झांसी। तनावपूर्ण मानव जीवन में उल्हास , उमंग, उत्साह एवं खुशियों का अनुभव व प्रेम सद्भाव भाई चारा कायम करने के लिए पर्व त्योहार , उत्सव एवं जन्मदिवस आदि मनाने की परंपरा है। इन त्योहारों, उत्सवों एवं पर्वों का धर्म व जीवन से तथा मानव उत्थान से गहरा सम्बन्ध है। भारतीय सभ्यता, संस्कृति एवं मानव जीवन में चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा व नवसंवत्सर देश के नववर्ष का प्रथम दिवस है। इसको नूतन वर्ष के रूप मनाने का वैज्ञानिक तथा आध्यात्मिक आधार के साथ यह गौरवमय इतिहास का प्रतीक है। यानी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा वर्तमान सृष्टि की उत्पति का भी दिवस है। इसी दिन भारतीय सम्राट विक्रमादित्य ने देश पर आक्रमण कर हमारी समृद्धि पर कब्जा करने वाले विदेशी राज्य का सफाया कर विक्रम संवत का शुरुवात की थी। जब हम सभी देशवासी अपने त्योहारों व पर्वों होली, दिवाली, रक्षाबंधन , नवरात्रि आदि हिंदी तिथियों के आधार पर मनाते हैं। तो फिर नववर्ष को ही अंग्रेजी तारीखों में मनाने का कोई औचित्य नहीं है। भारतीय नववर्ष नवसंवत्सर अथवा वर्ष चैत्र प्रतिपदा ही हमारी परंपराओं एवं संस्कृति का प्रतीक है और इसे ही समस्त स्वाभिमानी भारतीय नागरिकों , राष्ट्र प्रेमियों को मनाना चाहिए।भारतीय नूतन वर्ष सूर्य भगवान के उदय होने से विश्व में बिखरे उजाले में आता हैं। न कि अंग्रेजी नववर्ष की तरह रात्रि में व्याप्त घोर अन्धकार में आने वाला हैं। परिवार में होने वाले शुभ कार्य चैत्र प्रतिपदा नवबर्ष से ही शुरू होने का प्रावधान है। हिंदुओं के नवसंवत्सर 2082 का आगमन 30 मार्च 2025 को सनातन धर्म के चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा को सूर्य देवता किरणों के प्रातःकाल प्रभुत्व होने से हो रहा हैं। इसी दिन आदिशक्ति माता भवानी के घटो की स्थापना कर लोग नवरात्रि की पूजा अर्चना शुरू कर देते हैं। इसी दौरान नई फसल के आने से उस अनाज गेहूं , जौ के ज्वारे बोए जाते हैं। क्योंकि भारत कृषि प्रदान देश होने से किसानों को अगले वर्ष कौनसी फसल अच्छी होगी। यह ज्वारों से मालूम हो जाता हैं।भारतीय नववर्ष से नवसंवत्सर का पूजन नवरात्रि , घट स्थापना, ध्वजारोहण, पूजा पाठ आदि विधिविधान किए जाते हैं। चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा, बसंत ऋतु में आती हैं। इस ऋतु में संपूर्ण सृष्टि में सुंदर छटा बिखर जाती हैं।विक्रम संवत के महीनों के नाम आकाशीय नक्षत्रों के उदय और अस्त होने के आधार पर रखे गए हैं। सूर्य, चंद्रमा की गति के अनुसार ही तिथियां भी उदय होती हैं। ऐसा कहा जाता हैं कि पृथ्वी द्वारा 365 दिन में होने वाली सर्व परिक्रमा की वर्ष ओर इस अवधि में चंद्रमा द्वारा पृथ्वी के लगभग 12चक्कर के आधार मानकर पंचाग, तैयार होते हैं और क्रम संख्या के आधार पर उनके नाम रखे गए हैं। हिंदू महीनों के 12 नाम हैं।इस तरह मनाए नवसंवत्सर पुरुष सफेद वस्त्र व महिलाए पीला या भगवा वस्त्र पहनें. मस्तिष्क पर उस दिन तिलक अवश्य लगायें घर पर मिष्ठान्न बनायें. घर की छत पर भगवा झंडा अवश्य लगायें. रात्रि को घर पर घर के बाहर दीप अवश्य जलायें. घर के द्वार को सजाएँ रंगोली बनाएँ फूल और पत्तों के तोरण लगाएँ
रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा






