Home उत्तर प्रदेश उर्स का मतलब अदब और एहतराम करना व भूखों को खाना खिलाना

उर्स का मतलब अदब और एहतराम करना व भूखों को खाना खिलाना

23
0

झांसी। मदरसा अल जामियातुल राज्जाकिया सोसायटी आस्ताना-ए- सरकारे बांसा व अपिया हुजूर महाराज सिंह नगर पुलिया नंबर 9 झांसी द्वारा हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी ईद की 5 वीं तारीख को आस्ताना-ए- सरकारे बांसा व अपिया हुजूर से जुड़े हुए सभी अकीदतमंदों ने सूफी मुहम्मद अफराज हुसैन सिद्दीकी कादरी रज्जाकी नियाज़ी के नेतृत्व में जिला बाराबंकी के अल-मजमा-उल रज़ज़ाकि आसताने-आलिया रज़्ज़ाकिया बाँसा शरीफ में सैकड़ों की तादात में पहुंचकर कुल शरीफ उर्स में शामिल हुए अकीदतमंदों ने चादरपोशी कर अमन चैन की दुआ मांगी। वही आसताना सरकार बांसा अपिया हुजूर झांसी पर भी फातिहा व लंगर का एहतमाम किया गया । अल-मजमा-उल रज़ज़ाकि आसताने-आलिया रज़्ज़ाकिया बाँसा शरीफ में सज्जादा नसीन शाह मुहम्मद उमर अहमद जीलानी के जेरे निगरानी में अब्दुलर्रज़्ज़ाक़ बाँसवी का 309वां उर्स कुल शरीफ का आगाज सुबह फजर की नमाज के बाद कुरानख्वानी व फातिहा के साथ हुआ। मीलाद शरीफ के बाद सुबह 10 बजे सरकार बाँसा की फातिहा हुई। अल-मजमा-उल रज़ज़ाकि आसताने-आलिया रज़्ज़ाकिया बाँसा शरीफ के सज्जादा मुहम्मद उमर अहमद जीलानी ने जिंदगी के हालातों पर रोशनी डाली कि सैय्यद शाह अब्दुल रज्जाक का जन्म महमूदाबाद के पास रसूलपुर में हुआ था। बांसा में उनका ननिहाल था आपने घर पर ही शिक्षा ग्रहण की और फिर घर से अल्लाह की राह में निकल पड़े आपके दो बेटे थे एक रुदौली शरीफ और दूसरे बांसा शरीफ में उनकी मजार है। सैय्यद शाह अब्दुल रज्जाक साहब को अनेकों राजा महाराजाओं ने रूपया पैसा देने की पेशकश की थी पर आपने उनसे यह कहकर मना कर दिया था कि फकीरों को पैसे का क्या काम हम तो अल्लाह की राह में हैं। उन्होंने ये भी बताया कि सैय्यद शाह अब्दुल रज्जाक का विसाल ईद की पांच तारीख को बांसा में हुआ था। यहां पर उनकी मजार भी स्थित है। अकीदतमंद चादरपोशी कर अमनो चैन की दुआ मांगते हैं । इस अवसर पर मौलाना हसन अल्वी रज्जाकी, मौलाना इंतिखाब आलम साबरी रज़्ज़ाकिया, मौलाना हसन अहमद रज़्ज़ाकी, मौलाना शम्स रज़्ज़ाकी सहित तमाम हाफिज व कारीयों ने कहा कि उर्स का मतलब अदब और एहतराम करना व भूखों को खाना खिलाना है। मुरीदों को अपने पीर और उनके बच्चों का अदब और एहतराम करना चाहिए। दूसरो को दुखी देखकर खुश नहीं होना चाहिए इससे अल्लाह नाराज़ होता है हमेशा दुखी लोगो के दुख में साथ देना चाहिए इसी का नाम इस्लाम धर्म है। ये भी बताया गया कि मदरसों से मौलवी और अल्लाह के वली औलिया की खानकाहों से मौला निकलते हैं। इस अवसर पर मुफ्ती कमाल अख्तर, हाफिज सलमान, हाफिज सलीम, हाफिज अतीक हाशमी एम आर, हाफिज तालिब, नियाज महोबी, शहर काजी हाशिम मौलाना, कारी जमील, मौलाना इमरान, गुलाम फैज, कारी सलीम , अब्दुल रहमान, अब्दुल वाहिद, जफर खान, मास्टर सोहराब, मुबारक अली खान, एहसान, मेहताब, फरहान, अरवाज, साहिद, संजय, राशिद अंसारी, राम सहाय, आसिफ , आरिफ खान, सुल्तान ,सादिक, नसीम, मुन्ना, बशारत अली, मास्टर अलीम, मोहम्मद अली सहित अनेक ख़्वातीन मौजूद रही। निज़ामत मौलाना तौहीद वारसी ने की। आभार सूफी मुहम्मद अफराज हुसैन सिद्दीकी कादरी रज्जाकी नियाज़ी ने व्यक्त किया।

रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here