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“यह वक़्त आखरी है, यह दर्द आखरी है | आ जाओ मेरे नाम पर खाने वालों शायद अभी कुछ खाने को मिल जाए मेरे नाम पर क्यूंकि मेरी जिंदगी की कुछ कुछ पल अभी बाकी है

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महोबा: बेलाताल कस्बे में स्थित अगर हम गायों की सुरक्षा के बारे में बात करे तो यहां पर मौजूद गौशाला में मौजूद गायों की हालत को जरूर देखे | जिसे देखकर आप विचार करने पर मजबूर हो जाओगे कि जिनके ऊपर सरकार द्वारा करोडो रूपए खर्च किया जाता है, उनकी इतनी बुरी दुर्दशा |

गायों की आहार की बात करें तो भूसाघरों में भूसा ही नहीं, अगर पानी नज़र डाले तो पानी कम कीड़े ज्यादा है | जिसे पीना तो दूर देख कर ही तबियत खराब हो जाए। गायों को चरने के लिए ऐसे ही बंजर ज़मीन पर छोड़ दिया जाता है। इनके हिस्से में खर्च होने वाला पैसा पता नहीं कहां जाता हैं | कैसे लोग है की गायों का ही पेट काट लेते हैं गौशाला में एक बीमार गाय की हालत देखकर तो इंसानों की रूह कांप जाएगी, उस गाय के शरीर पर इतने कीड़े लगे हैं कि वहां पर मांस नहीं सिर्फ हड्डियां हैं | जो मांस शारीर पर शेष है उसे पक्षी नोच-2 कर खा रहे हैं | इसके बावजूद भी उसे कोई कोई देखने वाला नहीं है |

वाह रे प्रधान जी (छोटेलाल अहिरवार) आपने तो भ्रष्टाचार की सारी सीमाएं ही तोड़ दी,आपको तो सरकार की तरफ से भ्रष्टाचारी के अवार्ड से सम्मानित होना चाहिए मांगना है तो भगवान के नाम पर मांगो,गायों का इस तरह से हक़ तो मत खाओ | ग्राम सचिव साहिबा अर्चना गुप्ता की तो बात ही निराली है जब भी इनकी ऑफिस में मिलने के लिए पहुँचो तो मैडम फील्ड पैर होते हैं,इनका फील्ड वर्क तो कमाल का है गायों के शरीर पर कीड़े पड़ जाते हैं और पक्षी मांस नोचने लगते हैं और इन्हें पता ही नहीं चलता | इसे कहते हैं नौकरी को पूरी जिम्मेदारी से निभाना |योगी सरकार के करोड़ों खर्च के बाद भी गाय गौशाला में भूख और प्यास से मर रही है |

रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा

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