Home उत्तर प्रदेश तीस किसान बने पौध डाॅक्टर

तीस किसान बने पौध डाॅक्टर

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झाँसी। रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी के कुलपति डाॅ. अशोक कुमार सिंह के निर्देशन में अनुसूचित जाति के किसानों को प्लान्ट डाॅक्टर बनाने पर चल रहा प्रशिक्षण का आज समापन हुआ। यह प्रशिक्षण मशरूम प्रयोगशाला उद्यमिता केन्द्र कृषि विवि, झाँसी में दिया जा रहा था। यह आयोजन पादप रोग विज्ञान विभाग, कृषि महाविद्यालय द्वारा किया गया। कार्यक्रम संयोजक विभागाध्यक्ष पादप रोग विज्ञान विभाग डाॅ. प्रशांत जाम्भुलकर ने किसान एवं अतिथियों का स्वागत परिचय कराते हुए कहा कि प्लांट डाॅक्टर प्रशिक्षण में झाँसी, निवाड़ी, ललितपुर, टीकमगढ़, दतिया, शिवपुरी के छः जिलों से 5-5 किसानों को चयनित किया गया है। यह प्रशिक्षण आज 4 मार्च से प्रारम्भ होकर आज 8 मार्च को सम्पन्न हुआ। इसमें 30 किसान प्रशिक्षण ले रहे थे। प्रशिक्षण उपरांत प्रशिक्षणार्थियों ने अपने – अपने प्रशिक्षण अनुभव भी अधिकारियों के समक्ष सांझा किए। अधिष्ठाता कृषि डाॅ. आरके सिंह ने कहा कि आप लोगों को इसमें फसलों में लगने बाले कीटों एवं रोगों के नुकसान एवं लाभ की जानकारी तो मिल चुकी है। इस प्रशिक्षण से आप लोगों को जो भी ज्ञान प्राप्त हुआ है उसका लाभ अपने ग्राम बासियों को अवश्य दें। कृषि विवि झाँसी किसानों को 6 माह का प्रशिक्षण देकर जो प्रमाण पत्र देगा उससे किसान भाई कृषि दवा का मेडिकल स्टोर खोल सकता है। इससे किसान खेती के साथ – साथ व्यवसाय से भी जुड़ जाएगा। निदेशक प्रसार शिक्षा डाॅ. एसएस सिंह ने कहा कि खेती में किसानों की 60 प्रतिशत समस्या कीट रोग, दवा उपचार आदि की रहती है। अन्य समस्याएं 40 प्रतिशत होती हैं। इन्हीं सबको ध्यान में रखते हुए प्लांट डाॅक्टर का प्रशिक्षण कृषि विवि द्वारा दिया गया। अभी तक किसान किसी नजदीकी दुकान पर जाकर पौध रोग की समस्या बताकर दवा लेकर आ जाता था। वह दुकानदार किसान को वही दवा बेचता था जिसमें उसका लाभ होगा। इससे पौध और स्वास्थ्य दोनों के लिए हानिकारक होता था। लेकिन इस प्रशिक्षण के बाद आप किसान भाई अपनी पौध को देखकर ही दवा ले सकेंगे। जो लोग प्लांट डाॅक्टर का प्रशिक्षण ले चुके हैं, वह पौधे की फोटो खींचकर विवि में देकर उसकी उपचार संबंधी भी जानकारी ले सकते हैं। आगे विवि 200 घण्टे की पड़ाई किसानों को कराकर उसको कृषि क्लीनिक मेडीकल स्टोर एवं डीलर बनने का प्रमाण पत्र देगा। समाज के अनुसार स्वास्थ्य की दृष्टि से अभी तक मनुष्य, जानवर तीसरे नम्बर पर पौध आती थी। अध्यक्षीय संबोधन में निदेशक शोध डाॅ. एसके चतुर्वेदी ने कहा कि आज से सभी प्रशिक्षणार्थी पौध डाॅक्टर हो चुके हैं। अब आपको अपने को आम किसान नहीं समझना है। आपको अपने घर के बाहर पौध डाॅक्टर की पटिट्का भी लगाना है एवं ग्रामवासियों के खेतों पर जाकर उनके पौधों में लगने बाले रोगों से परिचय कराते हुए दवा भी आपको बतानी पड़ेगी। आने बाली खरीफ फसलों में कौन – कौन से रोग होते हैं एवं उनका उपचार आपको बता दिया जाएगा। उससे आपको यह लाभ मिलेगा कि आप पहले से सजग रहकर अपने ग्रामवासियों को लाभ पहुंचा सकेंगे। जिस प्रकार से मनुष्य चिकित्सक मीरज देखते-देखते अनुभवी हो जाता है उसी प्रकार आप लोग पौध की बीमारी देखकर अनुभवी हो जांयेगे। इसके साथ – साथ आपको विभिन्न किस्म की फसलों की जानकारी होना भी आवश्यक है। सभी अतिथियों ने प्राथमिक प्रशिक्षण के सभी प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण-पत्र दिए। इस अवसर पर डाॅ. अनीता पुयाम, डाॅ. अभिषेक शुक्ला, डाॅ. वैभव सिंह, डाॅ. कुलेश्वर साहू, डाॅ. सुंदर पाल, डाॅ. विजय कुमार मिश्रा उपस्थित रहे। संचालन डाॅ. शुभा त्रिवेदी ने एवं आभार डाॅ. ऊषा ने व्यक्त किया।

रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा

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