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“किसान मेला एवं कृषि प्रदर्शनी” – 2025 का आयोजनराज्य के कृषि मंत्री, स्थानीय सांसद, विधायक, मेयर एवं प्रशासनिक अधिकारी होंगे शामिल

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झाँसी। कुलपति डॉ अशोक कुमार सिंह ने वार्ता में बताया कि रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी में “जलवायु – समावेशी कृषि” का उद्देश्य लेकर “किसान मेला एवं कृषि प्रदर्शनी” का आयोजन 14 – 16 फरवरी 2025 को हो रहा है। कृषि एवं कृषि अनुसंधान मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार श्री सूर्य प्रताप शाही किसान मेला एवं कृषि प्रदर्शनी का उद्घाटन करेंगे। इस मेले में स्थानीय सांसद, विधायक, मेयर एवं प्रशासनिक अधिकारी होंगे शामिल। आज की दुनिया में, जहां उपभोक्ता पर्यावरणीय प्रभाव के बारे में चिंतित हैं, जलवायु समावेशी कृषि आशा की किरण के रूप में हमारी खाद्य एवं पोषण सुरक्षा आज के समय में सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। जलवायु समावेशी कृषि प्रणाली न केवल भूमि को स्वस्थ्य बनाती है बल्कि सभी के दीर्घकालीन खाद्य सुरक्षा भी सुनिश्चित कर सकती है। इस तरह के कार्य प्रणाली में जलवायु परिवर्तनशीलता के तहत दीर्घकालीन अधिक उत्पादकता और आय प्राप्त करने के लिए फसल और पशुधन का समवेश करते हुए मौजूदा प्राकृतिक संसाधनों का बेहतर रूप से उपयोग करना शामिल है। इस किसान मेला में बुंदेलखण्ड के किसानों, प्रगतिशील किसानों, पदम् श्री किसानों, उत्पादन संगठनों एवं स्वयं सहायता समूहों को आमंत्रित किया गया है। परंपरागत कृषि, फल, सब्जी, फूल, मशरूम व अन्य लाभदायक फसलों के उत्पादन की जानकारी एवं कृषि निर्यात की संभावनाए के साथ-साथ दलहन, तिलहन व श्रीअन्न की खेती तथा उसमें पाए जाने वाले पौष्टिक तत्वों के बारे में जानकारी प्रदान की जायेगी। कृषि मेले एवं प्रदर्शनी में कृषि से संबंधित विभिन्न तकनीकों, यंत्रों सजीव प्रदर्शन किसानों, उत्पादकों, विक्रेताओं, को दिखाये जायेंगे। इस मेले में मुख्य आकर्षण कृषि तकनीकी प्रदर्शन, प्रक्षेत्र भ्रमण, पशु प्रदर्शनी, किसान वैज्ञानिक गोष्ठी, तकनीकी सत्रः श्री अन्न, प्राकृतिक खेती एवं जलवायु समावेशी कृषि, पशु पालन, मत्स्य पालन रहेंगे। सजीव प्रदर्शन में विश्वविद्यालय प्रक्षेत्र में संरक्षित खेती, एकीकृत कृषि प्रणाली, (आई एफ एस) फसल कैफेटेरिया, मधुमक्खी पालन, आधुनिक कृषि यंत्र के जीवंत मॉडल भी देखने को मिलेंगे। प्रदर्शनी मे विभिन्न स्टाल लगाये जायेंगे जिसमें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, विभिन्न कृषि विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान केंद्र, एफ.पी.ओ., स्वयं सहायता समूह, कृषि आधारित निजी संगठन एवं अन्य सभी हितधारकों के लिए है जो अपने व्यवसाय के विस्तार और विवधीकरण में रूचि रखते हैं। इस मेले में लगभग 6 कृषि विश्वविद्यालय, 14 भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (आई.सी.ए.आर.), 50 प्राइवेट सेक्टर, एफपीओ, उद्यमियों, एन जी ओ सहित 4 अन्य (नाबार्ड, राइज इन्क्यूबेशन सेंटर) के स्टॉल के साथ प्रतिभाग कर रहे हैं । साथ ही जलवायु समावेशी कृषि प्रणाली एवं श्रीअन्न (मिलेट्स) पर दो थीमेटिक पवेलियन सहित विश्वविद्यालय के विभिन्न महाविद्यालयों के स्टॉल भी रहेंगे।इसी के साथ मण्डलीय फल, शाकभाजी एवं पुष्प प्रदर्शनी का भी आयोजन किया जा रहा है। इसमें इससे संबंधित प्रतियोगिताएँ भी की जायेगी। कुलपति ने विवि के विद्यार्थियों की शिक्षा पर चर्चा करते हुए बताया कि अभी हाल ही में विश्वविद्यालय के 22 विद्यार्थियों का चयन बिहार लोक सेवा आयोग से कृषि अधिकारी पद पर हुआ है।निदेशक प्रसार शिक्षा/मेला चेयरमैन ने बताया कि इस मेले में बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर, राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर, स्वामी केशवानन्द राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय, कृषि विश्वविद्यालय कोटा राजस्थान को भी इस मेले में आमंत्रित किया गया है। आप सभी से किसान मेला में सम्मिलित हो कर इसे सफल बनाने का आवाहन करते हैं। इस वार्ता में निदेशक शोध डॉ. एसके चतुर्वेदी, निदेशक शिक्षा डॉ. अनिल कुमार, अधिष्ठाता कृषि डॉ. आरके सिंह, अधिष्ठाता उद्यानिकी एवं वानिकी डॉ. मनीष श्रीवास्तव, अधिष्ठाता पशु चिकित्सा एवं पशु महाविद्यालय डॉ. वीपी सिंह, अधिष्ठाता मात्स्यकी डॉ. एमजे डोबरियाल, कुलसचिव डॉ. एसएस कुशवाह, विभागाध्यक्ष पुष्प विज्ञान डॉ. गौरव शर्मा आदि उपस्थित रहे।

रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा

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