झांसी। कहते हैं कि शक की बीमारी का कोई इलाज नहीं होता है, और यदि शक वैवाहिक संबंधों में पैदा हो जाए तो जीवन नर्क बन जाता है, ऐसा ही कुछ महज 16 वर्ष की कच्ची उम्र में प्यार के फेर में फंसी श्वेता के साथ हुआ।विगत कई वर्षों से पति द्वारा तरह तरह से उत्पीड़न किए जाने से तंग पीड़िता ने मुख्यमंत्री से पति की प्रताड़नाओं से मुक्ति दिलवाने अन्यथा इच्छा मृत्यु की अनुमति प्रदान किये जाने की मांग की है।
मीडिया से रूबरू पीड़िता श्वेता भीलवार ने फूट फूटकर रोते हुए बताया कि जब वह महज 16 वर्ष की थी उससे उम्र में 14 वर्ष बड़े सीनियर आडिट अधिकारी पति ने उसे फुसलाकर, झूठी प्रेम भरी बातों में फँसाकर 22 वर्ष पहले अन्तर्जातीय विवाह किया था। विवाह के समय उसकी आयु 19 वर्ष एवं पति की आयु 33 वर्ष थी। आरोप लगाया कि पति स्वभाव से शंकालु, शीघ्र आक्रोशित, झगड़ालू एवं अपने पदनाम के अहंकार से ग्रसित व्यक्ति है। वैवाहिक जीवन 17 वर्षों तक तो जैसे तैसे चलता रहा। पूर्व में मारपीट व उत्पीड़न उसने लंबे समय तक सहा । परंतु विगत 4-5 वर्षों से स्थितियां अत्यधिक विषम हो चुकी हैं जिन्हे सह पाना अब उसके बस में नहीं है। पति द्वारा बिना किसी आधार के चरित्रहीनता जैसे गंभीर आरोप लगाकर घर के द्वार पर लगाए गए सीसीटीवी कैमरा द्वारा 24 घंटे निगरानी रखी जाती है। उसके कहीं भी आने जाने पर पूरी तरह पाबंदी लगाई गई। बच्चों से भी दूर रखते हुए उस पर ऐसे गंदे गंदे इल्जाम लगाए गए जिन्हें वह बता भी नहीं सकती। वर्षों तक उस पर तलाक देने हेतु अनुचित दवाब भी बनाया गया। पति घिनौने इल्जाम लगाता है और 14 साल बड़ी उम्र के चलते चाहे जिस व्यक्ति के साथ अवैध संबंधों का आरोप लगाते हुए शक करता है। कई बार मन में आया कि वह जीवन लीला स्वयं समाप्त कर ले,पर हर बार अपने दो बेटों को याद करके अपने आपको समझा लिया। उसने मजबूरीवश स्कूल में पढ़ाना शुरू किया। परंतु उसके स्कूल में नौकरी करने से पति का अहंकार और अधिक बढ़ गया और वह बच्चों से दूर कर घर से निकालना चाहता है।कई शिकायतों के बाद भी न्याय न मिलने के कारण उसने पति की प्रताड़नाओ से मुक्ति दिलाए जाने और उत्पीड़न से मुक्ति नहीं दिलाए जाने पर इच्छा मृत्यु की अनुमति प्रदान करने की गुहार मुख्यमंत्री से लगाई है।
रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा


