July 27, 2024

कानून पर भारी पड़ी प्रतिबंधित खाप पंचायत,न तो पुत्री का विवाह हुआ और न लौटाई पक्यात में दी गई रकम, पीड़ित पिता न्याय के लिए दर दर की ठोकर खाने को मजबूर

झांसी। भले ही जमाना कितना भी स्मार्ट और ऊंचे पायदान पर पहुंच जाए लेकिन आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रतिबंधित की गई खाप पंचायतें लगती है। यही नहीं पंचायतों का फैसला भी पीड़ित को मानना पड़ता है। ऐसा ही एक प्रकरण प्रकाश में आया जहां सीपरी बाजार थाना क्षेत्र निवासी व्यक्ति को सरकार के कानून से मदद नहीं मिली तो उसे ग्राम के एक तरफा हुकम रानों के पास जाना पड़ा जहां प्रतिबंधित पंचायत में फैसला हुआ की पीड़ित व्यक्ति की पुत्री का शादी संबंध तोड़ दिया जाता है और अब युवक दूसरी जगह शादी कर सकता है। लेकिन इस हठ धर्मी खाप पंचायत ने उस पीड़ित को लड़का पक्ष से पकयात में दी गई रकम नहीं दिलवाई। पीड़ित गरीब है उसे यह सदमा लगा हुआ है उसके पास जो पूंजी थी वह तो लड़का पक्ष ने ले ली अब वह अपनी बेटी के हाथ पीले कैसे करेगा। फिलहाल इस व्यक्ति को पंचायत का सहारा भी उस वक्त लेना पड़ा जब खाकी पहन कर सुरक्षा और सम्मान का भरोसा दिलाने वाली पुलिस उसे न्याय नही दिला पाई।जानकारी के मुताबिक सीपरी बाजार थाना क्षेत्र ग्राम पोहरा निवासी मातादीन पुत्र तिज्जू ने करीब बीस दिन पूर्व पुलिस अफसरों सहित सीपरी थाना और शाहजहांपुर थाना में शिकायती पत्र देकर गुहार लगाई थी की उसकी पुत्री का शादी संबंध मध्य प्रदेश के जिला ग्वालियर छप्पर वाला पुल के पास निवासी व्यक्ति से तय हुआ था। शादी संबंध तय होने के बाद उसने पक्यत में एक लाख रुपया नकद और जितने लड़का पक्ष के लोग आए थे सभी को 100 सौ रुपए से तिलक किया था। 24 मई 2022 को लड़का पक्ष वालो की बारात लानी थी। लेकिन लड़का पक्ष ने माह मार्च में लड़का पक्ष ने शादी करने से इंकार कर दिया और उसके द्वारा दिया गया रुपया सम्मान वापस नहीं किया। इसको लेकर पीड़ित ने माह मई 2022 को पुलिस अफसरों सहित सीपरी पुलिस ओर शाहजहां पुर थाना में शिकायत करते हुए लड़का पक्ष से अपना दान दहेज वापस कराने और वापस न करने पर रिपोर्ट दर्ज कराने की मांग की थी। लेकिन उसकी कही कोई सुनवाई नहीं हुई। पीड़ित ने बताया जहां गए वहां से बिना कार्यवाही के चलता कर दिया। उसके पास जितनी जमा पूंजी थी लड़का पक्ष ने ले ली अब वह अपनी पुत्री का विवाह कहा करेगा कैसे करेगा। थक हार कर गांव में खाप पंचायत का सहारा लिया। लेकिन पीड़ित को क्या पता था यहां भी उसके साथ गलत होगा। सुप्रीम कोर्ट से प्रतिबंधित खाप पंचायत ने लिखित फैसला सुना दिया की लड़का पक्ष अब 24 को दूसरी जगह शादी करेगा यह पीड़ित पक्ष को मान्य होगा। इसके अलावा उस पंचायत में पीड़ित को लड़का पक्ष को दी गई रकम वापस नहीं दिलाई गई। पीड़ित दर दर भटक रहा न्याय के लिए। ऐसे में जहां एक ओर योगी सरकार पीड़ितों को सम्मान और न्याय दिलाने तथा अपराधियों की कमर तोड़ने का अभियान छेड़े हुए है, ऐसे में एक पीड़ित अपनी पुत्री की शादी कैसे करे इसके लिए न्याय पाने को न्याय दिलाने का दंभ भरने वाली खाकी के चक्कर काट रहा लेकिन खाकी को उस पर तनिक भी दया नही आई। खाकी की इस लापरवाही का ही नतीजा है की सुप्रीम कोर्ट से प्रतिबंधित खाप पंचायतें आज भी दबे कुचले ग्रामीण इलाकों में एक तरफा फैसला सुनाती है।

रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा

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