झाँसी। आज तृतीय दिवस के प्रथम सत्र में पूर्व प्रधान वैज्ञानिक भोपाल डॉ. ए बी सिंह ने प्राकृतिक खेती के विभिन्न घटकों के बनाने की प्रक्रिया बताई। प्रगतिशील किसान अशोक कुमार ने प्राकृतिक खेती और केंचुआ खाद पर अपना विस्तृत व्याख्यान दिया। कृषि विज्ञान केन्द्र शिवपुरी के डॉ. मुकेश भार्गव ने इस सत्र की अध्यक्षीय संबोधन में फसल विविधता की जानकारी किसानों को दी।समापन सत्र में भारतीय किसान संघ के सचिव, दिनेश कुलकर्णी अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि आज उत्पादन से पोषणता पर कार्य करना होगा। मिट्टी में उपस्थित सूक्ष्म से सूक्ष्म पोषक तत्त्व की क्षमता घटती जा रही है। सर्वप्रथम हमारी आवश्यकता है पोषणयुक्त अनाज पैदा करना। बुंदेलखण्ड में पहले श्रीअन्न की बढ़ी महत्त्वता रही है। किसान श्रीअन्न करने के लिए पुनः प्रयत्नशील हों। उन्होंने कृषि विवि के वैज्ञानिकों से आवाहन किया कि किसानों को अच्छे से अच्छा बीज उपलब्ध कराएं लेकिन इसमें शोध की आवश्यकता है। उन्होंने कहा प्राकृतिक, जैविक खेती के लिए पाठ्यक्रम भी लागू कर दिया है। इस कार्य में किसानों को भी सहयोगी बनाएं। उन्होंने गौ आधारित खेती करने पर भी बल दिया और कहा कि किसान भाई पशुओं अपने खेत पर ही बांधें और उनके गौ मूत्र, गोबर का उपयोग अपने खेती में करें। दिनेश कुलकर्णी जी ने कहा कि जलवायु समावेशी कृषि प्रणाली को लेकर यह प्रदर्शनी लगाई है जो यह बुंदेलखण्ड के किसानों के लिए लाभकारी होगी। तिलहन व दलहन एवं बागवानी क्षेत्र में किसानों को कार्य करने की आवश्यकता है। मुख्य अतिथि झाँसी मेयर बिहारीलाल आर्य ने झाँसी नगर में लगा वृहद किसान मेला एवं कृषि प्रदर्शनी का आयोजन करने के लिए कुलपति को साधुवाद देते हुए बताया कि यह मेला निश्चित तौर पर किसानों के लिए मील का पत्थर साबित होगा। आर्य नेे कहा कि भारत की पहचान खेत खलिहान और किसान है। किसान देश को अन्न, फल, सब्जी, दूध आदि उपलब्ध कराता है इसीलिए किसान ग्राम देवता कहा गया है। भारत आज फल, फूल, दूध एवं अन्य उत्पादन करके अन्य देशों को भी भेजने में मदद कर रहा है। इन सब का श्रेय किसानों व कृषि वैज्ञानिकों को जाता है। इस किसान मेले में जो मॉडल बनाए गए हैं उनको किसान अपनाकर अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं। प्रदेश में मुख्यमंत्री ऐसे आयोजन के लिए हर सम्भव मदद के लिए तैयार हैं। यहां पर औषधीय खेती को बढ़ावा मिलना चाहिए। विशिष्ट अतिथि मण्डलायुक्त झाँसी मण्डल श्री विमल कुमार दुबे ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की परिकल्पना है कि उत्तर प्रदेश को 1 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाना है। यह सब ग्रामवसियों का सहयोग जरूरी है। भारत सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा विभिन्न कृषक योजनाएं चलाई जा रहीं हैं। इन सभी योजनाओं का लाभ किसान अवश्य उठाएं। उ0प्र0 सरकार किसानों के लिए कृत संकल्पित है। किसानों को पुरानी खेती की पारिपाटी बदलनी पड़ेगी। मण्डलायुक्त ने श्रीअन्न पुनरूद्धार योजना के बारे में बताते हुए कहा कि सरकार श्रीअन्न पर काफी जोर दे रही है एवं श्रीअन्न बीज के पैकेट झाँसी में भी दिए गए हैं। किसान मेला एवं कृषि प्रदर्शनी में लगे श्रीअन्न, समेकित खेती, पशुपालन, मत्स्य पालन, दलहन उत्पादन, पॉलीहाऊस, बागवानी आदि मॉडल की उन्होंने प्रशंसा करते हुए कहा कि इन मॉडलों को किसान अपनाएं और अपनी आय में इजाफा करें। मण्डलायुक्त जी ने गौ आधारित खेती योजना, पर ड्राप मोर क्रॉप योजना, हाईटेक नर्सरी, सहकारिता योजना से किसानों को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि जिला जालौन में किसान सर्वाधिक मटर की खेती करते हैं इसके लिए प्रसंस्करण यूनिट लगाने के लिए देशभर से लोग हमसे जुड़ रहे हैं। मण्डलायुक्त ने बताया कि देश में तीन केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय हैं। हम झाँसी वासी भागयशाली हैं कि यहाँ रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय है। विशिष्ट अतिथि राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अरविंद कुमार शुक्ला ने कहा कि पूर्व में ऋषि पाराशर ने कृषि पर सबसे पहली पुस्तक लिखी थी उसमें यह लिखा है कि मूलभूत सुविधा कृषि ही देगी। कृषि से ही अन्न से लेकर तमाम उत्पाद प्राप्त हो रहे हैं। यह देखकर हर्ष हो रहा है कि इस किसान मेले में किसानों को एक ही छत के नीचे समस्त समाधान प्राप्त हो रहे हैं।यहां पर बीज, खाद, कृषि उपकरण, दवाइयां आदि से लेकर सभी तकनीकी मॉडल हैं। डॉ. शुक्ला ने कहा कि जबसे हमने ज्यादा उर्वरकों का प्रयोग किया है तबसे मृदा का दोहन हुआ है इस मृदा से उत्पन्न होने वाली फसलों में पोषकता की कमी आई है। पोषकता के लिए फसलों व भोजन में विविधीकरण लाना होगा। उन्होंने वैज्ञानिकों से आवाहन किया कि किसानों के साथ काम करें एवं प्राकृतिक खेती को भी अपनाएं। कार्यक्रम अध्यक्ष कुलपति डॉ. अशोक कुमार सिंह ने बताया कि कृषि विश्वविद्यालय का यह लगातार तीसरा मेला है। यहां किसानों को नई – नई तकनीकों की जानकारी दी गई हैं। उन्होंने कहा कि केन वेतवा लिंक योजना से किसानों को अधिकाधिक लाभ मिलने जा रहा है। जब किसानों को पानी मिलेगा तो किसान कई फसलों का लाभ ले सकेंगे। तिलहन, दलहन का रकबा भी बुंदेलखण्ड में बढ़ेगा। तेल की पूर्ति करने के लिए बुंदेलखण्ड योगदान कर सकता है। इसके लिए विवि तिलहन, दलहन की खेती में किसानों की पूर्ण मदद करेगा । राज्य सरकार व केन्द्र सरकार किसानों के लिए बहुत सी योजनाएं चला रही है। किसान जलवायु परिवर्तन अनुसार फसल, पशुपालन करें इससे निश्चित ही लाभ मिलेगा। आंवला, बेर, अमरूद, ड्रैगन फ्रूट, स्ट्राबेरी, पॉलीहाऊस में खेती विवि ने विकसित की है इन नई खेती को अपनाएं और लाभ उठाएं।आज तृतीय दिवस के मुख्य अतिथि झाँसी मेयर बिहारी लाल आर्य, विशिष्ट अतिथि मण्डलायुक्त झाँसी मण्डल झाँसी विमल कुमार दुबे (आईएएस), राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अरविंद कुमार शुक्ला एवं अध्यक्षता भारतीय किसान संघ के सचिव श्री दिनेश कुलकर्णी ने की। सभी अतिथियों को कुलपति डॉ. अशोक कुमार सिंह ने स्मृति चिन्ह, विवि में बने उत्पाद और अंग वस्त्र उड़ाकर स्वागत सम्मान किया। सभी अतिथियों का स्वागत परिचय निदेशक शोध डॉ. एसके चर्तुर्वेदी ने कराया और तीन दिवसीय मेले के आयोजन की विस्तृत जानकारी अतिथियों को दी। आज के मेले में मण्डलायुक्त झाँसी मण्डल झाँसी श्री विमल कुमार दुबे ने मेले के प्रत्येक स्टॉल का भ्रमण किया इसमें विवि द्वारा लगाए गए कृषि तकनीकी प्रदर्शन, पशु प्रदर्शनी, मिलेट्स प्रदर्शनी, एकीकृत कृषि प्रणाली मॉडल देखकर कृषि विवि के वैज्ञानिकों की भूरि-भूरि प्रशंसा की। इस मौके पर उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार उद्यानिकी विभाग द्वारा लगाए गए पुष्प प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया। कृषि विवि में लगाए गए मेले में दिए गए पुरस्कार के अर्न्तगत विषयगतः पवेलियन प्रथम पुरस्कारः मृदा एवं जल संरक्षण – कृषि विवि, झाँसी के डॉ. विश्वनाथ एवं सहयोगीद्वितीय पुरस्कारः जलवायु अनुकूल बागवानी प्रणाली – कृषि विवि झाँसी के डॉ. गोविंद विश्वकर्मा एवं सहयोगीतृतीय पुरस्कारः पुनःपरिसंचरण जल – प्रणाली – मात्स्यकी महाविद्यालय, दतिया के डॉ. अनुज त्यागी और सहयोगीसांत्वना पुरस्कार मीथेन रिडक्शन मॉडल और ईएलपी मशरूम यूनिटआईसीएआर और सरकारी स्टालःप्रथम पुरस्कारः राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान और विकास फाउंडेशन (एनएचआरडीएफ), नई दिल्लीद्वितीय पुरस्कारः आईसीएआर- केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगरतृतीय पुरस्कारः आईसीएआर-भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान, कानपुरसांत्वना पुरस्कारः इफको कृषि विज्ञान केन्द्रप्रथम पुरस्कारः विस्तार निदेशालय, बांदा कृषि विवि बांदाद्वितीय पुरस्कारः कृषि विज्ञान केन्द्र -कोटातृतीय पुरस्कारः कृषि विज्ञान केन्द्र – दतियासांत्वना पुरस्कारः कृषि विज्ञान केन्द्र -एटा निजी क्षेत्रप्रथम पुरस्कारः कृष्णा अचारद्वितीय पुरस्कारः बलानी दूध तृतीय पुरस्कारः दयाल ग्रुपसांत्वना पुरस्कारः इंडियन हर्ब्स, सहारनपुरइस अवसर पर विवि की बोर्ड मेम्बर श्रीमती आराधना श्रीवास्तव, संयुक्त कृषि निदेशक झाँसी डॉ. एलबी यदाव, उपनिदेशक उद्यानिकी डॉ. विनय यादव, बुंदेलखण्ड एवं आस-पास के ग्रामों के किसान, झाँसी नगर के स्कूलों के विद्यार्थी, प्रगतिशील किसान, आईजीएफआरआई, काफरी व कृषि विवि के सभी अधिकारी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।संचालन डॉ. अर्तिका सिंह ने व सभी लोगों का आभार निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. सुशील कुमार सिंह ने व्यक्त किया।
रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा






