
झांसी। उत्तम सत्य धर्म के मुताबिक, जो व्यक्ति हमेशा सत्य बोलता है, वह कभी दुखी नहीं होता। सत्य धर्म के मुताबिक, हमें झूठ नहीं बोलना चाहिए और दूसरों के साथ न्याय और मिलजुलकर रहना चाहिए। सत्य शब्द संस्कृत के ‘सत’ शब्द से निकला है, जिसका मतलब है शास्वत, वास्तविक या यथार्थ। सत्य एक नैतिक मूल्य है, जिस पर मानव समाज टिका हुआ है। सत्य एक साथ साध्य और साधन दोनों है। सत्य विश्वास का उद्देश्य है, जबकि असत्य एक दोष है। लोगों को दुनिया के बारे में सत्य की ज़रूरत है, ताकि वे समृद्ध हो सकें। ये उद्गार मुनिश्री अविचलसागरजी महाराज ने मेडिकल कॉलेज गेट नं 3 से आगे श्री भगवान महावीर लोक कल्याण परिसर में निर्माणाधीन भगवान महावीर महातीर्थ में धर्मसभा को संबोधित करते हुए दिए। इसके पूर्व प्रातः काल की बेला में विश्वशांति की मंगलकामना मुनिश्री के मुखारविंद से उच्चारित शान्ति मंत्रों द्वारा श्रीजी के मस्तक पर शांतिधारा करने का सौभाग्य दिव्यांश जैन, यश सिंघई को प्राप्त हुआ। चातुर्मास समिति के मुख्य सलाहकार डॉ राजीव जैन, स्वागताध्यक्ष अंकित सर्राफ, वरिष्ठ महामंत्री दिनेश जैन डीके, महामंत्री सौरभ जैन सर्वज्ञ, कार्यक्रम संयोजक निशांत जैन डेयरी, नितिन जैन सदर, देवेश जैन केडी, अंशुल जैन बघेरा, शुभम जैन जैरी, सौरभराज जैन ने श्रीजी का अभिषेक किया। श्रीमति अंजलि सिंघई, सोनम जैन, पूजा जैन, रिद्धि जैन, अनुश्री जैन, प्रतिभा जैन सदर, कु. प्रियंका जैन ने मंगल आरती संपन्न की। इस अवसर पर चातुर्मास समिति के अध्यक्ष शैलेन्द्र जैन प्रेस, मुख्य संयोजक अतुल जैन सर, उपाध्यक्ष डॉ अभिषेक जैन, संयोजक एंजि. अभिनव जैन, करगुँवा मंत्री संजय सिंघई, अंकुर जैन, श्रीमति शीला सिंघई, प्रियंका जैन उपस्थित रहें। कार्यक्रम का संचालन चातुर्मास समिति के महामंत्री सौरभ जैन सर्वज्ञ एवं आभार वरिष्ठ महामंत्री दिनेश जैन डीके ने व्यक्त किया। वहीं सायंकाल की बेला में पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य ने मुनिश्री अविचलसागरजी महाराज से मंगल आशीष ग्रहण किया।
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*2 सितम्बर को मनाया जाएगा धूप दशमी का पर्व एवं उत्तम संयम धर्म*
अमृत पावन वर्षायोग समिति के महामंत्री सौरभ जैन सर्वज्ञ ने बताया कि 2 सितम्बर को नगर के समस्त जिनालयों में धूप दशमी का पर्व मनाया जायेगा। जैन धर्मावलंबी सभी जैन मंदिरों में धूप खेवन के लिए जायेगें। स्वागताध्यक्ष अंकित सर्राफ ने बताया कि भाद्रपद शुक्ल दशमी तिथि अनुसार पर्वाधिराज पर्युषण दसलक्षण पर्व के छठवें दिन 2 सितम्बर को “उत्तम संयम धर्म” की भक्ति आराधना की जाएगी।
रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा


