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आ. न.1587 आखिर दोषी कौन, फिर नजूल की भूमि कहा गई, नगर निगम ने ली थी कब्जे में, फिर शुरू हुआ निर्माण

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झांसी। गरिया गांव में आराजी नंबर 1587 की भूमि को लेकर बड़ा असमंजस पैदा हो रहा है। शिकायत पैमाईस भूमि को नजूल की भूमि दर्शा कर नगर निगम ने अपने पिलर और बोर्ड लगा दिए थे। बावजूद इसके चार माह बाद फिर निजी निर्माण कार्य शुरू हो गया। निर्माण कार्य करने वालों ने इस भूमि को अपना बताकर दावा किया है। अगर यह भूमि निर्माण कार्य करने वालों की है तो फिर नजूल की सरकारी भूमि कहा गई और नगर निगम ने कैसे इस भूमि पर अपने बोर्ड पत्थर लगा कर शिकायत पर आख्या लगाई की भूमि कब्जे में लेकर सुरक्षित की गई। यह नगर निगम की कार्यवाही पर बड़ा प्रश्नचिन्ह लग रहा गई। आपको बता दे की गौरव साहू ने पांच माह पूर्व नगर निगम को शिकायत करते हुए बताया था कि प्रेमनगर इलाका स्थित गरिया गांव में आराजी संख्या 1587 जो नजूल की भूमि है, उस पर कुछ लोगों द्वारा बाउंड्री बॉल बनाई जा रही है। नजूल की भूमि का मामला प्रकाश में आते ही नगर निगम की टीम ने मौका मुआयना करते हुए मौके पर अपने पिलर और बोर्ड लगाकर जमीन सुरक्षित करते हुए उसे नजूल की भूमि बताया था। साथ ही आख्या दी थी कि मौके पर राजस्व विभाग नगर निगम की टीम द्वारा पैमाइस करते हुए चूना डाला गया और पिलर तथा बोर्ड लगा दिए है, मौके पर कोई निर्माण कार्य नही हो रहा है। इस आख्या के बाद चार माह गुजरे ही थे कि उस जमीन पर फिर निर्माण कार्य शुरू हो गया। नगर निगम के पिलर और बोर्ड को अंदर करते हुए उसके चारों ओर से बाउंड्री बॉल बनाई जा रही है। निर्माण कार्य करने वाले दावा कर रहे कि यह जमीन उनकी है। अब मामला यहां फस रहा कि आखिर अगर यह नजूल की भूमि है तो निर्माण कार्य करने वाले की भूमि कहा गई और अगर यह निर्माण कार्य करने वालों की भूमि है तो नजूल की भूमि कहा गई। सरकारी भूमियों पर हो रहे अवैध कब्जे को रोकने और भू माफियाओं पर कार्यवाही करने के दावे खोखले नजर आ रहे है।

रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा

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