झांसी। अपराध और अपराधियों पर अंकुश लगाने पीड़ितों को न्याय दिलाने तथा न्याय पालिका में लंबित मुकदमों का जल्द से जल्द निस्तारण कराने के लिए भारतीय न्याय संहिता नया कानून लागू किया गया था। इस कानून के तहत जनजागरुकता भी फैलाई गई थी आमजन को इस कानून के फायदे बताए गए थे। साथ ही झूठी एफआईआर से भी पीड़ितों को न्याय मिलने के फायदे इसमें बताए गए थे। साथ ही अपराधी को न्यायालय में लंबित मुकदमों में सजा दिलाने के लिए अहम योगदान अभियोजन की ओर से पैरवी करने वाले शासकीय अधिवक्ता, विवेचना अधिकारी, ओर चिकित्सकीय परीक्षण करने वाले चिकित्सक का होता है। शासकीय अधिवक्ता भी साक्ष्य के आधार पर ही अभियोजन चलवा कर अपराधी को सजा दिलाने का कार्य करते है। लेकिन न्यायालय में विवेचनाधिकारी ओर चिकित्सक की रिपोर्ट हो। भारतीय न्याय संहिता बीएनएस लागू होने के बाद बिना एमएलसी के आरोपियों के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया। बताया जा रहा है कि मेडिकल से एमएलसी ही गायब हो गई। मुकदमे को ठोस बनाने के लिए वादी द्वारा लगातार पुलिस अधिकारियों ओर मेडिकल कॉलेज झांसी के चक्कर काटे जा रहे लेकिन उसकी एमएलसी नहीं मिल रही। वादी को कहा जा रहा कि तुम्हारा यहां इलाज ही नहीं हुआ। वादी द्वारा झांसी मेडिकल कॉलेज में हुआ सीटी स्कैन ओर एक्सरे रिपोर्ट दिखाई जा रही की अगर उसने एमएलसी नहीं बनवाई तो झांसी मेडिकल ने उसका सीटी स्कैन ओर एक्सरा कैसे किया। फिलहाल भारत के नए कानून बीएनएस के नियमों का मखौल उड़ाने वाला यह मामला प्रकाश में आया है। मामला झांसी मंडल के जिला ललितपुर के तालबेहट कोतवाली क्षेत्र हराजपुर निवासी देवेंद्र दुबे का है। देवेंद्र दुबे ने बताया कि 31 जनवरी को अपराधियों ने उसे व उसके भाई को तमंचे की बटों से पीट पीट कर मरणासन्न कर दिया था। गंभीर अवस्था में उसे पास के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया था यहां से उसे झांसी मेडिकल कॉलेज रेफर किया था। इधर तालबेहट कोतवाली पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ अभियोग पंजीकृत कर विवेचना शुरू कर दी थी। विवेचना में घायल वादी का एक्सरा ओर सीटी स्कैन भी शामिल किया गया। बताया जा रहा है कि कई बार विवेचनाधिकारी झांसी रानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज घायल की एमएलसी लेने आए लेकिन उन्हें एमएलसी नहीं मिली। उन्हें बताया गया कि घायल का मेडिकल परीक्षण यहां नहीं हुआ। इधर लगातार वादी द्वारा झांसी रानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज आया लेकिन उसे भी एमएलसी नहीं मिली। आज संबंधित थाना से एक पुलिस कर्मी भी वादी के साथ रानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज कई घंटों तक भटकता रहा लेकिन उसे एमएलसी नहीं मिली। इधर वादी के मुकदमा विवेचनाधिकारी ने बताया कि देवेंद्र दुबे के मुकदमे की विवेचना के बाद आरोपियों के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल हो चुका है। जब उनसे पूछा गया कि बिना एमएलसी के आरोप पत्र दाखिल हो गया इसमें किसकी गलती है तो उन्होंने चिकित्सकों की गलती बताई और बात समाप्त कर दी।
रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा






