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जिला प्रशासन के सतत प्रयासों से जनपद में खनन सम्बन्धी कार्यों में पारदर्शिता आयी:जिलाधिकारी किसी भी दशा में ओवरलोडिंग न हो, यह नियम विरुद्ध और दुर्घटनाओं का कारक है, इस दिशा में सख्ती की जाए

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झांसी। जिलाधिकारी श्री रविंद्र कुमार ने भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग के कार्यों की समीक्षा करते हुए कहा कि जिला प्रशासन के सतत प्रयासों से जनपद में खनन सम्बन्धी कार्यों में पारदर्शिता आयी है। आमजन, पट्टाधारक एवं ट्रांसपोर्टरों सहित सभी की सुविधा का ध्यान रखते हुए अनेक अभिनव प्रयास किये गये हैं। उन्होंने निर्देशित किया कि खनन कार्य से जुड़े सभी हितधारकों के लिए पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित किया जाए। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि खनिजों तथा उपखनिजों के मूल्य नियंत्रण में रहें। जिलाधिकारी ने कहा कि बालू, मोरम, गिट्टी जैसे उपखनिजों का आम आदमी से सीधा जुड़ाव है। इनकी कीमतों में अनावश्यक बढ़ोतरी न हो। विभिन्न विकास परियोजनाएं भी इससे प्रभावित होती हैं। ऐसे में उपखनिजों का कृत्रिम अभाव पैदा करने वाले काला बाजारियों के खिलाफ विधिक कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन के निरन्तर प्रयासों से वित्तीय वर्ष 2022-23 में गत वर्ष की तुलना में माह जून तक 13.8 करोड़ रुपये से अधिक राजस्व की प्राप्ति हुई है। यह प्रगति संतोषजनक है। चालू वित्तीय वर्ष के लिए खनन कार्यों से 340.00 करोड़ रुपये राजस्व संग्रह का लक्ष्य है। इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए प्रभावी प्रयास लगातार किए जाएं। उन्होंने कहा कि इंटीग्रेटेड माइनिंग सर्विलांस के माध्यम से खनन क्षेत्रों की जीयो फेंसिंग, खनिज परिवहन करने वाले वाहनों पर माइन टैग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित चेक गेट की व्यवस्था, खनन कार्यों को और पारदर्शी बनाने वाली है। बेहतर खनिज प्रबन्धन के माध्यम से राजस्व संग्रह में वृद्धि हुई है। यह प्रयास आगे भी जारी रहना चाहिए। नदी तल स्थित बालू/मोरम आदि के खनन क्षेत्रों की सस्टेनेबिलिटी के लिए तकनीकी संस्थाओं से री-प्लेनिशमेन्ट स्टडी कराई जाए। इस कार्य के लिए भारत सरकार के उपक्रम CMPDIL जैसी प्रतिष्ठित संस्था का सहयोग लिया जाए। स्टडी रिपोर्ट के आधार पर ही भावी कार्य योजना तैयार की जाए।जिलाधिकारी ने कहा कि नदियों में बालू/मोरम की री-प्लेनिशमिन्ट कम होने के दृष्टिगत बड़े जलाशयों तथा बांधों की ड्रेजिंग कराने से प्रचुर मात्रा में बालू/मोरम उपलब्ध हो सकेगी। इस संबंध में समयबद्ध रूप से कार्यवाही की जाए। किसी भी दशा में ओवरलोडिंग न हो। यह नियम विरुद्ध भी है और दुर्घटनाओं का कारक भी बनता है। इस दिशा में सख्ती की जाए। उन्होंने कहा कि बालू/मोरम के विकल्प के रूप में M-SAND यानी पत्थरों की क्रशिंग से उत्पन्न कृत्रिम बालू को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हाल ही में प्रारंभ माइन मित्र पोर्टल पर पट्टाधारकों एवं ट्रांसपोर्टरों को भी लॉगिन-आईडी देकर खनिज व्यवस्था में स्टेक होल्डर बनाया जा रहा है। इससे न केवल सभी को सुविधा होगी, बल्कि व्यवस्था में पारदर्शिता भी बढ़ेगी। उन्होंने कहा माइन मित्र पोर्टल पर खनन विभाग की विभिन्न सेवाएं सहज रूप से उपलब्ध हैं। किसी को अपनी निजी भूमि से मिट्टी निकालनी हो, खरीदी गई मिट्टी का परिवहन करना हो, खनिज कार्यों के लिए लीज, परमिट, रजिस्ट्रेशन आदि को इस प्लेटफार्म से जोड़ा जाना लोगों के लिए काफी सुविधाजनक सिद्ध हो रहा है। विभागीय समीक्षा करते हुए उन्होंने कहा कि बालू/मोरम के खनन पट्टों में ऑनलाइन अग्रिम मासिक किश्त के स्थान पर “Pay as you go” व्यवस्था लागू करते हुए महीने के अंत तक पूरी किश्त जमा करने का समय दिया जाना चाहिये। इससे पट्टाधारकों को बड़ी सहूलियत होगी। उन्होंने कहा कि खनन कार्यों के संबंध में अंतर्राज्यीय परिवहन हेतु विनियमन शुल्क (ISTP) के दर में वृद्धि पर विचार किया जाए। वर्तमान में वर्ष 2016 से प्रभावी रॉयल्टी दर को पुनरीक्षित करने पर विचार किया जाए। इस सम्बन्ध में उन्होंने सभी स्टेकहोल्डर्स की राय भी लिए जाने का सुझाव दिया।

रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा

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