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आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरित करने पर दस वर्ष का कारावास और 50 हजार रुपए अर्थदंड

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झांसी। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय विजय कुमार वर्मा प्रथम की अदालत द्वारा आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरित करने का अपराध सिद्ध होने पर अभियुक्त को दस वर्ष के कारावास और पचास हजार रुपए अर्थदंड से दण्डित किया गया।अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी करते हुए सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता देवेन्द्र पांचाल ने बताया कि वादी मुकदमा बाकर हसन ने थाना कोतवाली पर रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि अभियुक्त काजिम रजा उर्फ अली नबाब रेल्वे वर्कशाप में ट्रेनर था जहां से मृतक शहनवाज अली ने अप्रेन्टिस की ट्रेनिंग की थी और अभियुक्त को वादी के सेवानिवृत्त होने की जानकारी थी वादी को सेवानिवृत्त पर जो फण्ड मिला था उसकी भी जानकारी थी। 03 फरवरी 2020 को रात्रि 10 बजे काजिम रजा उर्फ अली नबाब वादी के घर आया और वादी के लड़के को बुलाकर ले गया और उसे किसी लड़की का वीडियो / आडियो सुनाया और कहा कि मुझे पांच लाख रूपये लाकर दो नहीं तो यह आडियो वायरल कर दूंगा समाज में तुम्हारी व तुम्हारे परिवार की बदनामी होगी, 4 फरवरी 2020 को दोपहर दो से ढाई बजे के लगभग अभियुक्त वादी के घर आया जब वादी का लड़का शहनवाज अली घर पर अकेला था पुनः वीडियो वायरल करने की धमकी देते हुए पांच लाख रुपए की मांग करने लगा कहा कि पांच लाख रुपए की व्यवस्था नहीं कर सकते तो मर क्यों नहीं जाते ,यह बात मृतक शहनवाज अली ने वादी व उसकी पत्नी को बताई थी। वादी अपनी पत्नी के साथ इस संबंध में अभियुक्त के घर बात करने गया इसी बीच उसी बात से परेशान होकर वादी के लड़के शहनवाज़ अली ने अपने ऊपर पैट्रोल डालकर आग लगा कर आत्मदाह कर लिया ।जानकारी होने पर मुहल्ले के लोगों की मदद से उसे इलाज के लिए मेडीकल कालेज ले जाया गया जहां से ग्वालियर रिफर किया गया। ग्वालियर से दिल्ली रिफर किया गया जहां इलाज के दौरान 08 फरवरी 2020 की रात्रि करीब 2 बजे उसकी मृत्यु हो गई। बाद में घटना की रिपोर्ट थाना कोतवाली पर दर्ज की गई। विवेचना के उपरांत धारा 306 आईपीसी के तहत आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया गया ।न्यायालय द्वारा अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों एवं गवाहों के आधार पर तथा मृतक शहनवाज अली द्वारा मृत्यु पूर्व दिल्ली में उपचार के दौरान पुलिस द्वारा दर्ज किये गये ब्यान को भी विश्वसनीय मानते हुए दोषसिद्ध अभियुक्त काजिम रजा उर्फ अली नबाब को दस वर्ष के कारावास एवं पचास हजार रूपये अर्थदण्ड से दंडित किया गया। अर्थदंड की जमा धनराशि में से 50 प्रतिशत धनराशि वादी को प्रदान की जाएगी। अर्थदण्ड अदा न करने पर उसे एक वर्ष का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।

रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा

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