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रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय का ग्यारहवां स्थापना दिवस बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया विद्यार्थी ही देश का भविष्य हैं : हरगोविंद कुशवाहा

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झाँसी। आज रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी का ग्यारहवां स्थापना दिवस समारोह दो सत्रों के साथ हर्षोल्लास से मनाया गया। प्रथम सत्र में कृषि जागरण समूह नई दिल्ली के सहयोग से समृद्ध किसान उत्सव मनाया गया। इसके मुख्य अतिथि कुलपति डाॅ. अशोक कुमार सिंह रहे। अध्यक्षता निदेशक राष्ट्रीय पादप आनुवांशिक संसाधन ब्यूरो नई दिल्ली, डाॅ. जीबी सिंह, विशिष्ट अतिथि निदेशक प्रसार शिक्षा डाॅ. एसएस सिंह, निदेशक शिक्षा डाॅ. अनिल कुमार, संस्थापक एवं मुख्य संपादक, कृषि जागरण एमसी डोमीनिक, कुलसचिव डाॅ. मुकेश श्रीवास्तव, निदेशक कृषि जागरण श्रीमती शाइनी डोमीनिक, जैन इरीगेशन सिस्टम लिमिटेड अनिल कुमार वर्मा, समूह संपादक एवं सीएमओ कृषि जागरण श्रीमती ममता जैन, महिन्द्रा ट्रैक्टर्स से अमित सिंह एवं अश्विनी सिंह सभी अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर प्रथम सत्र की शुरूआत की। सभी का स्वागत परिचय प्रसार शिक्षा निदेशक डाॅ. एसएस सिंह ने दिया। महिन्द्रा ट्रैक्टर्स से आए अमित सिंह एवं अश्विनी सिंह ने महिन्द्र ट्रैक्टर्स की खूबियों से किसानों को परिचित कराया। निदेशक शिक्षा डाॅ. अनिल कुमार ने कहा कि आज किसानों का सम्मान होना गौरव की बात है। कृषि विवि किसानों के लिए उत्पादन बढ़ाने, मशरूम, मधुमक्खी, मूल्य संर्बधन, ड्रोन, मोबाईल एप्प, यूट्यूब, समाचार पत्रों आदि के माध्यम से गांव तक पहुंचकर पहचान बनाई है। निदेशक राष्ट्रीय पादप आनुवांशिक संसाधन ब्यूरो नई दिल्ली डाॅ. जीबी सिंह ने कहा कि किसानों को नवीनतम किस्म की जानकारी समय – समय पर मिलती रहना चाहिए। उन्होंने कृषि विवि के वैज्ञानिकों से आवाहन किया कि बुंदेलखण्ड के किसानों को वैज्ञानिक तकनीक उपलब्ध कराई जाये। आगे यह विधि किसानों की दिशा एवं दशा में अहम सहयोग करेगी। राष्ट्रीय पादप आनुवांशिक संसाधन ब्यूरो नई दिल्ली एवं कृषि विवि मिलकर किसानों की समस्याओं का निदान करेंगे। यहां पर पानी का आभाव होने के कारण किसान वर्षा के पानी पर ही निर्भर रहता है। कृषि वैज्ञानिकों ने एसी किस्में निजात की है, कि वह कम पानी पर भी लग जाती हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् नई दिल्ली के सहयोग से कम पानी बाली किस्में यहां के किसानों को मुहैया कराई जांयेगी। संस्थापक कृषि जागरण एमसी डोमीनिक ने कहा कि प्रत्येक किसान का स्वप्न होता है कि वह अमीर बने। जिससे उनके बच्चे और आगे बढ़ सकें। उन्होंने कहा कि किसान को वह तकनीक अपनानी पड़ेगी कि कम खर्चे में फसल से अधिक मुनाफा प्राप्त हो। हमारे समूह का संकल्प है किसान की आय बढ़े। अभी भारत देश से 2 किसान बा्रजील भेजे गए। हमारी कामना है कि बुंदेलखण्ड क्षेत्र के किसान मशरूम, शहद, फल, फूल, गेहूं, मूंगफली, चना आदि फसल उत्पादन में देश में जाना जाय। मुख्य अतिथि कुलपति डाॅ. अशोक कुमार सिंह ने ग्यारहवें स्थापना दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि कृषि जागरण समूह कि पूरी टीम की सराहना करता हूं कि वह किसानों के लिए पूरे देश में काम कर रहा है। उन्होंन कहा कि कृषि जागरण समूह कि सोच है लखपति किसान की समृद्धि का जश्न भारत में होना चाहिए। उनकी उपलब्धि देखकर अन्य किसान भी प्रेरणा लें। कुलपति ने कहा कि हमारा देश किसानों का देश है। किसान समृद्ध तो देश समृद्ध कृषि विवि की बड़ी जिम्मेदारी किसानों व विद्यार्थियों की है। जो भी विवि का उत्पाद हो या छात्र यहां से शिक्षा प्राप्त करके निकले तो सदैव किसान हित में कार्य करेगा। सरकार किसानों के लिए तमाम योजनाएं चला रही है। किसान उनको आगे बढ़कर प्राप्त करें। बुंदेलखण्ड क्षेत्र को दलहन एवं मोटे अनाज की खेती के लिए जाना जाता था। खेती का क्षेत्रफल तो बढ़ा है लेकिन संस्करण की कमी है यहां खरीफ में मक्के की संभावना है। उर्द में किसानों को मिलजुलकर काम करना होगा। यहां बहुआयात में मूंगफली की पैदावार होती है। उस मूंगफली द्वारा अन्य उत्पाद तैयार कर युवा किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं। मैंने भ्रमण के दौरान देखा कि कई गांव में आज भी पुरानी प्रजाति के बीज उपयोग हो रहे हैं। किसानों को नए किस्मों के बीज प्रयोग करना चाहिए जिससे उनका उत्पादन बढ़ सके। पशुपालन क्षेत्र में भी किसानों को आगे आना पड़ेगा। पशुओं की नई किस्म जैसे गिर, थारपाकार, मुर्रा आदि प्रजाति अपनाना पड़ेगी। कृषि विवि में दलहन, तिलहन प्रसंस्करण इकाई लगी है कोई भी किसान यहां आकर वह तकनीक सीख सकता हैं। विवि ने इस वर्ष कई एफपीओ को भी जोड़ लिया है बुंदेलखण्ड में खेती सुधारने का प्रयास कृषि विवि का अवश्य सफल होगा। अन्त में 29 किसानों को सम्मानित किया गया। इसमें झाँसी, ललितपुर, दतिया, टीकमगढ़, शिवपुरी से 631 किसानों ने भाग लिया। द्वितीय सत्र सांस्कृतिक संध्या के मुख्य अतिथि अन्र्तराष्ट्रीय बौद्ध संस्थान, लखनऊ उपाध्यक्ष हरगोबिंद कुशवाहा रहे। अतिथि निदेशक राष्ट्रीय पादप आनुवांशिक संसाधन ब्यूरो नई दिल्ली, डाॅ. जीबी सिंह, निदेशक आईजीएफआरआई डाॅ. विजय यादव, निदेशक काफरी डाॅ. ए अरूणाचलम, कृषि जागरण समूह के संस्थापक एमसी डोमीनिक अध्यक्षता कुलपति डाॅ. अशोक कुमार सिंह ने की। सभी अतिथियों ने सांस्कृतिक संध्या का शुभारम्भ दीप प्रज्जवलित कर किया। मुख्य अतिथि हरगोबिंद कुशवाहा ने कहा कि विद्यार्थी ही देश का भविष्य हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि आप लोगों को कृषि विवि की ख्याति देश – विदेश में फैलाना है। जिस प्रकार से खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी बाली रानी थी दोहा सुनाकर रानी झाँसी का ब्याख्यान किया। कि किस तरह वीरता के बल पर आज रानी को पहचाना जाता है। बुंदेलखण्ड क्षेत्र में ही प्राचीन ग्रन्थ, उपन्यास, पुराण लिखे गए। उन्होंने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों का यहां के किसानों को अच्छा सहयोग मिल रहा है। अन्त में कृषि विवि की उन्नति के लिए दोहा सुनाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति डाॅ. अशोक कुमार सिंह ने कहा कि पूर्व में जिन वैज्ञानिकों, अधिकारियों का सहयोग विवि की उन्नति में रहा है उनको भी में धन्यवाद देता हूं। आज जो विवि में सुबिधाएं हैं वह अन्य संस्थाओं से कम नहीं हैं। विवि को अभी शोध में विशेष काम करने की आवश्यकता है। आज विवि में 600 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। आगे 2030 तक विद्यार्थियों की संख्या 3000 होना है। इसके लिए विभिन्न कार्य योजनाएं क्रियान्वित की जायेगी। उन्होंने भारत सरकार एवं आईसीएआर का भी धन्यवाद ज्ञापित किया। कि जब जब जो सुबिधाएं झाँसी विवि के लिए मांगी गई वह उन्होंने पूर्ण किया। अन्त में छात्र-छात्राओं द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। निदेशक शिक्षा डाॅ. अनिल कुमार ने सभी अतिथियों का परिचय कराते हुए विवि के स्थापना से अभी तक के कार्यों की विस्तृत जानकारी दी। इस अवसर पर डाॅ. एसएस सिंह, डाॅ. आरके सिंह, डाॅ. वीपी सिंह, डाॅ. एसके चतुर्वेदी, डाॅ. वीके बेहेरा, डाॅ. एमजे डोबरियाल, डाॅ. एसएस कुशवाह, डाॅ. डीवी सिंह सहित विवि के सभी अधिकारी, विभागाध्यक्ष, वैज्ञानिक, शिक्षक, विद्यार्थी एवं शैक्षणिक व अशैक्षणिक कर्मचारी उपस्थित रहे। संचालन डाॅ. अर्तिका सिंह एवं कुलसचिव डाॅ. मुकेश श्रीवास्तव ने सभी का आभार व्यक्त किया।

रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा

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