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प्रतिमा है तो क्या झांसी वासियों की जानवसी है इनमें, मुख्यमंत्री के आगमन को लेकर शहर भर में चकाचौंध, लेकिन रानी की प्रतिमा पर मधु मक्खियों का झुंड

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झांसी। चमक उठी सन 57 में वो तलवार पुरानी थी। बूढ़े भारत में भी आई फिर से नई जवानी थी। बुंदेले हर बोलो के मुंह हमने सुनी कहानी थी खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी। यह कविता कक्षा तीन की किताबों में भी खूब पढ़ी जाती है, ओर देश भर में रानी के जौहर की सराहना होती है। इसी कविता को पढ़कर आज की युवा पीढ़ी को झांसी के इतिहास के बारे में जानकारी मिलती है। लोग देश विदेश से रानी लक्ष्मी बाई की नगरी झांसी को देखने आते है। अंग्रेजों से झांसी को आजादी दिलाने वाले ओर अपने प्राणों की आहुति देने वाली रानी लक्ष्मी बाई के नाम से रानी लक्ष्मी बाई पार्क बना हुआ है। इस पार्क में रानी लक्ष्मी बाई की विशाल प्रतिमा लगी हुई है। लेकिन यहां देख रख करने वालों की गर्दन प्रतिमा के रख रखाव पर नहीं पहुंचती। केवल पार्क में हरे परे पेड़ और फूल पत्तियों तथा लाइट तक ही पहुंचती है। जिस पर इन्हीं चीजों पर ध्यान लगाया जाता है। लेकिन जिसने झांसी को बचाने के लिए झांसी वासियों को आजादी दिलाने के लिए अपने प्राण बलिदान कर दिए उसकी प्रतिमा पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। अभी हाल ही में प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री जी का झांसी आगमन तय हुआ है। जिसको लेकर पूरे शहर में चका चक साफ सफाई व्यवस्था कराई जा रही है। लेकिन लक्ष्मी बाई पार्क में लगी रानी की प्रतिमा पर मधु मक्खियों का झुंड लगा हुआ है। उनका चेहरा पूरी तरह से मधु मक्खियों ने छिपा दिया। इस ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। यह रानी लक्ष्मी बाई की प्रतिमा जरूर है लेकिन इनमें झांसी वासियों के प्राण बसते है।

रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा

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