
झांसी। मरहूम सादिक अली के इमामबाड़े में शामे गरीबा की
मजलिस का आयोजन हुआ
जिसमें मौलाना ने खिताबात करते हुए कहा कि, मोहर्रम के जुलूस के बाद, इमाम हुसैन व उनके 72 साथियों के पुर्से के लिए यह मजलिस आयोजित की जाती है।
यह एक ऐसी मजलिस है जो पूर्ण रूप से अंधकार यानि अंधेरे में होती है मजलिस के वक्त पूरा माहौल मूल रूप से गमगीन था और हर तरफ से या हुसैन या अली की सदाए बुलंद हो रही थी और हर आंख से आंसू बह रहे थे। इस मजलिस के दौरान चारों ओर कोहराम बरपा हो गया।मोहर्रम के अवसर पर *अन्जुमन अब्बासिया* के तत्वावधान में मेवातीपुरा अन्दर उन्नाव गेट स्थित *हुसैनी इमामबारगाह मरहूम सैयद सादिक़ अली आब्दी* झाँसी में शिया समुदाय द्वारा मजलिसों का आयोजन किया गया।
जिसमें मंगलौर हरिद्वार से आए शिया धर्मगुरू मौलाना इक़बाल हुसैन ने इमाम हुसैन (अस) की कुर्बानी का वर्णन किया।
उन्होने बताया कि कर्बला की जंग हक और बातिल की जंग थी। किस प्रकार इमाम हुसैन (अस) ने इस्लाम धर्म की रक्षा के लिए अपने बेटों, भाई, भतीजे, भान्जे और अपनी कुरबानी को पेश किया।
यज़ीद की सेना ने इमाम हुसैन (अस) को करबला के मैदान मे घेरकर उनपर पानी बन्द कर दिया।
इमाम हुसैन (अस) का छ: माह का बेटा अली असग़र (अस) प्यास से तड़पता रहा, लेकिन यज़ीदी सेना ने उस मासूम बच्चे पर भी तरस न खाया और उसको तीर के द्वारा शहीद कर दिया।
इस अवसर पर मेवातीपुरा अन्दर उन्नाव गेट स्थित *हुसैनी इमामबारगाह मरहूम सैयद सादिक़ अली आब्दी* साहब झाँसी से *मातमी जुलूस* निकाला गया जो *शहर के विभिन्न चौराहो* से होकर *करबला* (लक्ष्मीताल) पर समाप्त हुआ।
सैकड़ों श्रद्घालुओं ने खूनी मातम का पुरसा पेश किया, या अली या हुसैन की आवाज़ो से सारा इलाका गूंज उठा।
इस मौके पर मौलाना *इक़्तेदार हुसैन* साहब ने अपने अनोखे अन्दाज मे *मर्सियाख़्वानी* कर इमाम हुसैन (अस) को श्रद्धांजली अर्पित की।
वहीं सैयद सुख़नवर अली, नादिर अली, गयूर हुसैन, अली समर, हैदर अली, फैज़ अब्बास, अनवर नक़वी, अज़ीम हैदर आदि ने ग़मगीन माहौल में नौहा पढ़कर ख़िराजे अक़ीदत पेश किया।
इस दौरान मौलाना शाने हैदर, मौलाना फरमान अली, अता अब्बास, बादशाह, ज़फर आलम, वसी हैदर, कुमैल हैदर, इश्तेयाक हुसैन, फरहान आलम, इशरत हुसैन, नदीम हैदर, रिजवान हुसैन आदि व आस-पड़ोस के शहरों से आये हजारों की संख्या में लोग इमाम हुसैन (अस) को श्रद्धांजली देने के लिए उपस्थित हुए।
रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा


