Home उत्तर प्रदेश पाला एवं शीतलहर से फसलों का बचाव करें

पाला एवं शीतलहर से फसलों का बचाव करें

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झांसी। जिला कृषि रक्षा अधिकारी के0के0 सिंह द्वारा अवगत कराया गया है कि फसलों में फूल आने एवं बालिया / फलिया आने व उनके विकसित होते समय पाला पडने की सर्वाधिक सम्भावनाएँ रहती है। पाले के प्रभाव से पौधों की पत्तियां व फूल झुलसे दिखाई देते है जो बाद में झड़ जाते है। या अघ पके फल सिकुड़ जाते हैं। फलियों एवं बालियों में दाने नहीं बनते या दाने कम भार के पतले हो जाते है। अतः इस समय कृषकों को सतर्क रहकर फसलों की सुरक्षा के उपाय अपनाने चाहिए। साधारणतः पाला गिरने का अनुमान इनके वातावरण से लगाया जा सकता है। सर्दी के दिनों में जिस रोज दोपहर से पहले ठण्डी हवा चलती रहे एवं दोपहर के बाद अचानक हवा चलना बन्द हो जाये तथा आसमान साफ रहे या उस दिन आधी रात से ही हवा रूक जाये तो पाला पडने की सम्भावना अधिक रहती है रात को विशेषकर तीसरे व चौथे पहर में पाला पडने की सम्भावना अधिक रहती है। शीतलहर एवं पाले से फसल की सुरक्षा हेतु कृषकों को खेतों में हल्की सिंचाई देनी चाहिए। जिससे तापमान की बढ़ोत्तरी हो जाती है। कृषक अपने खेतों में मेंडों के पास धुंआ करके फसलों का बचाव कर सकते है। इससे तापमान जमाव बिन्दु के नीचे नहीं गिर पाता और पाले से होने वाली हानि से बचा जा सकता है। रासायनिक उपचार के रूप में कृषक 1 ली० गन्धक के तेजाब को 1000 ली० पानी में घेलकर 1 है० क्षेत्र में स्प्रेयर से छिडकें। इसका असर 2 सप्ताह तक रहता है। या सल्फर 80 प्रतिशत wdg पाउडर को 3 किग्रा0 1 है0 में छिडकाव करने के बाद में हल्की सिचाई करें। दीर्घ कालीन उपाय- फसलों को बचाने के लिये खेत के उत्तरी पश्चिमी मेंडों तथा बीच बीच में वायु अवरोधक पेड जैसे- शहतूत, शीशम, खेजडी, जामुन आदि लगा दिये जाये तो पाले एवं ठण्डी हवा से फसल का बचाव हो सकता है।किसी भी प्रकार की कीट / रोग से सम्बन्धित समस्या के निदान हेतु सहभागी फसल निगरानी एवं निदान प्रणाली में समस्या हेतु Whatsapp No 9452247111 9452257111 पर कीट / रोग से सम्बन्धित SMS भेजे जिससे 48 घन्टे के अन्दर कृषक की समस्या का समाधान किया जा सके एव कृषक द्वारा किये जा रहे श्रम एंव लागत का शत प्रतिशत लाभ प्राप्त हो सके।

रिपोर्ट – राहुल कोष्टा

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