झांसी। सदर बाज़ार के महावीर भवन मे विराजमान मुनि श्री 108 अविचल सागर जी महाराज के मंगल देशना प्रवचन श्रृंखला में आजमुनि श्री 108 *अविचल सागर जी* ने आज प्रवचन में कहा की तीन तरह *आत्मा* होती हे बहरआत्मा , अंतर आत्मा ,शुद्ध आत्मा 1. बहिरात्मा बाला जीव हमेशा सुख सुविधा को ही पुण्य मान रहे हे और निरन्तर भोगो को भोगते हुए दुर्गति को प्राप्त करता हे 2. अंतरात्मा बाला जीव हमेशा जीवन जीते हुए अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए मन से सबको विरक्त मानता हे और उच्च गति या देव गति को प्राप्त करता हे 3. शुद्ध आत्मा वाला जीव हमेशा मोक्ष गति को प्राप्त करता हे मुनि श्री ने कहा हम लोगो को क्रिया कांड का ही धर्म पसंद आता है लोग कितने वर्षों से पूजा पाठ जाप स्त्रोत्र पड़ रहे हे फिर भी संसार में भटक रहे हे जबकि धर्म क्रिया के रूप में एक प्रतिशत और भावो में ९९प्रतिशत होना चाहिए हमे गुणों में प्रीति होना चाहिए जब तक आप देव शास्त्र गुरु के गुणों की पहचान नही करोगे तब तक जीवन में और मोक्ष मार्ग में आगे नहीं बढ़ सकते प्रतिदिन पूजन अभिषेक करना प्रवचन सुनना व्यर्थ है जब तक आप जिनेंद्र देव की वाणी का पालन नहीं करेंगे भगवान ने कहा सबसे बड़ा पाप हिंसा हे जब आप किसी की बुराई करते हो तो वह हिंसा में आता है संसार को नष्ट करने के लिए छोटी छोटी साधना करनी पड़ती है अपने साधर्मी की प्रशंसा करो वो चाहे आप के लिए गलत तरीके से बोले लेकिन अपन को प्रशंसा ही करना हे यही जिनेद्र देव ने कहा। *आज का सूत्र* आज। सभी को दूसरे की प्रशंसा करना है। जिसमे दिगंबर जैन समाज सदर के अध्यक्ष कोमल चंद, राजेंद्र बड़जात्या, विजय जैन प्रदीप जैन ,चातुर्मास कमेटी सुमत जैन , पदवेंद्र जैन,नितिन जैन, कमलेश जैन ,अमीश जैन निशांत जैन संदीप जैन तरुण जैन उपस्थित रहे अंत आभार प्रफुल्ल जैन ने व्यक्त किया।
रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा






