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दाऊ है आरटीओ विभाग का कमाऊ पूत, मचा रखा भ्रष्टाचार अवैध वसूली एंट्री के नाम पर सरकार को लगा रहे प्रतिदिन लाखो के राजस्व का चूना

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गुरुवार को दलाल दाऊ दस गाड़ियों की एंट्री फीस के नाम पर गाड़ी मालिक से साठ हजार की रकम लेकर गिनता हुआ

झांसी। योगी सरकार लगातार भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए अधिकारियों और विभागों पर नकेल कसे हुए है। उसके बाद भी खुद को पाक साफ कहने वाला आरटीओ विभाग भ्रष्टाचार की चादर ओढ़ कर घी पी रहा है। इस भ्रष्टाचार की जड़ आरटीओ कार्यालय के बाहर डेरा जमाए दलालों में से एक दलाल दाऊ है। दाऊ और आरटीओ विभाग एक सिंडीकेट बनाकर ओवर लोडिंग, चेकिंग के नाम पर डंफर चालकों का जमकर उत्पीड़न कर एंट्री न कराने पर कही गाड़ी सीज तो कही गाड़ी की कीमत से ज्यादा चालान कर देते है। मजबूरी में उत्पीड़न और भारी भरकम चालान से बचने के लिए डंफर, ट्रक चालक आरटीओ विभाग के सिंडीकेट के माफिया दलाल दाऊ से मिलकर गाड़ी की एंट्री करानी पड़ती है। आरटीओ विभाग और इस दलाल के सिंडीकेट का एक गाड़ियों की एंट्री फीस के नाम पर मोटी रकम लेते हुए वीडियो भी बनाया गया है। अगर योगी सरकार को इस भ्रष्टाचार का दलाल दाऊ और आरटीओ का सिंडीकेट तोड़ना है, तो इनकी मोबाइल की सीडीआर और कॉल्स डिटेल ही पर्याप्त है। इनकी भ्रष्टाचार की पोल खोलने के लिए। वाहनों की एंट्री फीस के नाम पर लाखों रूपयो के राजस्व का सरकार को लगा रहे प्रतिदिन लाखो के राजस्व का चूना। अपनी जेब भरने में लगे आरटीओ विभाग के भ्रष्ट अधिकारी और दलाल। जानकारी के मुताबिक बालू, मिट्टी डस्ट लेकर चलने वाले डमफर ओर ट्रक की एंट्री के नाम पर आरटीओ कार्यालय द्वारा जमकर लूट खसोट की जा रही है। प्रति डम्फर, ट्रक से 6 हजार से 8 हजार रुपया एंट्री फीस ली जाती है। योगी सरकार के सख्त रवैया के चलते इस एंट्री के खेल में एक चर्चित दलाल दाऊ को शामिल कर एक सिंडीकेट बनाया है। जिसमे यह दाऊ आरटीओ कार्यालय के बाहर खड़ा होकर आरटीओ कार्यालय से जुड़े सारे कार्य करता है, साथ ही प्रवर्तन दल के लिए डंफर ट्रक गाड़ियों की एंट्री फीस के तौर पर मोटी रकम भी यही लेता है, यही दलाल दाऊ जिन गाड़ियों की एंट्री हो जाती है, उनके नंबर और भ्रष्टाचार की कमाई आरटीओ कार्यालय को सौंपता है। एंट्री होने के बाद ओवर लोड, अवैध डंफर ट्रक सड़कों पर बेखौफ दिन रात भागते नजर आते है। जो गाड़ियों की एंट्री नही होती या दाऊ से नही मिलते उन गाड़ियों को चलने नही दिया जाता या फिर चलने पर मोटी रकम का चालान किया जाता है।

रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा

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