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भारतीय संस्कृति को संजोने में सबसे बड़ी चुनौती, हिंदुओं को हिंदुत्व को परखना पड़ेगा : रवींद्र शुक्ल हिंदुओं को घटती जनसंख्या पर किया चिंतन, धर्म, भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए बनाई जाएगी नई कार्यप्रणाली

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झाँसी। सनातन संस्कृति और भारतीय अस्मिता के संरक्षण हेतु निरंतर समर्पित संस्था हिंदी साहित्य भारती के तत्वावधान में भारत माता पूजन एवं श्रद्धा-समर्पण महोत्सव का आयोजन उन्नाव रोड बाला जी समीप स्थित द मारवलस होटल में भव्य रूप से आयोजित किया गया। संस्था के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री डॉ. रवीन्द्र शुक्ल ने बताया कि हिंदी साहित्य भारती का जन्म झाँसी की पावन धरा पर हुआ और आज यह संस्था भारत ही नहीं, बल्कि विश्व के 37 देशों में सनातन धर्म एवं भारतीय संस्कृति की रक्षा और पुनर्स्थापना के लिए कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि यदि जनसंख्या असंतुलन की यह स्थिति बनी रही तो लोकतांत्रिक व्यवस्था में उसके गम्भीर परिणाम सामने आएँगे और 2040 तक भारत के स्वरूप पर प्रश्नचिह्न लग सकते हैं। ऐसे समय में हिंदू समाज को जाग्रत होकर अपने धर्म, संस्कृति और परंपराओं की रक्षा के लिए आगे आना ही होगा।
प्रांत सह बौद्धिक प्रमुख राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अखंड जी मुख्य अतिथि रहे आपने अपने वक्तव्य में कहा कि हिंदी साहित्य भारती केवल एक संस्था नहीं, बल्कि एक जनआंदोलन है, जो तन, मन और धन से भारतमाता की आराधना में जुटा है। संस्था का यह प्रयास उस यज्ञ की आहुति है जिसमें हर नागरिक का सहयोग आवश्यक है। इस अवसर पर शिक्षक विधायक डाॅ बाबूलाल तिवारी, पूर्व जिलाध्यक्ष संजय दुबे, डाॅ बी बी त्रिपाठी, रामनिवास शुक्ल, सुनीता मंडल,बी.बी त्रिपाठी,निशांत शुक्ल, नीरज सिंह, रुचि निवेदिता,दीपक त्रिपाठी यशोवर्धन तिवारी,दीपक संजय राष्ट्रवादी,मक्खन तिवारी,मोहित रिक्त, सोनू बाथम, आदि उपस्थित रहे।

रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा

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