झांसी। “निराला ने प्रकृति पर इतना साहित्य लिख दिया, की प्रकृति के सबसे सुंदर दिन बसंत पंचमी को ही उनकी जयंती के रूप में मनाया जाता है” उक्त वक्तव्य बुंदेलखंड विश्वविद्यालय की कला संकाय के डीन और हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. मुन्ना तिवारी ने अपने संबोधन के दौरान कही. वह हिंदी विभाग में निराला जयंती और बसंत पंचमी के अवसर पर आयोजित एकदिवसीय संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि निराला ने प्रकृति और प्रेम को अपनी कविताओं की केंद्र में रखा. उनकी अधिकतर कविताएं प्रेम को सींचने, बढ़ावा देने और उसे पोषित करने की बात कहती थी. सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ मां सरस्वती के परम उपासक थे. निराला पर मां सरस्वती की ऐसी कृपा हुई की हर वर्ष बसंत पंचमी के दिन ही उनकी जयंती मनाई जाती है. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद साहित्यकार मुंशी अजमेरी के पुत्र पंडित सुधाकर शर्मा ने कहा कि निराला की कविताएं हर युग में प्रासंगिक रहेंगी. उन्होंने कहा कि निराला की कविताएं हमें प्रकृति से प्रेम करना सिखाती हैं. कार्यक्रम में प्रो मुन्ना तिवारी, डॉ श्रीहरि त्रिपाठी नवीन चंद पटेल, डॉ प्रेमलता श्रीवास्तव, द्युति मालिनी, डॉ सुधा दीक्षित, डॉ शैलेंद्र तिवारी, आकांक्षा सिंह सहित अनेक विद्यार्थी मौजूद रहे।
रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा






