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सरकार के राजस्व का नुकसान के बाद भी व्यापारियों को महंगी मिली दुकानें

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झांसी। व्यापारियों की हितैषी मानी जानी वाली उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में पटाखा व्यापारियों का हुआ भारी नुकसान, एक तो महंगी आतिशबाजी दूसरा जन जागरूकता के चलते प्रदूषण मुक्त शहर बनाने को लोगों ने विस्फोटक आतिशबाजी से मुंह फेर लिया। लेकिन पटाखा व्यापारी खुद को सबसे ज्यादा आतिशबाजी बाजार का ठेका लेने वाले ठेकेदारों ने ठग लिया है। जिसके चलते आतिशबाजी बाजार के व्यापारियों का भारी नुकसान हुआ है। जबकि व्यापारियों को लाभ दिलाने के लिए सरकार के राजस्व का भारी नुकसान भी किया गया फिर भी व्यापारियों को पुराने कीमत में दुकानें देकर लूट लिया गया और ठेकेदारों ने अपनी बल्ले बल्ले कर ली।
हम बात कर रहे है जनपद झांसी के क्राफ्ट मेला मैदान में लगने वाले आतिशबाजी बाजार की। इस बाजार का ठेका लेने वाले ठेकेदारों को झांसी विकास प्राधिकरण के नियमों के मुताबिक चलना पड़ता है। जिसमें वर्ष 2024 में हुए आतिशबाजी बाजार का ठेका सात लाख 22 हजार साथ में जीएसटी अलग से हुआ था। इस वर्ष 2025 में ठेकेदारों ने पूल बनाकर निविदाएं डाली जिसमें एक ठेकेदार द्वारा ज्यादा राशि भरी गई जिस पर विकास प्राधिकरण द्वारा उस फर्म के नाम आतिशबाजी का बाजार तो कर दिया लेकिन तय समय पर रकम जमा नहीं होने पर उस फर्म का ठेका निरस्त करते हुए समय कम बचने पर नीलामी प्रक्रिया शुरू की गई। नीलामी प्रक्रिया में सभी ठेकेदार एक मत हो गए ओर सभी ने सात लाख बाइस हजार प्रतिदिन जेडीए को देने से इनकार कर दिया था। जेडीए सरकार के राजस्व में अधिक राशि आने का इंतजार में लगे थे। तभी बबीना निवासी मनीष साहू ने साढ़े दस बजे अटल एकता पार्क पहुंच कर डीडी जमा करते हुए नीलामी बोली में उपस्थित होकर सात लाख बाइस हजार से ऊपर बोली लगाने की बात कही। जिस पर जेडीए ने उन्हें बोली लगाने से मना करते हुए सीधे आधे दामों में सरकार के राजस्व में कटौती करते हुए पूल बनाए ठेकदारों के नाम पर दिया। विकास प्राधिकार का उद्देश्य था कि ठेका कम में दिया गया है तो आतिशबाजी बेचने वाले व्यापारियों को भी कम कीमत में दुकानें मिलेंगी। पूल बनाए ठेकदारों को ठेका मिलते ही उन्होंने आतिशबाजी की दुकानें पूर्व की तरह ही चालीस हजार रुपए से ऊपर की बेची। जिसमें किसी भी व्यापारी को पक्की रसीद नहीं दी गई। ठेका लेने वालों की मनमर्जी को देख व्यापारी यही कोसते नजर आए कि सरकार तो व्यापारियों की हितैषी है फिर ऐसे लोगों को कम कीमत में ठेका देकर उन्हीं के द्वारा की जा रही लूट खसोट पर लगाम क्यों नहीं। पटाखा बाजार का ठेका लेने वालों ने सरकार के राजस्व का नुकसान कराते हुए व्यापारियों को अपनी मन मर्जी से लूटा जिस ओर किसी भी प्रशासनिक अधिकारी ने ध्यान नहीं दिया।
रिपोर्ट -मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा

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