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जंग लाज़िम है अगर आओ तो फिर जंग सही …….गणतंत्र दिवस पर भेल में आयोजित काव्य संध्या में कवियों ने खूब छोड़े चुटीले ब्यंगश्रोताओं ने खूब बजाई तालियां देर रात्रि तक सजी गीत ग़ज़लों की महफ़िल

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झांसी। गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर भेल के क्लब बुंदेला में काव्य संध्या का आयोजन किया गया जिसमें कवि और शायरों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया देर रात तक श्रोता वाह वाह करते रहे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भेल के लोको महाप्रबंधक श्री के.ए.रासे रहे विशिष्ट अतिथि के रुप मे महाप्रबंधक ट्रांसफार्मर श्री एन.एन.रमन, भेल के वरिष्ठ अधिकारी श्री सुमित सहाय, डा.आफताव आलम कल्याण अधिकारी भेल , मजदूर यूनियन इंटक के महामंत्री कृष्णा सिंह, इंजीनियर वव्लू कुमार ,घनेन्द्र सिंह , कुणाल कुमार , परविंदर सिंह ,रहे भेल के लोको महाप्रबंधक के.ए. रासे ने मां सरस्वती के चित्र पर दीप प्रज्जवलित कर काव्य संध्या का शुभारंभ किया कार्यक्रम की अध्यक्षता बुन्देलखण्ड यूनिवर्सिटी के समाज विज्ञान के प्रोफेसर मुहम्मद नईम जी ने की।गणतंत्र दिवस पर भेल के क्लब बुंदेला में आयोजित काव्य संध्या में पधारे कवि और शायरों ने एक से बढ़कर एक रचनाएं प्रस्तुत कर श्रोताओं की वाहवाही लूटी कवि सम्मेलन मुशायरा का शुभारंभ वरिष्ठ कवियत्री प्रगति सहायकी वाणी बंदना से हुआ। तत्पश्चात चित्रकूट से आए देव कुमार देव ने शानदार तरन्नुम से गज़ल और गीत पेशकर लोगों की तालियां बटोरी अपने पढ़ा रहमत उसकी किस्मत मेरी देखें कितनी है तकरार / मैं तेरा एक सेवादार सुन ले मेरे ओ सरकार ,डा. मकीन कौंचवी ने कहा दुश्मनी करली मुहब्बत के चलन जाते रहे हास्य-व्यंग्य के कवि सुधीर गुप्ता चक्र ने अपनी छड़िकाओ के माध्यम से करारे व्यंग कर कार्यक्रम को उंचाई प्रदान की, युवा कवि बैभव दुवे ने कहा कि तिरंगे में लिपटकर बीर का शव कह रहा मानों / सिपाही हूं मेरे सीने में हिंदुस्तान बाकी है , ओज कवि संजीव दुवे ने देश प्रेम की रचनाओं से माहौल में उल्लास पैदा कर दिया आपने कहा जगमग जगमग कर रहा अवध लला का धाम / जन्म भूमि पर आ गये दशरथनन्दन राम , कार्यक्रम के संयोजक सगीर अहमद सगीर ने अपनी नज़्म सुनाकर कार्यक्रम को ऊंचाईयों तक पहुंचा दिया आपने पढ़ा कि जंग लाज़िम है अगर आओ तो फिर जंग सही / इससे निकले तो मुहब्बत की कोई राह नई पत्रकार कवि/शायर आजाद अंजान ने कहा अभी नादान है लेकिन मेरा लहजा समझती है/ मैं उसके साथ खेलूं तो मुझे बच्चा समझती है हास्य के प्रख्यात कवि देवेन्द्र रावत नटखट ने एक से बढ़कर एक हास्य की कविताएं सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे बुन्देलखण्ड यूनिवर्सिटी के समाज विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ मुहम्मद नईम ने कहा कि सारे जहां की खुशियां उसको अता हुई / करता जो एहतराम बुजुर्गों का रात दिन आपने मां के बारे में बहुत ही शानदार रचनाएं सुनाकर श्रोताओं की खूब तालियां बटोरी कार्यक्रम का शानदार संचालन युवा कवि बैभव दुवे ने चुटीले अंदाज में किया एवं आभार भेल कल्याण अधिकारी डा.आफताव आलम ने व्यक्त किया इस मौके पर भेल मजदूर यूनियन इंटक के महामंत्री कृष्णा सिंह, यूनियन प्रतिनिधि विकास गुप्ता एटक , इमरत कुशवाहा महामंत्री वी एम एस , संजय द्विवेदी महामंत्री वी बल्लू टी यू , संजय प्रजापति , महेंद्र सिंह , प्राथमिक शिक्षक संघ ववीना के व्लाक अध्यक्ष जितेंद्र तिवारी,संजय गोयल ,शेख सलमान , खुर्शीद ख़ान ,सत्य प्रकाश ताम्रकार,अमित सोनी पत्रकार, प्रमोद खरे समेत सैकड़ों की संख्या में श्रोता उपस्थित रहे।

रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा

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