
झांसी। जैन दर्शन के शाश्वत पर्वाधिराज पर्युषण दसलक्षण पर्व के छंटवें दिन नगर के समस्त जैन मन्दिरों में उत्तम संयम धर्म की आराधना के साथ सुगंध दशमी का पर्व मनाया गया। इस अवसर पर जैन धर्मावलंबियों द्वारा अष्टकर्म को नष्ट करने हेतू अग्निकुंड में धूप समर्पित की गई। धूप की सुगंध से मंदिरों सहित आसपास का वातावरण सुगंधित हो गया। प्रातःकाल की बेला में मेडिकल कॉलेज गेट नं 3 के आगे निर्माणाधीन भगवान महावीर महातीर्थ में मुनिश्री अविचलसागरजी महाराज के मंगल सान्निध्य में विश्वशांति की मंगलकामना के साथ श्रीजी के मस्तक पर शांतिधारा करने का सौभाग्य राजीव जैन शिवाजी, एंजि.अतिशय जैन (विश्वपरिवार) को प्राप्त हुआ। इसके पूर्व अमृत पावन वर्षायोग समिति के मुख्य सलाहकार डॉ राजीव जैन, मुख्य संयोजक अतुल जैन सर, स्वागताध्यक्ष अंकित सर्राफ, वरिष्ठ महामंत्री दिनेश जैन डीके, महामंत्री सौरभ जैन सर्वज्ञ, कार्यक्रम संयोजक नितिन जैन सदर, निशांत जैन डेयरी, अंशुल जैन बघेरा ने विधिविधान पूर्वक जलाभिषेक किया। इस अवसर पर डॉ राखी जैन (विश्वपरिवार), प्रतिभा जैन सदर, सुनीता शिवाजी, प्रियंका जैन, सोनम जैन, पूजा जैन, रवि जैन, लक्ष्मी जैन बुटीक, कु. स्वस्ति जैन ने मंगल आरती करके पूजन-विधान सम्पन्न किया। धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री अविचलसागरजी महाराज ने कहा कि संयम के बिना जीवन जैसे बिना ब्रेक की गाड़ी, उत्तम संयम धर्म जैन धर्म के दशलक्षण पर्व का छठा धर्म है, जिसका अर्थ है मन, वचन और शरीर को वश में रखकर इन्द्रियों और इच्छाओं पर नियंत्रण पाना। इसमें आत्मा को सभी विकारों से शुद्ध करना, विषयों से आसक्ति छोड़ना और आंतरिक शांति व आध्यात्मिक विकास प्राप्त करना शामिल है। यह आत्म-संयम और आत्म-अनुशासन के माध्यम से मोक्ष की ओर ले जाने का मार्ग है। इस अवसर पर चातुर्मास समिति के अध्यक्ष शैलेन्द्र जैन प्रेस, सलाहकार डॉ निर्देश जैन, उपाध्यक्ष मनोज सिंघई, डॉ अभिषेक जैन, संयोजक विशाल जैन गुदरी, विशाल सिंघई, आशीष जैन सोनू, श्रीमति रुचि जैन, मनीषा सिंघई, अर्चना जैन, दीपाली सिंघई सहित अनेकों श्रद्धालुओं की उपस्थिति रही। संचालन चातुर्मास समिति के महामंत्री सौरभ जैन सर्वज्ञ एवं आभार वरिष्ठ महामंत्री दिनेश जैन डीके ने व्यक्त किया।
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अमृत पावन वर्षायोग समिति के महामंत्री सौरभ जैन सर्वज्ञ ने बताया कि बुधवार 3 सितम्बर को उत्तम तप धर्म की पूजा आराधना होगी। इस दिन श्रावक – श्राविकाएं विशेष रूप से व्रत उपवास की कठिन साधना करते हैं।
रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा


