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भुलाया नहीं जा सकता जॉन लैंग का योगदान 159 वीँ पुण्य तिथि याद किए गए बैरिस्टर जान लैंग

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झांसी।वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई के साथ ही उनकी ओर से पैरवी करने वाले अधिवक्ता जॉन लैंग का योगदान भी भुलाया नहीं जा सकता। ब्रिटिश हुकूमत के दौरान जान लैंग ने निर्भीक होकर महारानी लक्ष्मीबाई की पैरवी की थी।यह विचार जान लैंग की 159 वीँ पुण्यतिथि पर जजी कम्पाउन्ड स्थित जिला अधिवक्तासंघ के हाल में श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए अधिवक्ताओं ने व्यक्त किए। जय देवी साहू ने कहा कि जॉन लैंग ने देशी-विदेशी, जाति-पाति और धर्म से परे एक अधिवक्ता के रूप में आस्ट्रेलिया से भारत आकर बिना किसी भय के अधिवक्ता धर्म का पालन करते हुये अपने प्राणों की आहूति दे दी । अध्यक्षता करते हुये पूर्व संयुक्त सचिव श्रीमती साधना सिंह नेकहा कि भारत के न होते हुये भी जॉन लैंग ने भय भरे माहौल में निर्भय होकर महारानी लक्ष्मीबाई का साथ देकर अधिवक्ता के दायित्वों का पूर्ण निर्वाहन किया। जिला अधिवक्ता संघ के वरिष्ठ सदस्य राजेश चौरसिया ने कहा कि जॉन लैंग ने मुफलिस नामक अखबार प्रकाशित कर अंग्रेजों की बर्बरता को जनता के सामने उजागर किया था। पूजा यादव ने कहा कि झाँसी रानी के साथ ही जॉन लैग का नाम इतिहास केपन्नों में अमर रहेगा | डा० अनिल दीक्षित एड. ने मंसूरी में उनकी कब्र खोजने का कार्य किया । आभार हर्षना उदय ने व्यक्त किया। इस अवसर पर वरिष्ठ सदस्य संजीव चतुर्वेदी,पूजा यादव ,भारती अहिरवार, पूर्व सचिव केपी श्रीवास्तव , कनिष्ठ उपाध्यक्ष विकास यादव, राहुल शर्मा, रवि कान्त बोहरे, हरनारायण, मुकेश सिंघल , महेन्द्र जोशी,सुभाष राय ,अभय रमन सक्सेना ,राजेन्द्र सक्सेना,आनंद खरे आदि अधिवक्ता उपस्थित रहे।

रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा

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