झाँसी। रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी के कुलपति डॉ. अशोक कुमार सिंह ने बताया कि दिनांक 29 मई से 12 जून 2025 तक विकसित कृषि संकल्प अभियान के माध्यम से कृषि प्रणालियों का विश्लेषण करना, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् संस्थानों के बीच पारस्परिक शिक्षण को सुगम बनाना, भावी कार्यों की पहचान करना, कृषि विज्ञान केंद्र एवं राज्य विभागों के साथ भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के समन्वय को मजबूत करने के साथ-साथ अनुसंधान – विस्तार रणनीतियों को विकसित भारत के लक्ष्यों के साथ समन्वित करना था। जिस दिशा में सफलतम प्रयास हुए हैं। वर्चुअल माध्यम से जुड़कर कृषि मंत्री के सामने प्रस्तुतिकरण और अभियान परिणामों, सुझावों, अनुभवों और और भविष्य की अनुसंधान दिशा पर जानकारी दी।
कुलपति ने कहा कि यह अभियान खरीफ फसलों के लिए किसानों को उन्नत तकनीकों से अवगत कराने के उद्देश्य से चलाया गया। कृषि वैज्ञानिक दल उत्तर प्रदेश के झाँसी, जलौन जिले एवं मध्य प्रदेश के दतिया, निवाड़ी व दतिया जिलों में पहुंचीं और कुल 255 गाँवों में जाकर 35,000 से अधिक किसानों से सीधा संवाद किया।
कुलपति ने बताया कि कृषि विश्वविद्यालय के 30 वैज्ञानिक दलों ने झाँसी जनपद में 90 कार्यक्रम के अर्न्तगत 90 ग्राम में 9135 पुरूष किसानों एवं 3915 महिला किसानों सहित कुल 13050 किसानों से सीधा संवाद स्थापित कर तकनीकी जानकारियां दी।
विकसित कृषि संकल्प अभियान का शुभारंभ 29 मई को झाँसी जिले के ग्राम बिरगुवां में कुलपति डॉ. अशोक कुमार सिंह ने प्रारम्भ किया। एक अन्य प्रमुख कार्यक्रम जलौन जिले के हरदुआ गाँव में भी कुलपति की उपस्थिति में संपन्न हुआ।
डॉ. सिंह ने बताया कि 11 जून 2025 को विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित विशेष कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही ने किसानों को बीज किट का वितरण किया। इस अवसर पर कृषि वैज्ञानिकों ने खरीफ मौसम में फसलों, सब्जियों, फल, पशुपालन और मत्स्य पालन से जुड़ी सुधारित तकनीकों, सही बोवाई समय, बीज दर, जल प्रबंधन, खरपतवार नियंत्रण व कीट एवं रोग प्रबंधन पर चर्चा की। सॉयल हेल्थ कार्ड, उचित उर्वरक
उपयोग, सरकारी योजनाओं जैसे पीएम-कुसुम, प्राकृतिक खेती मिशन, कृषि यंत्रीकरण योजना, एग्रीज आदि पर भी किसानों को जानकारी दी गई।
किसानों को प्रमुख नवाचारों की जानकारी दी गई इसमें
मशीन से मूँग की कटाई, विशेष रूप से मटर फसल के बाद मूँग की खेती, मात्र एक सिंचाई में मूँग की सफल खेती, तुलसी की खेती दृ 1100 किसान, एफपीओ के माध्यम से, पतंजलि व ऑर्गेनिक इंडिया से जुड़ाव, संरक्षित खेती (संरक्षित बागवानी) से युवा आकर्षित, मशरूम उत्पादन दृ शहरी युवाओं के लिए लाभकारी व्यवसाय, ड्रैगन फ्रूट एवं स्ट्रॉबेरी की खेती दृ नवाचार एवं आय का साधन, श्री अन्न (मिलेट्स) का क्षेत्र बढ़ा, प्राकृतिक खेती के प्रति किसानों की रुचि,
नीतिगत सुझाव एवं चुनौतियाँ
कार्यक्रम के दौरान कई नीतिगत मुद्दों और स्थानीय समस्याओं को भी चिन्हित किया गया, गांवों में सामुदायिक तालाब व मत्स्य पालन की व्यवस्था, समय पर छच्ज्ञ उर्वरक की आपूर्ति,
नहरों में जल आपूर्ति की नियमितता, कोल्ड स्टोरेज एवं बीज भंडारण केंद्रों की स्थापना, अन्ना प्रथा से निपटने की नीति की आवश्यकता, ज्ञान व कौशल की कमी के क्षेत्र, मूंगफली में गुणवत्तापूर्ण बीज की कमी, पुरानी किस्मों का लगातार उपयोग, सितंबर की बारिश से उड़द की हानि, नई किस्मों की आवश्यकता, तिल व अरहर के लिए उन्नत कृषि तकनीकों का अभाव, मिट्टी प्रबंधन, संतुलित उर्वरक उपयोग, पशु आहार प्रबंधन, और टीकाकरण अभियान की जरूरत, यह अभियान किसानों को वैज्ञानिक तकनीकों से जोड़ने, जमीनी नवाचारों को समझने तथा भविष्य की कृषि योजनाओं के लिए उपयोगी जानकारी एकत्रित करने में सहायक सिद्ध हुआ।
रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा


