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हत्यारोपी की नही चली चालाकी, प्रेमिका की हत्या का दर्शाना चाह रहा था आत्महत्या, न्यायालय ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा

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झांसी। दो वर्ष पूर्व कोतवाली थाना क्षेत्र में शादी करने की जिद पर अड़ी प्रेमिका को रास्ते से हटाने के लिए अभियुक्त ने उसके ही घर में उसकी हत्या कर शव को फंदे पर लटका दिया और उसे आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की। परिजनों की तहरीर पर लिखे गए मुकदमे के बाद न्यायालय में ट्रायल हुआ और आरोपी पर हत्या कर साक्ष्य छुपाने का आरोप सिद्ध होने पर न्यायालय विशेष न्यायाधीश अनुसूचित जाति अनुसूचित जन जाति अत्याचार निवारण अधिनियम झांसी धीरेंद्र कुमार तृतीय की अदालत ने आरोपी को हत्या करने ओर साक्ष्य छुपाने के आरोप में आजीवन कारावास की सजा ओर एक लाख दस हजार रूपया अर्थदंड का आदेश सुनाया। जिसमे 90 हजार रुपए पीड़िता के परिजनों को दिया जाएगा। लोक अभियोजन की ओर से पैरवी कर रहे शासकीय अधिवक्ता केशवेंद्र प्रताप सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि 22 मार्च 2022 को बड़ागांव गेट बाहर निवासी महिला ने कोतवाली थाना में रिपोर्ट दर्ज कराते हुए बताया था

कि उसकी बेटी का बड़ागांव गेट बाहर तलैया मुहल्ला निवासी युवक सूरज पाल से प्रेम प्रसंग चलता था। सूरज पाल उसकी पुत्री को शादी का झांसा देकर संबंध बनाए था। उसने रिपोर्ट में बताया था कि गत दिवस सूरज पाल उसके घर आया और उसकी पुत्री से अकेले में बात करने की कहकर ऊपर वाले कमरे में चला गया। इसके कुछ देर बाद सूरज पाल ने आवाज लगाते हुए कहा कि युवती ने फांसी लगा ली। इस पर मृतिका की मां भाई बहन सभी लोग ऊपर कमरे में दौड़े तो देखा वह फांसी के फंदे पर लटकी थी। उसे तत्काल उतार कर अस्पताल ले गए जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। आरोप लगाया था कि सूरज पाल उसकी पुत्री से शादी नहीं करना चाहता था केवल संबंध बनाए रखना चाहता था। लेकिन उसकी पुत्री शादी की जिद पर अड़ी थी इसी के चलते सूरज पाल ने पुत्री को रास्ते से हटाने के लिए बड़ी चालाकी से उसकी हत्या कर शव को फंदे पर लटका दिया। पुलिस ने आरोपी के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर न्यायलय में आरोप पत्र दाखिल कर दिया था। न्यायलय में सुनवाई के दौरान तमाम गवाह और साक्ष्य के आधार पर आरोपी पर हत्या कर साक्ष्य छुपा कर उसे आत्महत्या करार देने का जुर्म साबित होने पर आज न्यायालय ने आरोपी सूरज पाल को आजीवन कारावास और एक लाख दस हजार रूपया अर्थदंड अदा करने का फैसला सुनाया। साथ अर्थदंड की 90 हजार की धनराशि पीड़ित के परिजनों को देने का आदेश सुनाया। इस मामले में शासकीय अधिवक्ता केशवेंद्र प्रताप ने ठोस पैरवी की।

रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा

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