
झांसी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के भास्कर जनसंचार एवं पत्रकारिता संस्थान में महर्षि वाल्मीकि जयंती के उपलक्ष्य पर संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
मुख्य अतिथि, कला संकायाध्यक्ष प्रो. पुनीत बिसारिया ने अपने संबोधन में कहा कि महर्षि वाल्मीकि भारतीय संस्कृति के प्रथम कवि के रूप में समाज को मर्यादा, नीति और सत्य के मार्ग पर अग्रसर होने की प्रेरणा देते हैं। उन्होंने बताया कि रामायण केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि मानवीय मूल्यों का संवाहक महाकाव्य है, जो जीवन के हर क्षेत्र को दिशा प्रदान करता है।
विशिष्ट अतिथि डॉ. नवीन चंद्र पटेल, सहायक आचार्य हिंदी विभाग ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि की रचनाओं में समाज के हाशिये पर खड़े लोगों के लिए सहानुभूति और समानता का संदेश निहित है। उन्होंने साहित्य को समाज परिवर्तन का माध्यम बताते हुए वाल्मीकि की परंपरा को आज के युग में भी प्रासंगिक बताया।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित पत्रकारिता विभाग के कर्मचारी वीरेंद्र अहिरवार का शाल एवं श्रीफल देकर सम्मान किया गया।
डॉ. कौशल त्रिपाठी, समन्वयक जनसंचार विभाग ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि संवाद और विमर्श की परंपरा भारतीय सभ्यता का मूल है, और वाल्मीकि जयंती जैसे अवसर समाज में सांस्कृतिक चेतना फैलाने का माध्यम बनते हैं।
कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा महर्षि वाल्मीकि के छायाचित्र पर माल्यार्पण और पुष्प अर्पण के साथ किया गया।
कार्यक्रम का संचालन बीए प्रथम वर्ष की छात्रा अनायशा एवं आभार रोशनी यादव ने किया। कार्यक्रम में उपस्थित विद्यार्थियों ने भी महर्षि वाल्मीकि के जीवन, उनके साहित्यिक योगदान तथा सामाजिक समरसता के विचारों पर अपने मनोभाव साझा किए। इस अवसर पर स्नातक एवं परास्नातक के छात्र-छात्राएं भी बड़ी संख्या में मौजूद रहे।
रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा


