Home उत्तर प्रदेश नंद घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की : महंत राधामोहन दास

नंद घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की : महंत राधामोहन दास

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झांसी। मंच से मधुर संगीत के साथ बज रही बधाइयां ‘नंद घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की, हाथी दिन्हों, घोड़ा दीन्हों और दीनी पालकी’। नंद यशोदा के घर जन्मे कन्हाई की खुशी में बजती बधाइयां और कृष्ण की भक्ति में सराबोर होकर झूमते नाचते श्रद्धालु ,नर-नारियां, ग्वाल- बाल साथ ही मंदिर की मनोरम छटा सतरंगी पदों से सजाया गया कुंज बिहारी मंदिर का विशाल प्रांगण का वातावरण पूरी तरह कृष्णमय हो गोकुलधाम जैसा बन गया। मौका था सिविल लाइन ग्वालियर रोड स्थित कुंज बिहारी मंदिर में नित्य लीला निकुंज निवासी गुरुदेव भगवान महंत बिहारी दास की सत्प्रेरणा से वर्तमान महंत राधामोहन दास महाराज के गद्दी पर विराजमान महोत्सव के उपलक्ष्य चल रही श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ समारोह का। श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस का प्रसंग सुनाते हुए कथा व्यास महंत राधामोहन दास ने कहा कि बुराइयों से जीवन में कभी समझौता नहीं करना चाहिए वे हमें पतन की ओर ले जाती है सिर्फ बुराइयों के रहते ही मनुष्य राक्षस नहीं बनता बल्कि अच्छाइयों के साथ-साथ हर जगह सफलता का अहंकार भी मानव को दानव बना देता है। उन्होंने कहा कि प्रभु का प्राकट्य संतो की रक्षा, अधर्म का नाश करने एवं राक्षसों का संहार करने के लिए होता है।जब-जब धर्म की हानि होती है तब तक परमात्मा का प्रकट होता है। वे कहते है कि जन्म तो इंसान का होता है भगवान तो अजन्मा है, वह तो कण-कण में विद्यमान है। रामचरित मानस में बाबा तुलसी लिखते हैं ‘हरि व्यापक सर्वत्र समाना, प्रेम से प्रकट होंहि मैं जाना ‘अर्थात् परमात्मा तो सदैव कण-कण में विद्यमान है।इससे पूर्व गजेंद्र मोक्ष, राम जन्म एवं बामन भगवान के अवतार का प्रसंग सुनाते हुए महंत ने कहा कि राजा बलि की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान ने बलि को अखंड भक्ति का वरदान दिया। राजा बलि की आत्म समर्पण भावना देखकर भगवान स्वयं बलि के दरबार में पहरेदार बन जाते हैं। उन्होंने कहा कि नंद यशोदा की भांति हर एक दंपत्ति अपने घर में निष्काम रहते हुए प्रभु की साधना करें तो प्रत्येक घर में भगवान का जन्म अवश्य होगा। मनुष्य की ज्ञान और वैराग्य रूपी दो आंखें हैं जिनके सदुपयोग से मानव जीवन में भक्ति आती है। मानव के हृदय में भक्ति का समावेश होते ही दया प्रेम, करुणा का वाश होता है।जब तक मनुष्य की मन से छल कपट और अहंकार नहीं मिटते तब तक आत्मा का परमात्मा से मिलन संभव नहीं है जब तक जीवन में भक्ति ना जाए तब तक परमात्मा का साक्षात्कार नहीं हो सकता।संचालन करते आचार्य रामलखन उपाध्याय ने पुराण पूजन कराया।प्रारंभ में यजमान श्रीमती सरोज शीतल तिवारी, उर्मिला अनिल तिवारी,संगीता संजीव दुबे, रेशमा राजकुमार सिंह, अनुराधा गोपाल तिवारी, समता राममोहन तिवारी एवं रुचि मयंक अग्रवाल, शैली मृदुल खरे,प्रतिभा आत्मप्रकाश चतुर्वेदी, गीता रमेशचंद्र सोनी दीप्ति अमित माहौर एवं महिला डिग्री कालेज के प्राचार्य डा.वी पी त्रिपाठी ने कथा व्यास का माल्यार्पण करते हुए श्रीमद् भागवत पुराण की आरती उतारी।अंत में पवनदास महाराज ने आभार व्यक्त किया।

रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा

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