्या कर विपक्षियों को फसाने के लिए फांसी लगाकर आत्महत्या करने की घटना बनाई है। न्यायालय ने थाना बड़ागांव पुलिस को निर्देशित किया है कि वह वादी मुकदमा के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर। विवेचना करते हुए आख्या से न्यायालय को अवगत कराए साथ ही जिलाधिकारी को निर्देशित किया गया कि वादी मुकदमा द्वारा दलित उत्पीड़न की सरकार से ली गई राहत राशि राजस्व विभाग की टीम बनाकर वसूली कर कोष में जमा कराए साथ ही मुकदमा वादी द्वारा न्यायालय में मिथ्या साक्ष्य प्रस्तुत करने पर क्यों न उसे दंडित किया जाए यह नोटिस भी मुकदमा वादी को जारी किया है। पोस्को एक्ट की अदालत द्वारा जारी आदेश झांसी का ऐतिहासिक आदेश है, जिसने निर्दोष लोगों को न्याय पालिका पर भरोसा दिलाया है।

रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा

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