Home उत्तर प्रदेश श्री अन्न को फसल प्रणाली में लाना है और प्रकृति एवं मृदा...

श्री अन्न को फसल प्रणाली में लाना है और प्रकृति एवं मृदा का स्वास्थ्य बढ़ाना है

24
0

झांसी। पौष्टिक और सतत खाद्य स्रोत को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है, जो देश में श्री अन्न उत्पादन और खपत को बढ़ाने के राष्ट्रीय प्रयासों के अनुरूप है। रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (आरएलबीसीईयू), आरआरए नेटवर्क, हैदराबाद के सहयोग से बुन्देलखण्ड में श्री अन्न पुनरुद्धार और मूल संवर्धन हेतु क्षमता निर्माण पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में देश के विभिन्न हिस्सों से विशेषज्ञों एवं 250 किसानो ने भाग लिया I बुन्देलखण्ड क्षेत्र में किसानों को श्री अन्न उत्पादन के आधुनिक तकनीकों से जोड़ना, जलवायु अनुकूल कृषि को प्रोत्साहित करना और श्री अन्न आधारित सतत आजीविका को सुदृढ़ बनाना है। श्री अन्न न केवल सूखा-प्रतिरोधी फसल है, बल्कि पोषण सुरक्षा और जैव विविधता के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसी को ध्यान में रखते हुए कृषि विशेषज्ञों, सरकारी एजेंसियों और स्थानीय समुदायों के सहयोग से बुन्देलखण्ड में श्री अन्न पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्जीवित करने की योजना बनाई गई है।संवर्धन एवं पुनरुद्धार के लिए प्रमुख पहल:• किसानों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम: जैविक खेती, सूक्ष्म सिंचाई तकनीक और श्री अन्न आधारित फसल चक्र पर कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी।• श्री अन्न बीज बैंक की स्थापना: स्थानीय किस्मों के संरक्षण और बेहतर गुणवत्ता के बीज उपलब्ध कराने के लिए बीज बैंक विकसित किए जाएंगे।• श्री अन्न से जोड़ने के प्रयास: किसानों को स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर श्री अन्न उत्पादों की बिक्री के लिए मंच उपलब्ध कराया जाएगा।• महिलाओं और स्वयं सहायता समूहों की भागीदारी: श्री अन्न आधारित उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए महिला किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा।• सरकारी एवं गैर-सरकारी सहयोग: कृषि विभाग, अनुसंधान संस्थानों और सामाजिक संगठनों के संयुक्त प्रयासों से श्री अन्न उत्पादन को प्रोत्साहित किया जाएगा।यह पहल बुन्देलखण्ड क्षेत्र में जलवायु-स्मार्ट खेती को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करेगी। श्री अन्न के पुनरुद्धार से खाद्य सुरक्षा, पोषण और आजीविका में सुधार होने की उम्मीद है, जिससे यह क्षेत्र कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ सकेगा। प्रशिक्षण के संरक्षक डॉ. ए. के. सिंह (कुलपति), अध्यक्ष डॉ. अनिल कुमार (निदेशक शिक्षा) एवं सह-अध्यक्ष डॉ. डॉ ए के रॉय, डा अमित कुमार सिंह थे। प्रशिक्षण का आयोजन डॉ. बी.बी. शर्मा, डॉ. श्रीधर पाटिल, डॉ हर्षा टी हेगड़े, डॉ जे के तिवारी डॉ. अर्तिका सिंह एवं डॉ. मनोज कुमार सिंह द्वारा किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में निदेशक शिक्षा डा अनिल कुमार ने किसानो को मोटे अनाज के उगाने एवं इसके व्यवसाइक लाभ के बारे में जानकारी दी । कायर्क्रम संचालन डॉ अर्तिका सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन डा मनोज कुमार सिंह ने किया।

रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here