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परंपराओं को मूलरूप में जीवित रखने का दायित्व नई पीढ़ी का : अनिल जी संघ कार्यालय माधव स्मृति भवन में जमकर खेली गई फूलों की होली

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झांसी। परंपराओं को मूलरूप में जीवित रखने का दायित्व अब हमारी नई पीढ़ी का है। यह हमारे पूर्वजों की थाती है। इस विरासत को संजो कर रखना हमारी जिम्मेदारी है। उक्त विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक अनिल ने उपस्थित स्वयंसेवको का उत्साहवर्धन करते हुए संघ कार्यालय में होली मिलन समारोह में व्यक्त किये। इससे पूर्व स्वयंसेवकों ने आपस में फूलों से जमकर होली खेली। होली के गीतों पर स्वयंसेवक जमकर झूमे भी। होली मिलन समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि देश में पूरे वर्ष त्यौहार होते हैं। पूर्वांचल बिहार के लोग जिस मोहल्ले में रहते हैं। पूरे 40 दिन वहां होली का कार्यक्रम होता है और रात को फाग गाई जाती है। होली के साथ-साथ अन्य त्योहारों को मनाने की भी परंपरा है। इन त्योहारों के इतिहासों को भी ऐसे अवसर पर याद किया जाता है। परंपराओं पर आधुनिकता की छाप पड़ रही है। यह हमारी जिम्मेदारी है कि उस परंपरा को हम कैसे जीवित रख सकते हैं, जिसे हमारे पूर्वजों ने हमें सौंपा है। उन्होंने 1952 का नानाजी देशमुख से संबंधित एक संस्मरण सुनाया। जिसके बाद से फूलों की होली की शुरुआत की गई। उन्होंने कहा कि हमारे उत्सव और त्योहारों की जो मूल परंपरा है वर्तमान पीढ़ी का यह दायित्व है कि उस विरासत को संभाल कर रखें। आज देश में मंदिरों पर त्यौहारों पर अपार भीड़ आने लगी है। यह देश के लिए अच्छे संकेत हैं।इस अवसर पर प्रान्त कार्यवाह रामकेश ,सह प्रान्त प्रचारक मुनीस ,विभाग कार्यवाह धर्मेंद्र ,विभाग प्रचार प्रमुख मनोज जी, शशिकांत जी ,राहुल अमन , वयम ,अभय , रंजीत राजेन्द्र विष्णु गौरव लिखधारी , सौरभ , हर्षित , विनय , आयुष , सुमित ,वासु, वशिष्ठ ,मोहित ,गौरव, लक्ष्मण , देवांश जी,अतुल ,सत्या आदि तमाम स्वयंसेवक उपस्थित रहे।

रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा

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