
झाँसी। रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी के पुष्प वैज्ञानिकों के अनुसार जुलाई-अगस्त का महीना गेंदा फूल की नर्सरी तैयार करने का होता है। डॉ प्रियंका शर्मा और डॉ गौरव शर्मा ने सलाह दी है कि गेंदे के लिए अभी सर्वोत्तम समय है। गेंदे के फूल की मांग वर्ष भर रहती है।
उपयुक्त स्थान का चयनः नर्सरी के लिए ऐसा स्थान चुनें जो छायादार हो तथा जहाँ जल जमाव न हो। अच्छी जल निकासी पौधों को फफूंद व सड़न रोगों से बचाती है।
क्यारियों की तैयारीः भूमि को समतल करके 1 मीटर चौड़ी, 15-20 सेमी ऊँची एवं आवश्यकतानुसार लंबी क्यारियाँ बनाएं। प्रति वर्ग मीटर 5-10 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर खाद अच्छी तरह मिट्टी में मिलाएं। यदि मिट्टी भारी या गीली हो तो उसमें बराबर मात्रा में रेत, गोबर खाद व मिट्टी मिलाकर भुरभुरा बनाएं।
बीज की मात्रा और बुवाई विधिः उन्नत किस्मों के लिए 1-1.5 किग्रा बीज प्रति हेक्टेयर एवं संकर किस्मों के लिए 700-800 ग्राम बीज पर्याप्त होते हैं। बीजों को 0.5 सेमी गहराई और 5 सेमी अंतराल पर बोयें। बीज बुवाई के बाद उन्हें तैयार मिश्रण से ढक दें।
पौधरोपण का उपयुक्त समयः बीज बोने के लगभग एक महीने बाद, जब पौधों में चार पत्तियाँ निकल आएं, तब उन्हें खेत में रोपित करें। पौधरोपण के करीब दो महीने बाद फूल आना प्रारंभ हो जाता है। पौधों से पौधों की दूरी 25-30 सेंटीमीटर पर लगाने से बढ़वार अच्छी होती है।
वैज्ञानिकों का सुझाव है कि बरसात के मौसम में समय पर नर्सरी तैयार कर, किसान त्योहारी मांग के अनुसार गुणवत्तापूर्ण फूल उगा सकते हैं। यह न सिर्फ लागत में बचत करता है बल्कि उत्पादन और आमदनी दोनों को बढ़ाता है। गेंदे की खेती में समयबद्धता और तकनीकी विधियों का पालन ही सफलता की कुंजी है। एक एकड़ खेत से 80-100 कुन्तल गेंदे के जीबी फूल प्राप्त हो सकते हैं। प्रति एकड़ रूपये 40 – 45 हजार लागत आती है और औसत शुद्ध मुनाफा रूपये 1,40,000 तक प्राप्त किया जा सकता है।
रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा


