झांसी। महाकुंभ-2025 में सबसे सुंदर साध्वी के रूप में इन दिनों सोशल मीडिया पर छाई हुईं हर्षा रिछारिया ने अपने जन्म से लेकर यहां तक के सफर के सारे राज एक इंटरव्यू में खोल दिए, जिसमें उन्होंने बताया कि वह बुंदेलखंड की बेटी हैं, और उनका जन्म झांसी के मऊरानीपुर में हुआ है। फिर उनका परिवार भोपाल शिफ्ट हो गया, जहां से उन्होंने शिक्षा हासिल की, फिर धीरे-धीरे वह ग्लैमरस की दुनिया में आ गई, और एक्टिंग से लेकर एंकरिंग को उन्होंने अपना प्रोफेशन बना लिया। इस दौरान उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि वह साध्वी नहीं हैं, उन्होंने अपने गुरू से सिर्फ मंत्र दीक्षा ली है, उन्होंने साध्वी की दीक्षा अभी नहीं ली है, इसलिए सिर्फ पहनावे की वजह से उन्हें साध्वी कहना गलत होगा। दरअसल, सबसे खूबसूरत साध्वी के टैग से सोशल मीडिया पर सनसनी फैलाने वाली हर्षा रिछारिया ने एक निजी चैनल को इंटरव्यू दिया, जिसमें उन्होंने जन्म से लेकर अभी तक के सफर के बारे में विस्तार से बताया, और कहा कि जब से वह अपने गुरू आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी श्री कैलाशानंदगिरी जी से मिली हैं, तब से वह साधना से नहीं निकल पाईं हैं। ये ऐसी दुनिया है, कि जो भी इसमें एक बार आ गया, उससे वह कभी निकलना ही नहीं चाहेगा। संतों की संगति कैसे प्राप्त हुई इस सवाल पर हर्षा रिछारिया ने कहा कि वह खुद अपने गुरू को ढूंढ रही थी, यह सफर उनका करीब 10 साल का रहा, इसके बाद वह केदारनाथ गईं, वहां उन्होंने अर्जी लगाई, महादेव से विनती की। उसके बाद से जो महादेव को लेकर उनके अंदर भक्ति समाई है, फिर वहां से गुरू ने दिशा दिखाई तब से वह आगे बढ रही हैं। हर्षा रिछारिया ने आगे कहा कि वह जब मॉडल थी, उस प्रोफेशन में होते हुए भी थोड़ा कटी महसूस करती थी। उन्होंने अपनी पूरी लाइफ में कभी नाइट पार्टी नहीं की, कहीं न कहीं वह सोशल लाइफ से पर्सनली दूर रहीं, लेकिन अब जो वह कर रही हैं वो उन्हें बहुत पसंद है, यह बहुत सुकून देता है। भजन करना, मंदिरों में रहना, साधु-संतों का आशीर्वाद प्राप्त करना, ये एक ऐसा सुकून है, जिससे वह कभी निकलना नहीं चाहती हैं। हर्षा रिछारिया ने बताया कि वह एक ब्राह्मण परिवार से आती हैं, बुंदेलखंड में झांसी के पास मऊरानीपुर में उनका जन्म हुआ, हर्षा का परिवार चाहता था कि उनका बच्चा अपनी धर्म और संस्कृति की राह पर चले। मॉडलिंग और एंकरिंग उनका प्रोफेशन था, जो वह अपने लिए कर रही थीं, उसमें भी उनके परिवार ने कभी आपत्ति नहीं जताई, हमेशा परिवार ने उनका सपोर्ट किया। लेकिन आज वह जहां हैं, वहां परिवार को थोड़ा डर लग रहा है कि वह सच में संन्य़ासिन न बन जाएँ। उन्होंने बताया कि मऊरानीपुर के बाद फैमिली भोपाल शिफ्ट हो गईं, और भोपाल से ही उनकी स्कूलिंग हुई, फिर यहीं से एंकरिंग की शुरूआत हुई थी। फिलहाल वह ऋषिकेश में रहती हैं, सुबह उठकर मेडीटेशन करती हैं, इसके बाद वॉक पर जाती हैं। फिर जो चीजें उन्हें और जाननी है, उसके बारे में रीडिंग करती हैं। रात में कीर्तन में शामिल होती हैं, और शाम को वह करीब 2 से 3 घंटे पूजा करती हैं।
रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा






