July 27, 2024

झाँसी की रानी के इतिहास को देखकर आज भी महिलाओं की रगो में दौड़ता है देशभक्ति का जुनून

झांसी (मोंठ)। देश की स्वाधीनता के लिए पुरुषों के साथ स्त्रियों ने भी बराबर सहभागिता की है। हिंदी साहित्य में अनेक स्त्री रचनाकारों ने स्वतंत्रता संग्राम के यज्ञ में स्वयं आहुति दी है और साथ ही अपने सृजन से ब्रिटिश शासन के विरुद्ध अपना तीव्र, दृढ़ व सशक्त विरोध दर्ज किया।वैसे तो महिलाएं हमेशा से ही पुरुषों के संग कदम से कदम मिला कर चलती आ रही हैं पर आज के दिन महिलाओं में एक अलग ही जोश और उमंग देखने को मिला है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर इस आंदोलन में महिलाओं की भूमिका नजर आईं हैं।—

सीओ स्नेहा तिवारी ने कहा कि महिलाओं को आत्मनिर्भर होंने की जरूरत है और महिलाओं को पुरुषों के बराबर शिक्षा का अधिकार नहीं दिया जाता।आज भी लड़कों के मुकाबले बहुत कम लड़कियाँ स्कूल जा पाती हैं| बहुत सारी भारतीय महिलायें तो कभी स्कूल का मुँह नहीं देखा।–खंड विकास अधिकारी कविता चाहर ने कहा कि अगर, हम सही मायनों में, भारतीय महिलाओं को सशक्त करना चाहते हैं तो हमें इन रुकावटों को दूर करना होगा।हमें महिलाओं को आज़ादी से घूमने और घर से बाहर जाकर काम करने को बढ़ावा देना चाहिए।महिलाओं को हर तरह के विषयों में निर्णय लेने की आज़ादी देनी चाहिए और महिलाओं का भी सभी तरह के संसाधनों के ऊपर पूरा कंट्रोल होना चाहिए।–सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी अलका पांडेय ने कहा कि आज की महिलाओं का काम केवल घर-गृहस्थी संभालने तक ही सीमित नहीं है, वे अपनी उपस्थिति हर क्षेत्र में दर्ज करा रही हैं। बिजनेस हो या पारिवार महिलाओं ने साबित कर दिया है कि वे हर वह काम करके दिखा सकती हैं जो पुरुष समझते हैं कि वहां केवल उनका ही वर्चस्व है, अधिकार है।—कस्बा निबासी साक्षी वर्मा सरकार को महिलाओं पर हो रही घरेलू हिंसा और प्रताड़ना के खिलाफ़ कड़े क़ानून बनाना चाहिए घरेलू हिंसा महिला सशक्तिकरण के रास्ते में सबसे बड़ी रुकावट है| एक अनुमान के अनुसार, भारत में, हर पाँच में से दो महिलायें घरेलू हिंसा की शिकार हैं।–सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत स्टाफ नर्स पूनम रायकबार ने कहा कि शादी के बाद,महिलाओं को नौकरी करने की इजाज़त नहीं दी जाती है| महिलायें जो किसी तरह काम कर पाती हैं उनमें से ज़्यादातर महिलायें कृषि क्षेत्र में काम करती हैं जिसमें वो अपने पति, पिता या भाइयों के साथ काम करती हैं| बहुत कम महिलायें तकनीकी, प्रबंधकी क्षेत्रों में कार्यरत हैं।–टीकाराम महाविद्यालय में कार्यरत स्पोर्ट टीचर कुमकुम ने कहा कि महिलाओं को पुरुषों के बराबर शिक्षा का अधिकार नहीं दिया जाता। आज भी लड़कों के मुकाबले बहुत कम लड़कियाँ स्कूल जा पाती हैं। ऐसी भी महिलायें है जिन्होंने कभी स्कूल का मुँह नहीं देखा जो महिलायें स्कूल जा सकी हैं उनमें से बहुत कम महिलायें दसवीं कक्षा से ज़्यादा पढ़ पाती हैं।–नेहरू युवा केन्द्र की स्वयंसेविका दीपिका नामदेव ने कहा कि इस देश में महिलाओं का बलिदान भुलाया नहीं जा सकता जब भी देश पर किसी भी प्रकार की आंच आई है तो महिलाओं ने बढ़ चढ़कर उसमें हिस्सा लिया और अपनी भागीदारी तय की हमारे जिले का नाम रोशन करने बाली वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई को पूरा देश आज महान योद्धा और एक महान देशभक्त के रूप में जानता है जिन्होंने देश की आजादी में अपनी अहम भूमिका निभाते हुए अपना बलिदान दिया जिनको महिलाएं अपना प्रेरणास्रोत मानती हैं और उन्हें हमेशा याद रखेगी।–कस्बा निवासी शिवानी दोहरे ने कहा जैसे-जैसे तकनीकी युग आगे बढ़ता जा रहा है महिलाएं भी अपनी भागीदारी सुनिश्चित करा रही हैं। खेलकूद से लेकर हवाई जहाज उड़ाने तक महिलाएं अपना परचम लहरा रही है देश की बेटियां दिन प्रतिदिन कभी सिलवर कभी तो कभी गोल्ड मेडल लाकर देश का नाम रोशन कर रहे है ऐसी नारियों को मैं सलाम करती हूं।

रिपोर्ट – भारत नामदेव

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