Home उत्तर प्रदेश बाहरी कहने के बाद कैसे बदली उम्मीद की किरन पूछता है झांसी

बाहरी कहने के बाद कैसे बदली उम्मीद की किरन पूछता है झांसी

28
0

झांसी। वीरांगना महारानी लक्ष्मी बाई की कर्मस्थली झांसी का नाम जब जब देश विदेश में लिया जाता है, तो झांसी के साथ रानी की शोर्य गाथा भी याद आ जाती है। इतना ही नहीं जब बुंदेले हर बोलो के मुंह हमने सुनी कहानी थी खूब कड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी इसे सुनकर हर झांसी वासी का रोम रोम उठ जाता है और झांसी के नाम की आन बान शान बचाने के लिए अपने प्राणों तक न्यौछावर करने को तैयार हो जाते है। वह इसलिए क्योंकि रानी लक्ष्मी बाई के लिए आज भी झांसी वासी अपना सब कुछ अर्पण करने को तैयार है। झांसी बासियो की इसी दरिया दिली का राजनेतिक लोग गलत फायदा उठा जाते है। मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी रानी लक्ष्मी बाई के बोल को अपने राजनेतिक भाषण बनाकर कि मैं अपनी झांसी किसी बाहरी को नही दूंगी। इस भाषण के बाद खूब सिंपैथी जीती। झांसी वासियों को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में एक उम्मीद की किरन जागी। लेकिन जनता को यह नही पता था की यह सब अपने राजनेतिक भविष्य के लिए भावनाओं से खिलवाड़ है, ओर हुआ भी यही नामांकन प्रक्रिया के बाद भाषण बाजी में रानी झांसी के नाम पर जनता खूब समर्थन अपने ऊपर तक दिखा दिया। जिसके चलते पार्टी के आलाधिकारियों ने तत्काल निर्दलीय के रूप में जनता के लिए बन रही उम्मीद की किरन ने एका एक अचानक फैसला बदल दिया और निर्दलीय चुनाव लडने का इरादा छोड़ कर जिसे बाहरी प्रत्याशी बताकर झांसी नहीं देने की बात कही थी फिर जनता से अपील कर दी की अब मैं अपनी झांसी उन्ही को दूंगी। शोशल मीडिया पर मंगलवार की रात अचानक उम्मीद की किरन के स्वर बदल जाने से झांसी वासियों के चेहरे पर मायूसी सी छा गई। अब हर कोई सिर्फ एक ही सवाल कर रहा है की बाहरी कहने के बाद कैसे बदली उम्मीद की किरन पूछता है। शोशल मीडिया पर इस सवाल को लेकर कई प्रकार के आरोप प्रत्यारोप लगाए जा रहे है। फिलहाल जो भी हो जिसे बाहरी कहा उसके लिए अब राहत की सांस बन रही जीत की उम्मीद की किरन।

रिपोर्ट – मुकेश वर्मा

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here