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दीपांजलि एवं श्रृद्धांजलि देकर मनाया गया वीरांगना लक्ष्मी बाई का 196 वां जन्मदिवस मृत नवजातों को श्रृद्धांजलि एवं रानी को अर्पित की 196 दीपों से दीपांजलि

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झाँसी। आज मंगलवार को रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी के बहुद्धेशीय हॉल में वीरांगना महारानी लक्ष्मी बाई की जयंती सादगी एवं श्रृद्धाभाव से मनाई गयी। प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की अमर वीरांगना अप्रतिम शौर्य की प्रतिमूर्ति, नारी शक्ति और अस्मिता की प्रतीक महारानी लक्ष्मी बाई के नाम पर केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी का नाम रखा गया है। वीरांगना की पुण्य स्मृति में आज विवि में सादगी एवं श्रृद्धाभाव से रानी के जन्मदिवस मनाया गया। अध्यक्षता कुलपति डॉ. अशोक कुमार सिंह ने एवं विशिष्ट अतिथि प्राचार्य राजकीय महिला महाविद्यालय, झाँसी अनुभा श्रीवास्तव, कार्यक्रम संयोजक निदेशक शिक्षा डॉ. अनिल कुमार एवं विवि के सभी अधिकारियों ने रानी लक्ष्मी बाई की चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित एवं पुष्पांजलि कर कार्यक्रम का विधिवत शुभारम्भ किया। कुलपति डॉ. अशोक कुमार सिंह ने विशिष्ट अतिथि अनुभा श्रीवास्तव को स्मृति चिन्ह, विवि द्वारा निर्मित उत्पाद एवं शॉल देकर सम्मानित किया। अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति ने भावभीनी श्रृद्धांजलि अर्पित करते हुए सर्वप्रथम मेडीकल कॉलेज झाँसी में हुई दुर्भाग्य पूर्ण घटना अग्निकांड में 12 मृत नवजातों को श्रृद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि आज विवि में रानी लक्ष्मी बाई जी का जन्मदिवस व पखवाड़ा के अर्न्तगत जनजातीय गौरव दिवस, बिरसा मुण्डा के कार्यक्रम चल रहे हैं। यह सभी आयोजन सादगी एवं श्रृद्धभाव से मनाए जा रहे हैं। कुलपति ने डॉ. अशोक कुमार सिंह ने विद्यार्थियों से कहा कि बड़े गर्व की बात है कि वीरांगना रानी लक्ष्मी बाई का नाम आप सबके साथ हमेशा जुड़ा रहेगा। देश आज रानी के बलिदान को नमन कर रहा है। उन्होंने देश क्रान्ति में रानी लक्ष्मी बाई की वीरगाथा का वर्णन किया। विवि में चल रहे जनजातीय गौरव पखवाड़ा के अर्न्तगत बिरसा मुण्डा के वीरता को याद किया एवं उनकी वीरता ने देश में अमीट छाप छोड़ी है। कुलपति ने कहा कि विवि में जब नए विद्यार्थियों का प्रवेश होता है, तो उनको दीक्षारम्भ कार्यक्रम के अर्न्तगत झाँसी नगर एवं आस-पास के प्राचीन स्थलों के इतिहास के बारे में परिचित कराया जाता है। कुलपति ने विद्यार्थियों से कहा कि हमें अपने बारे में, देश के बारे में, अपने नगर के बारे में हमेशा जानकारी रखना चाहिए। आज विद्यार्थियों ने कविता एवं भाषण की प्रस्तुति दी है। उनको बधाई देते हुए कहा कि जिस तरह से वीर वीरांगना रानी लक्ष्मी बाई एवं देश के अन्य विभूतियों नेे देश का नाम बढ़ाया है ऐसे ही विवि के छात्र-छात्राएं उनसे प्रेरणा लेकर आगे प्रगति करें। विशिष्ट अतिथि अनुभा श्रीवास्तव ने रानी लक्ष्मी बाई के स्लोगन अपनी झाँसी नहीं दूंगी एवं झाँसी की मिट्टी तक नहीं लेने दूँगी इस पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आज रानी की वीरता को देश याद कर रहा है। रानी ने ऐसे पदचिन्ह छोड़े हैं जिस पर हम सबको चलना चाहिए। उन्होंने महिला सशक्तिकरण की बात रखते हुए कहा कि रानी लक्ष्मी बाई सबसे अलग देश की महिला रहीं हैं। इनको राज घराने का सुख मिलते हुए भी झाँसी एवं देश की आन-वान के लिए उन्होंने अपनी वीरता का परिचय अंग्रेजों को देते हुए देश में नाम किया।अनुभा श्रीवास्तव ने झाँसी के इतिहास से परिचय कराते हुए कहा कि झांई शब्द से झाँसी का नाम बना है। इससे पहले झाँसी का नाम बलवंतनगर था। स्त्री और पुरूष एक दूसरे के पूरक हैं विद्यार्थियों से कहा कि कुछ ऐसा कार्य करें कि हमारे जाने के बाद देश हमको याद करे। छात्राएं अपनी मर्यादाएं बनाएं रखें समाज में कैसे आगे बढ़ें व अद्वितीय कार्य करके समाज में उन्नति करें।कार्यक्रम संयोजक/निदेशक शिक्षा डॉ. अनिल कुमार ने अतिथियों का स्वागत परिचय कराते हुए स्वतन्त्रय समर की ज्वाला रानी लक्ष्मी बाई के वीरगाथा के इतिहास से सभी को परिचय कराया।निदेशक शोध डॉ. एसके चतुर्वेदी ने बिरसा मुण्डा एवं रानी लक्ष्मी बाई के वीरता का परिचय कराते हुए कहा कि यह दोनों वीरों ने कम आयु में भी देशप्रेम की अलख जगाई। इनके वीराता को देश आज नमन कर रहा है। विद्यार्थियों से कहा कि आप जिस कार्य में दृण संकल्पित होंगे तो उस कार्य में निश्चित सफलता मिलेगी। निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. एसएस सिंह ने कहा कि आज देश-विदेश में झाँसी की पहचान रानी लक्ष्मी बाई के नाम से होती है। दक्षिण में कई शहरों में लड़कियों के नाम झाँसी रखे जाते हैं। अन्त में उन्होंने सुभद्रा चौहान की कविता खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी। सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। डॉ. एसएस सिंह ने बिरसा मुण्डा की वीरता का भी बखान किया और कहा कि दोनों के बलिदान को देश आज याद कर रहा है। बीएससी प्राकृतिक खेती (प्रथम वर्ष) की छात्रा कुमारी कृष्णा राजपूत ने बुंदेलों हर बोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी कविता सुनाई। छात्रा तासीम फातिमा ने रानी लक्ष्मी बाई की वीरता पर भाषण सुनाया। एसएससी फल विज्ञान प्रथम वर्ष दिव्या मीणा ने बिरसा मुण्डा आदिवासी के जीवन पर कविता सुनाई। बीएससी उद्यानिकी छात्र दीपेश कुमार ने रानी की वीरता पर कविता सुनाई। विवि में बीएससी प्रथम वर्ष की छात्राओं ने कार्यक्रम स्थल पर रानी लक्ष्मी बाई की रंगोली बनाई जिसकी सभी लोगों ने प्रशंसा की। अन्त में विवि के विद्यार्थियों द्वारा राष्ट्रगीत गाकर कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।विवि के मुख्य गेट पर रानी लक्ष्मी बाई की प्रतिमा के समक्ष कुलपति डॉ. अशोक कुमार सिंह सहित विवि के सभी अधिकारियों, शिक्षकों, वैज्ञानिकों, विद्यार्थियों एवं कर्मचारियों ने दीपांजलि अर्पित कर भावपूर्ण श्रृद्धांजलि देकर रानी लक्ष्मी बाई को नमन किया। मेडीकल कॉलेज झाँसी में अग्निकांड के 12 नवजातों को दी श्रृद्धांजलि एवं रानी झांसी को अर्पित की 196 दीपों की दीपांजलि। इस अवसर पर अधिष्ठाता कृषि डॉ. आरके सिंह, अधिष्ठाता उद्यानिकी एवं वानिकी डॉ. मनीष श्रीवास्तव, अधिष्ठाता पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान डॉ. वीपी सिंह, अधिष्ठाता मात्स्यिकी डॉ. एमजे डोबरियाल, कुलसचिव डॉ. एसएस कुशवाह, सभी विभागाध्यक्ष, वैज्ञानिक, शिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे। संचालन डॉ. अर्तिका सिंह ने व डॉ. शुभा त्रिवेदी ने सभी लोगों का आभार प्रकट किया।

रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा

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