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उत्तर प्रदेश से 4 और बिहार से 3 रणजी ट्रॉफी के लिए टीम बने

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झांसी। भारतीय क्रिकेट जगत में आदित्य वर्मा एक अहम नाम है. बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव रहे आदित्य वर्मा को बीसीसीआई के खिलाफ मोर्चा खोलने के लिए जाना जाता है. उनके पीआईएल पर ही सुप्रीम कोर्ट ने लोधा कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी को आईपीएल और बीसीसीआई में महत्वपूर्ण बदलाव करने के लिए जाना जाता है। आदित्य वर्मा एक निजी दौरे पर झांसी पहुंचे थे. यहां उन्होंने खेल विशेषज्ञ बृजेन्द्र यादव से खास बातचीत में बिहार क्रिकेट की वर्तमान स्थिति पर अपनी बात रखीआदित्य वर्मा ने आरोप लगाया कि बिहार में क्रिकेट को सुधारने के लिए बीसीसीआई ने 25 करोड़ से अधिक का ग्रांट दिया. लेकिन ये सारे पैसे गायब हो गए. साथ ही उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि बिहार क्रिकेट एसोसिएशन इस समय गुटबाजी का अड्डा बन गया है। आदित्य ने कहा कि क्रिकेट मेरे खून में है. मेरे ही प्रयासों से 10 नए राज्यों को बीसीसीआई की प्रथम श्रेणी में जगह मिली. मैं खुद को क्रिकेट का अन्ना हजारे समझता हूं. लेकिन, जो सपना मैंने बिहार क्रिकेट के लिए देखा था, वह अभी तक पुरा नहीं हो पाया है. मैंने सुप्रीम कोर्ट में खुद बहस की थी। इसके बाद बिहार समेत कई अन्य राज्यों को खेलने की अनुमति मिली। इसका सबसे बड़ा कारण है बिहार क्रिकेट में इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी. बीते 20 सालों में हम बहुत पीछे चले गए थे. इस इंफ्रास्ट्रक्चर को ठीक करने के लिए बीसीसीआई ने 25 करोड़ से अधिक का ग्रांट बिहार क्रिकेट एसोसिएशन को दिया. इस पैसे को भी बिना किसी हिसाब के गायब कर दिया गया. इस भ्रष्टाचार के खिलाफ मैंने मुहिम छेड़ी तो मेरे बेटे पर गंभीर धाराओं में मुकदमा कर दिया गया. बिहार क्रिकेट एसोसिएशन इस समय गुटबाजी का अड्डा बन गया है. सुप्रीम कोर्ट के हर आदेश की अवमानना की जा रही है। उन्होंने कहा कि इसका सबसे बड़ा कारण है बिहार क्रिकेट में इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी. बीते 20 सालों में हम बहुत पीछे चले गए थे. इस इंफ्रास्ट्रक्चर को ठीक करने के लिए बीसीसीआई ने 25 करोड़ से अधिक का ग्रांट बिहार क्रिकेट एसोसिएशन को दिया. इस पैसे को भी बिना किसी हिसाब के गायब कर दिया गया. इस भ्रष्टाचार के खिलाफ मैंने मुहिम छेड़ी तो मेरे बेटे पर गंभीर धाराओं में मुकदमा कर दिया गया. बिहार क्रिकेट एसोसिएशन इस समय गुटबाजी का अड्डा बन गया है. सुप्रीम कोर्ट के हर आदेश की अवमानना की जा रही है।उन्होंने कहा कि इसका सबसे बड़ा कारण है कि बिहार क्रिकेट की मान्यता को छीन लिया गया था. मैंने कई राज्यों के लिए संघर्ष किया लेकिन बिहार को न्याय नहीं दिला पाया। झारखंड में अमिताभ चौधरी ने मेहनत से क्रिकेट को खड़ा किया. 18 साल बाद जब बिहार को क्रिकेट का हुनर दिखाने का मौका मिला तो वहां भ्रष्टाचार हावी हो गया. पटना हाई कोर्ट से उम्मीद है कि वह बोर्ड का नियंत्रण अपने हाथ में लेंगे और इसका संचालन बेहतर करेंगे। उन्होंने कहा कि बिहार क्रिकेट में जो भी गलत हो रहा है उसमें बीसीसीआई की भी भूमिका है. बिहार क्रिकेट से जुड़े कई लोगों ने बीसीसीआई को ई मेल के माध्यम से यहां हो रही गतिविधियों के बारे में बताया है. लेकिन, बीसीसीआई की चुप्पी बहुत नुकसान पहुंचा रही है। आदित्य वर्मा ने कह कि फिल्म के लिए सबसे पहले मुझे प्रकाश झा ने संपर्क किया था. इसके बाद कई बार मीटिंग हुई और फिल्म की स्क्रिप्ट पर काम शुरु हुआ. उम्मीद है कि इस साल के अंत तक कुछ देखने को मिलेगा। उन्होंने कहा कि मैं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील करना चाहता हूं कि उत्तर प्रदेश और बिहार में क्रिकेट को बचाने के लिए आगे आएं. दोनों राज्यों की आबादी मिलाकर सिर्फ 2 रणजी टीम खेलती है. जनसंख्या के आधार पर कम से कम सात टीम होनी चाहिए.महाराष्ट्र से 3 और गुजरात से 3 राज्य संघो को BCCI से मान्यता है। तो देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश व बिहार के साथ ऐसा व्यवहार उचित नही है। हम 120 सांसद चुन कर संसद पहुँचाते है। क्रिकेट खेल के विकास के लिए आबादी के हिसाब से 4 और बिहार में 3 एसोसिएशन होनी चाहिए। इससे बिहार और उत्तर प्रदेश के क्रिकेट को बहुत बढ़ावा मिलेगा और अधिक संख्या में क्रिकेटरों को बोर्ड ट्रॉफी खेलने का मौका मिल सकेगा।क्योंकि यहां क्रिकेट प्रतिभाओं की कमी नही है ,यहां के क्रिकेटर दूसरे राज्यों में जाकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाकर देश के लिए खेले है।

रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा

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