झांसी। नाबालिग का अपहरण कर बलात्कार करने का आरोप सिद्ध होने पर न्यायालय अपर सत्र न्यायधीश/विशेष न्यायधीश पोस्को एक्ट मोहम्मद नेयाज अहमद अंसारी की अदालत ने आरोपी को दस वर्ष का कारावास, 25 हजार रुपए अर्थदंड अदा करने का फैसला सुनाते हुए आरोपी को दलित उत्पीड़न के आरोप में बरी करते हुए जिलाधिकारी को निर्देश दिए है कि अगर पीड़िता ने अनुसूचित जाति अनुसूचित जन जाति अधिनियम एक्ट के तहत सरकार से धन राशि ली है, तो उसकी राजस्व विभाग से जांच कराकर उसकी वसूली करते हुए राजस्व कोश में जमा कराए। अभियोजन की ओर से पैरवी कर रहे विशेष शासकीय अधिवक्ता विजय सिंह कुशवाह ने जानकारी देते हुए बताया कि एक दलित व्यक्ति ने एरच थाना में रिपोर्ट दर्ज कराते हुए बताया था कि 20/21 जनवरी 2018 की रात को दबंग युवक शाहपुरा निवासी शत्रुघ्न उसकी पुत्री का अपहरण कर ले गया ओर उसके साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम देते हुए जाती सूचक शब्दों से अपमानित कर धमकाते हुए भाग गया। पुलिस ने आरोपी के विरुद्ध 363,366,376, पोस्को एक्ट सहित दलित उत्पीड़न की रिपोर्ट दर्ज कर आरोपी को जेल भेजकर न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल कर दिया था। इस मामले में सुनवाई करते हुए न्यायलय ने पाया कि वादी व पीड़िता के बयानों में कही भी जाती सूचक शब्दों से अपमानित करने का आरोप सिद्ध नहीं हुआ। इस पर न्यायालय ने आरोपी को दुष्कर्म की घटना में दस वर्ष का कारावास ओर पच्चीस हजार रुपए अर्थदंड अदा करने का फैसला सुनाया। साथ ही फैसला में बताया कि अर्थदंड अदा न करने पर दो माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। इसके अलावा न्यायालय ने जिलाधिकारी को निर्देशित किया है कि मुकदमे में कही दलित उत्पीड़न की बात सामने नहीं आई। अगर वादी ने दलित उत्पीड़न की सरकार से मिलने वाली धनराशि ली है, तो उसे राजस्व विभाग की टीम ने जांच कराकर उसकी वसूली करते हुए सरकार के राजस्व कोष में जमा कराए।
रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा






