झांसी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ झांसी महानगर के विद्यार्थी कार्य विभाग ने रविवार को साहसिक यात्रा का आयोजन किया। इस साहसिक यात्रा में सैकड़ों स्वयंसेवक साईकिल चलाकर वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई के ऐतिहासिक दुर्ग से सीमा से लगे उन्नाव सूर्य मंदिर के दर्शन के लिए निकले। इस अवसर पर उनका प्रबोधन करते हुए सह प्रांत प्रचारक मुनीष ने उन्हें छत्रपति शिवाजी महाराज व एवरेस्ट पर पहुंचने वाली पहली दिव्यांग महिला के साहस के उदाहरण प्रस्तुत किए। उन्होंने बताया कि लुप्त होती सनातन संस्कृति को जीवंत कर अपने बचपन से ही निडर व साहसी छत्रपति शिवाजी महाराज में चतुराई भी कूट कूट कर भरी थी। गोरिल्ला युद्ध कला उनमें से एक थी। इसलिए हमें साहस के साथ चतुराई को भी भूलना नहीं है। स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए साहसिक यात्रा के उद्देश्य एवं महत्व बताया। कहा कि एवरेस्ट पर पहुंचने वाली पहली दिव्यांग महिला अरुणिमा सिंन्हा थी। और उनके साहस के आगे दुनिया नतमस्तक हुई। छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि मनुष्य अपने साहस और सूझबूझ के बल पर ही जीवन की अनेक चुनौतियों, कठिनाइयों का सामना करते हुए भी अपने लक्ष्य को प्राप्त करता है। उनके सुझाए गोरिल्ला युद्ध कला में आज भी हमारी सेना पारंगत है।साइकिल सवार स्वयंसेवको के धर्म की रक्षा कौन करेगा, हम करेंगे सब करेंगे,भारत माता की जय, वंदे मातरम व जय श्रीराम के उद्घोषों से महानगर रविवार के अवकाश में भी गुंजायमान हो उठा। हुए झांसी किले से उन्नाव बालाजी पहुंच कर भगवान भास्कर के दर्शन किये। कार्यक्रम में से सह विभाग कार्यवाह शशिकांत, महानगर कार्यवाह मुकुल, सह महानगर कार्यवाह जयपाल, महानगर प्रचारक सक्षम, दिनेश, सत्या चौधरी , प्रो. योगेश पांचाल, सायं महानगर प्रचारक सौरभ, अजय तिवारी आदि कई कार्यकर्ता बंधु उपस्थित रहे।
रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा






