झांसी। आजकल की इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में लोग इतना व्यस्त है कि अपनी सुविधा के अनुसार हर क्षेत्र में तरक्की करते जा रहे है। इस भागदौड़ में इंसान यह भूल जाते हैं की जिस क्षेत्र में वह सफल हो रहे उस से क्या फायदे है और क्या नुकसान है। आपको बता दें आज के लोग प्लास्टिक के बने समान का अधिक इस्तेमाल करते है, जो आमतौर पर सस्ता और दिखने में सुंदर लगता है। लेकिन इसके बहुत से नुकसान है। प्लास्टिक पर्यावरण प्रदूषण के बड़े कारणों में से एक हैं। पॉलीथीन व प्लास्टिक एक ऐसी वस्तु है जिसे हम नष्ट नही कर सकते। इसलिए हमें प्रति दिन इस विषय में अवश्य विचार करना होगा कि प्लास्टिक के प्रयोग को हम कैसे अपने आम जीवन से मुक्त करें। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि छोटे-छोटे गांवों से लेकर महानगरों तक आज पॉलिथीन अपना दुष्प्रभाव फैला रहा है। पॉलिथीन एंव प्लास्टिक के कचरे को नष्ट करना सरकार के लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य बनकर खड़ा हो गया है। प्लास्टिक/ पॉलिथीन हर जगह अपना कहर ढा रही है और यह सब प्लास्टिक के बढ़ते उपयोग की वजह से हो रहा है। प्लास्टिक व पॉलीथिन को अगर हम मिट्टी में या पौधों के आसपास दबा देते हैं तो वह पौधों को नष्ट कर देती है और प्लास्टिक पॉलीथिन को जलाने से जो प्रदूषण होता है, वह हमारी सेहत के लिए बहुत हानिकारक होता है। उससे हमें सांस लेने में भी दिक्कत आ सकती है इसलिए प्लास्टिक व पॉलीथिन एक ऐसी वस्तु है जिस को 100 वर्ष तक नष्ट नहीं किया जा सकता। इसलिए हम सभी को प्लास्टिक से बने सामान का इस्तेमाल नहीं करने का संकल्प लेना चाहिए। प्रभागीय वनाधिकारी जी0बी0 शेंडे ने कहा कि पुरातन समय में प्लास्टिक पॉलीथिन का उपयोग नहीं होता था। हमारी भारतीय संस्कृति में कपड़े के बने बैग/थैला का प्रयोग किया जाता था। कोई भी महिला या पुरुष घर से बाहर जाते थे, तो घर का ही बनाया हुआ बैग/थैला लेकर जाते थे और उसमें ही अपना राशन या अन्य सामान लेकर आते थे। लेकिन आज लोग समय के बदलाव के साथ लोग पश्चिमी सभ्यता को अपनाकर अपनी भारतीय संस्कृति को भूलते जा रहे हैं कपड़े में जूट के बैग की जगह आजकल प्लास्टिक के बैग का इस्तेमाल करने लगे हैं जो बहुत ही नुकसानदायक है। उन्होंने उपस्थित बच्चों से कहा कि प्लास्टिक के बने सामान का इस्तेमाल करने के बहुत से नुकसान है। प्लास्टिक का इस्तेमाल करने से जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण और भूमि प्रदूषण होता है। इसके साथ ही बहुत से नुकसान होते है,इसलिए प्लास्टिक व पॉलीथिन का कभी भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक का उपयोग करने के बाद हम उसे फेंक देते हैं और वह प्लास्टिक कोई जीव-जंतु या फिर पशु खा लेते है। अगर पशु उस पॉलीथिन को खा लेते है, तो वह उसकी आंत में फंस जाता है। जिससे उनकी मृत्यु हो जाती है। एक तरफ तो हम नारा देते हैं कि गाय हमारी माता है और दूसरी तरफ हम खुद ही उनकी मृत्यु का कारण बन रहे हैं। अगर प्लास्टिक पॉलीथिन को हम मिट्टी में दबा देते हैं, तो यह इतनी खतरनाक होती है कि मिट्टी में यह वैसे की वैसे ही रहती है व गलती नहीं है और हमारे वातावरण को प्रदूषित करती रहती है। प्लास्टिक अलग-अलग एरिया को प्रभावित करती है जोकि इस धरती पर रहने वाले प्राणी व जीव जंतु के लिए बहुत खतरनाक साबित हो सकती है | उन्होंने प्लास्टिक प्रदूषण की जानकारी देते हुए बताया कि अगर हम पॉलीथिन का उपयोग करके उसे फेंक देते हैं और वह पॉलिथीन वहां पर लगे हुए किसी पौधे की जड़ में आ जाए तो उसे नष्ट कर देती है। इतना ही नहीं खेतों में पॉलिथीन के रहने से पौधे की जड़ जमीन के अंदर तक नहीं जा सकती। जिससे मिट्टी के कणों के अंदर हवा नहीं जा सकती। प्लास्टिक पॉलीथिन गलती नहीं है, बल्कि अपना विषैला तत्व जमीन में छोड़ देती है। जो कि हमारे जमीनी मिट्टी और पेड़ पौधों को प्रभावित करते रहते हैं व इसके कारण भूमि प्रदूषण होता है। उन्होंने बताया कि प्लास्टिक/पॉलीथिन व प्लास्टिक से बने उत्पाद अगर हम खुले में जला देते हैं। तो यह वायु प्रदूषण का कारण बनता है। वहीं अगर प्लास्टिक व पॉलिथीन नाली व पानी में चला जाता है तो यह जल को प्रदूषित करता है। इसके साथ ही प्लास्टिक व पॉलीथिन के खतरनाक कैमिकल पानी में घुल जाते हैं, अगर इस में आग लगा दी जाती है तो वह महीनों तक हमारे वातावरण को प्रदूषित करती रहती है। उन्होंने उपस्थित बच्चों से कहा कि आज हम भी यह प्रण लें कि पॉलीथीन/प्लास्टिक का उपयोग पूर्ण रूप से बंद करके अनजाने में होने वाले महापाप नहीं करेंगे व कपड़े और जूट के बने बैग का इस्तेमाल करेंगे। इस अवसर पर प्रधानाचार्य नितिन विलियम्स, क्षेत्रीय वनधिकारी आर एन यादव, उपक्षेत्रीय वनधिकारी तेज प्रताप सिंह, आयुष रविंद्र भारती, डी पीओ जिला गंगा समिति वनदरोगा अमित शर्मा, लक्ष्मण यादव, पुष्पेन्द्र सश्री मनिषा सहित बड़ी संख्या में स्कूली छात्र छात्राएं व अन्य वन कर्मी उपस्थित रहे।
रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा






