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राष्ट्रीय परामर्श का कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया उद्घाटन

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झाँसी। रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलगीत के साथ मुख्य अतिथि कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही,आई आईएमआर निदेशक सी तारा सत्यबती, कुलाधिपति डां पंजाब सिंह, कुलपति डॉ अशोक कुमार सिंह, जिलाधिकारी झांसी अविनाश कुमार सहित सभी अतिथियों ने अन्न की सतत् एवं लाभप्रद खाद्य प्रणाली पर राष्ट्रीय परामर्श के दो दिवसीय आयोजन का उद्घाटन दीप प्रज्जवलित कर किया। मुख्य अतिथि कृषि मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार, सूर्य प्रताप शाही को कुलपति डॉ. अशोक कुमार सिंह ने पुष्पगुच्छ, अंगवस्त्र, प्लाइवुड पर लकड़ी से उकेरी भगवान श्री राम की आकृति का स्मृति चिन्ह, विवि द्वारा श्री अन्न से बने उत्पाद भेंट कर स्वागत किया। मुख्य अतिथि कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने श्री अन्न की सतत् एवं लाभप्रद खाद्य प्रणाली पर राष्ट्रीय परामर्श कार्यक्रम करने के लिए कुलपति डॉ. अशोक कुमार सिंह को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने श्री अन्न की चर्चा की थी, कि इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है। 2023 में श्री अन्न अर्न्तराष्ट्रीय मिलेट्ष वर्ष के रूप में मनाया गया, इसमें उत्तर प्रदेश के सभी जनपदों में जागरूकता कार्यक्रम, विद्यार्थियों की प्रतियोगिता, श्री अन्न को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए और यह काफी सार्थक प्रयास रहा। पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी इसे चलाया जा रहा है। श्री अन्न की खेती पूर्व से ही देश में हो रही है। उत्तर प्रदेश सरकार किसान द्वारा तैयार श्री अन्न खरीदेगी। बुंदेलखण्ड में पारम्पारिक खेती के रूप में श्री अन्न की खेती होती रही है। *झाँसी बुंदेलखण्ड श्री अन्न की खेती के लिए सबसे मुरीद है।* पिछले वर्षों के अन्दर श्री अन्न की काफी मांग बढ़ी है। खेती पर जलवायु परिवर्तन का काफी प्रभाव पड़ा है। उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों सहित बुंदेलखण्ड में ज्यादा वर्षा हुई है।

उन्होंने कहा कि श्री अन्न का विस्तार उत्तर प्रदेश हुआ है। 9 हजार हैक्टेयर से 48 हजार हैक्टेयर पर हम पहुँचे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने श्री अन्न को विस्तार देने में 45 कृषक उत्पादन संगठन (एफपीओ) को जोड़ा है। इसमें 5 एफपीओ को मोबाइल वैन दी है, जो किसानों से श्री अन्न खरीदने और बेचने का कार्य कर रही है। उत्तर प्रदेश के नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, अयोध्या, बांदा कृषि विश्वविद्यालय, मेरठ कृषि विश्वविद्यालय, को मदद की गई है एवं बुंदेलखण्ड के सभी कृषि विज्ञान केन्द्र को 95 लाख रूपए दिए हैं। इससे किसानों को कृषि कार्यों में मदद मिल सके। उत्तर प्रदेश सरकार एमएसपी पर अन्न खरीद रही है। कृषि मंत्री ने कहा 2013-14 में 1250 एमएसपी थी। आज 2024 में 3421 एमएसपी है। 124 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। यह सब संभव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा हो पाया है। हमारी सरकार ने 18 फसलों पर एमएसपी लगभग दोगुनी कर दी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज खुशहाल किसान समृद्ध भारत की पहचान को साकार करते हुए पीएम किसान सम्मान निधि योजना की अठारहवीं किस्त को महाराष्ट्र के बाशिम जिले से देश के 9.4 करोड़ रूपए किसानों के खाते में अठारहवीं किस्त का पैसा ट्रांसफर कर दिया है। इस किस्त का कुल व्यय 20,000 करोड़ से अधिक बताया जा रहा है। साल 2019 में शुरू की गई प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत हर वर्ष किसानों को तीन किस्तों में 6000 रूपए खाते में ट्रांसफर किए जाते हैं। देशभर के किसान पीएम किसान सम्मान निधि की प्रशंसा कर रहे हैं। कृषि मंत्री ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् – भारतीय कदन्न अनुसंधान संस्थान हैदराबाद (आईआईएमआर) कीं निदेशक सी तारा सत्यवती से अनुरोध किया कि उत्तर प्रदेश में भी आईआईएमआर का एक सेंटर स्थापित करें एवं सभी विश्वविद्यालयों के साथ आपका एमओयू होना चाहिए। कृषि मंत्री ने कहा कि रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी को जैबिक परीक्षण के लिए 25 करोड़ रूपए कृषि मंत्रालय उत्तर प्रदेश दे रहा है। विश्व बैंक के सहयोग से 4 हजार करोड़ की परियोजनाएं उत्तर प्रदेश में चलाने जा रहे हैं, इसमें बुंदेलखण्ड के झाँसी सहित 8 जिलों को शामिल करेंगे। इसमें रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी एवं बांदा कृषि विवि बांदा सहयोग करेंगे। वैज्ञानिकों से आवाहन किया कि सरल भाषा में किसानों को वैज्ञानिक तकनीकों से मदद करें। कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने विश्वविद्यालय में लगी प्रदर्शनी को देखा, इसमें श्री अन्न से बने विभिन्न उत्पादों के बारे जानकारी ली। इस अवसर पर मुख्य अतिथि कृषि मंत्री ने अन्न पर आधारित पुस्तकों का विमोचन किया। किसान सम्मान निधि कार्यक्रम के दौरान कृषि मंत्री ने हिमाचल प्रदेश के प्रगतिशील किसान नेकराम शर्मा एवं छतरपुर की प्रगतिशील महिला किसान हब्बी बाई को सम्मानित किया। ‌ कुलपति डॉ. अशोक कुमार सिंह ने कहा कि अन्न को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय अग्रणी भूमिका निभा रहा है। पिछले दो वर्षों में कोदो और साबा की खेती में विशेष सफलता मिली है और मिलेट्स की अन्य फसलों की उत्पादन और उत्पादकता कैसे बड़े इस पर प्रयास चल रहा है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष श्री अन्न के रकबे में तीन लाख हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। बुंदेलखण्ड अन्न के लिए उपयुक्त है। यह आयोजन चार बिंदुओं पर केंद्रित है। उत्पादन, प्रशंस्करण, बाजार, किसान समूहों कैसे जोड़ें । इन सबके लिए एक पॉलिसी जरूरी है। इसमें देश के वरिष्ठ वैज्ञानिक, उद्योगपति, बाहर से आए श्री अन्न विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं। इसमें दो दिवसीय चर्चा नीतिगत निर्णय निकल कर आएगा। विवि के वैज्ञानिक एवं शोधकर्ताओं से आवाहन किया कि इसके साथ-साथ शुरूआती शोध पर भी वैज्ञानिक शोध करने की आवश्यकता है। ‌‌ ‌‌ भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् – भारतीय कदन्न अनुसंधान संस्थान हैदराबाद (आईआईएमआर) कीं निदेशक सी तारा सत्यवती ने अन्न पर नई पॉलिसी बनाने पर जोर दिया। जिलाधिकारी अविनाश कुमार ने कहा कि प्रशासनिक कार्यों में सबसे अधिक कार्य किसानों से संबंधित ही होता है। उन्होंने कहा कि एफपीओ और प्रगतिशील किसान के माध्यम से अन्न को किसानों तक पहुंचाना आसान होगा। इस दो दिवसीय राष्ट्रीय परामर्श के मंथन में जो भी निर्णय निकलकर आएं उसको जिला प्रशासन धरातल पर उतारने में पूर्ण मदद करेगा। कुलाधिपति डॉ. पंजाब सिंह ने कहा कि मिलेट्स आधारित खाद्य प्रणाली को एक स्थाई कृषि समाधान के रूप में बढ़ावा देना चाहिए और बताया कि बुंदेलखंड क्षेत्र में अन्न का बहुत बड़ा स्कोप है। कुलपति डॉ. अशोक कुमार सिंह ने जिलाधिकारी झाँसी अविनाश कुमार, कुलाधिपति डॉ. पंजाब सिंह को अन्न से बने उत्पाद, स्मृति चिन्ह, अंगवस्त्र भेंट किया। इस अवसर पर संयुक्त कृषि निदेशकडॉ0 एल0बी0यादव, उप कृषि निदेशक एमपी सिंह, जिला कृषि अधिकारी के के मिश्रा सहित उद्यमी, मिलेट्स विशेषज्ञ, देश के विभिन्न जगहों से आए कृषि वैज्ञानिक, कृषि विभाग झाँसी एवं विवि के सभी अधिकारी उपस्थित रहे।

रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा

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