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बुंदेलखंड क्षेत्र में गेहूं /कठिया गेहूं की उत्पादन तकनीक ” पर तीन दिवसीय किसान प्रशिक्षण संपन्न

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झांसी।* रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झांसी के कुलपति डॉ अशोक कुमार सिंह निर्देशन मे विभिन्न प्रशिक्षण किसानों के लिए चलाएं जा रहे है। कृषि वैज्ञानिक डॉ गुंजन गुलरिया ने कहा कि गेहूं का इंसान के जीवन में बहुत महत्व है। गेहूं खाद्यान्न फसल होने के साथ साथ औषधीय गुणों से भरपूर अन्न है। इसी श्रृंखला में मगरपुर एवं बंगरा गांव में विवि द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित हुए। आज विश्वविद्यालय सभागार में किसानों को निदेशक प्रसार शिक्षा एसएस सिंह एवं अधिष्ठाता कृषि डॉ आरके सिंह ने प्रमाण पत्र देकर किसानों को सम्मानित किया। ९० किसानों ने प्रशिक्षिण प्राप्त किया। सह-संयोजक डॉ. शिव वेंद्र सिंह ने गेहुं एवं कठिया गेहूं की उन्नंत उत्पादन तकनीकी के बारे में एवं किस्मों को जानकारी दी। किसानो को फसल उत्पादन में उन्नत बीज के महत्व, कुशल पोषक तत्व, सिंचाई जल एवं खरपतवार प्रबंधन के बारे में जागरुक किया। साथ ही फसल कटाई के बाद अवशेष प्रबंधन के साथ भी चर्चा की। सहायक प्राध्यापक डॉ. सुशील कुमार सिंह ने प्राकृतिक,मुख्यतः मिट्टी एवं जल संरक्षण के बारे में जानकारी दी। जल संरक्षण एवं मिट्टी को उपजाउ बनाए रखने के लिए न्यूनतम जुताई, फसल चक्रण, दलहनी फसल के महत्व, अच्छादन एवं हरी खाद पर गहन चर्चा की। किसानो के खेती से जुड़े विभिन्न प्रश्नो के उत्तर दिए और समस्याओं के समाधान सुझाए। संयोजक डॉ गुंजन गुलेरिया ने बताया कि कठिया गेहूं की उपज कम पानी और कम रासायनिक खादों से ही अच्छी हो जाती है। कठिया गेहूं शुगर, पेट विकार, टाइफाइड जैसी बीमारियों के लिए लाभदायक कठिया गेहूं में भरपूर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट्स, विटामिन ए, फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं। साथ ही साथ किसानों को नई कठिया गेहूं कि प्रजातियों से भी अवगत करवाया। सह-संयोजक डॉ अनीता पूयाम ने बताया कठिया गेहूं में आने वाले रोगों के बारे में जानकारी दी, साथ ही किसानों को बीज उपचार करके ही बीजाई करनी चाहिए। सह-संयोजक डॉ विश्वनाथ ने मृदा स्वस्थ्य के बारे में अवगत कराया कि किस तरह से मृदा को स्वस्थ्य बनाये रखने के लिए कम कम से कम रासायनिक खाद का इस्तेमाल करें। इस अवसर पर वैज्ञानिकों ने प्रथम पंक्ति प्रदर्शन के अंतर्गत दिए गए गेहूं एवं कठिया गेहूं फसल किसानों के खेत पर जाकर देखें। डॉ सुंदरपाल ने कीट प्रबंधन के बारे में किसानों को जानकारी दी। डॉ एसआर कांटवा, प्रधान वैज्ञानिक आईजीएफआरआई ने किसानों को खेत में जाकर किसानों गेहूं/कठिया गेहूं के बारे में जानकारी दी। डॉ विश्वनाथ ने संचालन एवं डॉ अनीता पुयाम ने आभार व्यक्त किया।

रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा

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