
झांसी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झांसी के फार्मेसी संस्थान द्वारा विकसित यूपी 2047 के अंतर्गत अकादमिक–उद्योग संवाद कार्यक्रम का आयोजन बुधवार को गांधी सभागार में किया गया। इस कार्यक्रम का विषय था – “फार्मा, मेडिकल टेक्नोलॉजी और हेल्थकेयर सेक्टर में चुनौतियाँ और अवसर”।
इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. जी. एन. सिंह रहे, जो मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश के सलाहकार, पूर्व औषधि महानियंत्रक (DCGI) भारत सरकार एवं भारतीय फार्माकोपिया आयोग के संस्थापक निदेशक हैं। डॉ. सिंह ने अपने व्याख्यान में फार्मा सेक्टर की चुनौतियों और अवसरों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने वैश्विक परिदृश्य के अंतर्गत वृद्ध होती जनसंख्या, दीर्घकालिक बीमारियों की वृद्धि, स्वास्थ्य नीतियों में सुधार तथा एआई, रोबोटिक्स और डाटा-मैटिक्स जैसी आधुनिक तकनीकों की भूमिका पर चर्चा की।
राष्ट्रीय स्तर पर उन्होंने बताया कि भारत विश्व की 20% जेनेरिक दवाओं और 62% वैक्सीन का आपूर्तिकर्ता है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारतीय दवा उद्योग 2030 तक 130 बिलियन डॉलर तक पहुँचने की संभावना रखता है और इसमें बायोसिमिलर्स, बायोलॉजिक्स तथा कॉन्ट्रैक्ट रिसर्च जैसे क्षेत्रों में अपार अवसर मौजूद हैं।
डॉ. सिंह ने विशेष रूप से उत्तर प्रदेश सरकार की पहल “उत्तर प्रदेश औषधि एवं चिकित्सा उपकरण नीति 2023” की जानकारी दी। उन्होंने ललितपुर में प्रस्तावित मेगा बल्क ड्रग पार्क और गौतमबुद्ध नगर (Jewar) में 350 एकड़ के मेडिकल डिवाइस पार्क जैसी महत्वाकांक्षी परियोजनाओं पर प्रकाश डाला, जो प्रदेश को औषधि और चिकित्सा उपकरण निर्माण का राष्ट्रीय केंद्र बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। साथ ही उन्होंने ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940, मेडिकल डिवाइस नियम 2017 और न्यू ड्रग्स एंड क्लीनिकल ट्रायल नियम 2019 से जुड़े नियामक सुधारों की जानकारी दी और पारदर्शिता, नवाचार तथा रोगी सुरक्षा पर ज़ोर दिया।
अपने व्याख्यान के अंत में उन्होंने छात्रों से आह्वान किया कि वे फार्मेसी शिक्षा में नवाचार और कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करें, ताकि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोजगार एवं शोध के अवसरों का अधिकतम लाभ उठा सकें। उनका मानना है कि विकसित यूपी 2047 की पहल के अंतर्गत उत्तर प्रदेश को फार्मा और मेडिकल टेक्नोलॉजी का वैश्विक हब बनाने की अपार संभावनाएँ हैं।
इस अवसर पर कुलपति प्रो. मुकेश पांडेय ने भी विद्यार्थियों को संबोधित किया और फार्मा, मेडिकल टेक्नोलॉजी एवं हेल्थकेयर क्षेत्र में उपलब्ध अवसरों पर अपने विचार रखे। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. पीयूष भारद्वाज ने फार्मेसी संस्थान की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए बताया कि हाल ही में संस्थान को एनआईआरएफ रैंकिंग 68 प्राप्त हुई है। डॉ. शशि आलोक ने मुख्य वक्ता का प्रोफ़ाइल पढ़ा एवं कार्यक्रम के बारे में बताया। जबकि डॉ. विहंगेश दीक्षित ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार राजबहादुर, वित्त अधिकारी प्रमोद कुमार सिंह, प्रो. सुनील काबिया, प्रो. डी. के. भट्ट, प्रो. प्रतीक अग्रवाल सहित फार्मेसी संस्थान के संकाय सदस्य बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। उपस्थित संकाय सदस्यों में शामिल थे – डॉ. रघुबीर इर्च्छैया, डॉ. उपेन्द्र शर्मा, डॉ. गिरीश सोनी, डॉ. एस. के. निरंजन, डॉ. रामजी सोनी, डॉ शोभित सिंह, डॉ. नन्दलाल सिंह, डॉ. शैलेन्द्र सिंह, डॉ. भावना शर्मा, डॉ. विजय सिंह, डॉ. ऋषिकेश गुप्ता, डॉ. देवेंद्र सिंह, डॉ पंकज निरंजन , डॉ. आलोक माहौर, डॉ. आर. एन. प्रजापति, डॉ. रिजवाना खान एवं डॉ निर्मला देवी।
कार्यक्रम अत्यंत सफल रहा और विद्यार्थियों को फार्मा एवं हेल्थकेयर क्षेत्र की भविष्य की संभावनाओं के प्रति नई दिशा और प्रेरणा प्रदान की।
रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा


