झांसी। पिछले दस वर्षों में लोकोमोटिव पायलटों की कार्य स्थितियों में बड़े सुधार किये गये हैं।शुक्रवार को मंडल रेल प्रबंधक झांसी मंडल झांसी दीपक कुमार सिन्हा ने पत्रकार वार्ता में बताया कि जब पायलट अपने मुख्यालय से बाहर होते हैं, तब एक यात्रा पूरी होने पर वे आराम के लिए रनिंग रूम में आते हैं।आज रनिंग रूम में काफी सुधार हुआ है। लगभग सभी (558) रनिंग रूम अब वातानुकूलित हैं।कई रनिंग रूम में फुट मसाजर भी उपलब्ध कराए जाते हैं। लोको पायलटों की कार्य स्थितियों को समझे बिना समाज के कुछ वर्गों द्वारा इसकी आलोचना की गई।पायलट लोको कैब से लोकोमोटिव चलाते हैं। वर्तमान में एर्गोनोमिक सीटों के साथ कैब में सुधार किया गया है, और 7,000 से अधिक लोको कैब वातानुकूलित है। नये लोकोमोटिव का निर्माण वातानुकूलित कैब के साथ ही किया जाता है।लोको पायलट के ड्यूटी घंटों की सावधानीपूर्वक निगरानी की जाती है। यात्राओं के बाद विश्राम भी बहुत सावधानीपूर्वक प्रदान किया जाता है। ड्यूटी के घंटे निर्धारित समय के भीतर रखे जाते हैं। इस वर्ष जून माह में औसत ड्यूटी घंटे की अवधि 8 घंटे से कम है। केवल अत्यावश्यक स्थिति में ही यात्रा की अवधि निर्धारित घंटों से अधिक होती है।पिछले कुछ वर्षों में, बड़ी भर्ती प्रक्रिया पूरी की गई और 34,000 रनिंग स्टाफ की भर्ती की गई है। वर्तमान में 18,000 रनिंग स्टाफ की भर्ती प्रक्रिया चल रही है।फर्जी खबरों से रेल परिवार को हतोत्साहित करने का प्रयास विफल होगा। पूरा रेल परिवार हमारे देश की सेवा में एकजुट है।वर्तमान में रेल प्रशासन द्वारा 815 लोको में कू हेतु टॉयलेट सुविधा उपलब्ध है।
रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा






