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इस्लाम धर्म के प्रवर्तक (पैगम्बर) हजरत मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन व हसन द्वारा हक व सच्चाई की लड़ाई लड़ते हुये मुहर्रम

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झाँसी। इस्लाम धर्म के प्रवर्तक (पैगम्बर) हजरत मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन व हसन द्वारा हक व सच्चाई की लड़ाई लड़ते हुये मुहर्रम की 10 तारीख को कर्बला में शहीद हो जाने पर उनकी शहादत की याद में हिन्दु मुस्लिम एकता की मिसाल कायम करने वाले महानगर के ऐतिहासिक जुलूस की शुरूआत गंदीगर टपरा से हुई।प्रातः काल से ही ताजिये, बुर्राक, अखाड़े, घोड़ा, मस्जिद आदि इमारते अपने-अपने स्थानों (इमामबाड़ों) से रवाना हुए जिन्हें गंदीगर टपरे पर ताजिया कमेटी के जिलाध्यक्ष याकूब अहमद मंसूरी (एड) ने मिसिलबद्ध कराया जिन्हें आगे बढ़ाने में ताजिया कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष नूर अहमद मंसूरी, मिसिल व्यस्थापक मंसूर अहमद मंसूरी, वालेंटियर फहीम मकरानी, सलीम माजिद, दिलावर, राशिद वरकाती, जफर, अनवार राईन, शफीक सौदागर, सद्दाम आदि ने सहयोग किया।प्रातः काल जुलूस सर्राफा बाजर, मानिक चौक, सिटी पोस्ट ऑफिस, सिन्धी तिराहाहोता हुआ रानी महल पहुंचा जहाँ विसर्जन उपरान्त समस्त इमारतें, अखाड़ा, ताजिये, बुर्राक आदि अपने-अपने इमामबाड़ों पर वापिस लौट गयीं।सांय काल पुनः ताजिया, बुर्राकें, मस्जिदों, घोडा, अखाड़े आदि गंदीगर टपरा परएकत्र होकर मिसिलबद्ध हुए और सर्राफा बाजार, बजाजा बाजार, मालिनों का चौराहा, बड़ाबाजार होते हुए मुरली मनोहर मंदिर (टंकी) पर पहुंचे जहाँ बुर्राके व अखाड़े मुकाबले के बादअपने-अपने इमामबाड़ों को वापस लौट गये और ताजिये लक्ष्मी तालाब स्थित कर्बला के लिए प्रस्थान कर गये जहाँ फातहा के बाद उन्हें कर्बला में विसर्जित किया गया।जुलूस में सर्वप्रथम हिन्दु मुस्लिम एकता की प्रतीक दयाराम की मस्जिद और इसके पीछेे महारानी लक्ष्मीबाई का ताजिया जिसे शहर कोतवाल तुलसीराम पाण्डेय द्वारा भव्य रूप में सजवाया गया था, चल रहे थे जो हिन्दु मुस्लिम एकता व झाँसी की परम्परा कीजीती जागती मिसाल है।जुलूस मुख्य आकर्षण दयाराम शर्मा की मस्जिद, हाशिम अली व अनीस शाह के राई के ताजिये जुम्मन, आजाद, मकरानी समाज व बिसाती समाज, रंगरेज समाज महबूब धार वाले ,ललई बजीर, कासिम उस्ताद की सोना-चांदी के आभूषणों से सजी बुर्राकें व ललईबजीर बुर्राकें, गोस खां का घोड़ा, करीम बख्श तस्वीर वालों सिराज व बजीर चौधरी के लम्बे चौड़े ताजिये , अब्बासी समाज व शेख अब्बासी के ऊंचे-ऊंचे ताजिये आकर्षण का केन्द्र रहे।ग्वालियर का मशहूर दयाल बैंण्ड, झाँसी का महाराजा बैण्ड, हरी बैण्ड, जिया बैण्ड नज्जू व जिया बैण्ड सब्बीर मंसूरी का आदि मातमी धुनें बजा रहे थे।व्यवस्था में अपर नगर आयुक्त मुहम्मद कमर, नगर मजिस्ट्रेट मयंक श्रीवास्तव,सी० ओ० सिटी राजेश कुमार राय, कोतवाल तुलसीराम पाण्डेय आदि के साथ-साथ मुकेशअग्रवाल, अतुल किलपन, रवीश त्रिपाठी, मोहन नेपाली आदि ने सहयोग किया।अन्त में ताजिया कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष नूर अहमद मंसूरी ने आभार‌ व्यक्त किया।

रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा

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