July 27, 2024

कोरबेवेक्स वैक्सीन योजना को लगाया जा रहा पलीता, कागजों में लग गई मासूम को बैक्सिन मासूमों के जीवन से हो रहा खिलबाड़

झांसी। स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते अभी तक तो मृतकों को बेकसिन लगाने का मामला प्रकाश में आता था। लेकिन स्वास्थ्य विभाग की यह लापरवाही अब मासूमों की जिंदगी से खिलवाड़ करने लगी है। एक मासूम को बेक्सिन लगी नही लेकिन उसके घर सर्टिफिकेट पहुंचा दिया। सरकार की कोर्बेवेक्स वैक्सीन की योजना को झांसी का स्वास्थ्य विभाग पलीता लगा रहा। वैक्सीन लगाने के लिए रजिस्ट्रेशन हुआ लेकिन वेक्सिन लगवाने मासूम बच्ची स्वास्थ्य केंद्र पहुंची भी नही की उनके परिजनों के मोबाइल पर वेक्सिन लगने का मेसेज आ गया। इसकी शिकायत करने स्वास्थ्य केंद्र पीएचसी पहुंचे तो वह समय से पहले ताला बंद मिला। ऐसे लापरवाही स्वास्थ्य विभाग के चलते मोदी योगी की डबल इंजन वाली सरकार के सपने कैसे साकार होंगे।
भले ही भारत सरकार हो या उत्तर प्रदेश सरकार दोनो ने ही कोरो ना जैसी घातक महामारी में आम जन मानस को बचाने के लिए कई प्रयास किए ओर काफी हद तक देश की जनता इस महामारी की चपेट में आने से बच गई और आज सभी अपनी अपनी जिंदगी जी रहे है। इस महामारी का मासूम बच्चों पर भी असर न पड़े मासूमों के जीवन को बचाने के लिए कोर्वेबेक्स वैक्सीन तैयार कराई और उत्तर प्रदेश के हर जिले में यह वेक्सिन मासूमों को बुधवार से लगनी थी। झांसी जनपद में भी आज से वेक्सिनेशन शुरू किया जाना था। शासन के निर्देशानुसार सीपरी बाजार क्षेत्र के मिशन कंपाउंड निवासी नवीन श्रीवास्तव ने अपनी बच्ची अंशिका श्रीवास्तव को कॉर्बवेक्स वैक्सीन लगवाने के लिए मोबाइल से रजिस्ट्रेशन कराया। वेक्सिनेशन के लिए पुरानी तहसील के पीछे भाजपा कार्यालय के पास स्थित स्वास्थ्य केंद्र का नाम आया। नवीन अपनी पुत्री को लेकर वेक्सिनेशन कराने जा ही रहे थे की थोड़ी ही देर में उनके मोबाइल पर बेक्सिनेशन सक्सेज फुल का मेसेज आया और डाउन लोड करने पर सर्टिफिकेट आ गया। बच्चों के स्वास्थ्य के साथ इस प्रकार की घोर लापरवाही देख नवीन स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे तो वहां दोपहर ढाई बजे ही ताला लग चुका था कोई भी स्वास्थ्य कर्मी मौजूद नहीं मिला। मासूम बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति विभाग की यह लापरवाही बच्चों की जान तो जोखिम में डाल ही रहा साथ ही मोदी योगी सरकार की मंशा पर भी पानी फेर रहा है। फिलहाल स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का यह कोई नया कारनामा नही। जिला अस्पताल में इससे भी बुरे हालात है मरीजों को सुविधाएं नहीं मिल रही। सुविधाएं लेनी है तो वार्ड बॉय, चपरासी और डॉक्टर से सेटिंग करनी पड़ती है तब जाकर उपचार होता है। साथ ही शासन के लाख आदेशों के बाद भी जिला अस्पताल में अपने कमीशन बाजी के चलते बाहर की दवाएं लिखी जाती है।

रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा

ये भी देखें