
झांसी। जहाँ एक और अपने मा बाप को अलग होता देखकर एक मासूम के मन ने शायद यही कहा होगा “अपने माँ बाप से होकर जुदा कहाँ जाऊ, तुम्ही बताओ मै जिंदा रहूं या मर जाऊ” वहीं लोगों का कहना शायद यही था “बोलता है झूठ वो हर बार बोलो क्या करोगे, कर रहा है प्यार का व्यापार बोलो क्या करोगे, यूं जरा सी बात पर घर छोड़ कर मत जाइए टूट जाएगा अगर परिवार बोलो क्या करोगो, यही मार्मिक दृश्य आज शहर कोतवाली थाने में उस समय देखने को मिला जब एक दंपत्ति एक साथ रहने के लिए राजी नहीं हुए वही उनका बच्चा माता पिता के अलग होने की बात सुनकर विलख कर मायूस सिसकियां भर रहा था। तभी वहां जनसुनवाई कर रही महिला सीओ की नजर उस मासूम पर पड़ी और उन्होंने उसे अपने पास बुलाकर मां के प्यार का एहसास दिलाते हुए गले से लगा लिया। खाकी में मां की ममता भरा यह मार्मिक दृश्य देख मन अचंभित हो उठा और खाकी की आलोचना करने वालों के मुंह पर यह मार्मिक दृश्य किसी तमाचे से कम नही था। लेकिन इसके बावजूद बच्चों का बटवारा कर रहे पति पत्नी का दिल नहीं पसीजा।मामला गुरुवार की दोपहर थाना शहर कोतवाली में प्रशिक्षण प्राप्त कर रही महिला सीओ स्वेता कुमारी शहर कोतवाली थाना में फरियाद सुन रही थी। इसी बीच नई बस्ती निवासी पति पत्नी थाना पहुंचे और बताया की वह दोनो एक साथ नहीं रह सकते उन्हे एक दूसरे से तलाक चाइए क्योंकि दोनो को एक दूसरे पर शक है। पहले तो महिला सीओ ने दोनो की बात गंभीरता से सुनी और दोनो को काफी समझाने का प्रयास किया उन्हे उनके बच्चों के भविष्य का हवाला दिया। लेकिन दोनो मानने को तैयार नहीं थे। वह दोनो इस पर राजी हुए की वह तलाक की प्रक्रिया कोर्ट से करेंगे। वही वह दोनो अपने साथ बच्चे रखने को तैयार नहीं हुए। किसी प्रकार दोनो में सहमति बनी की पुत्र को पति रखेगा और पुत्री को पत्नी। जब दोनो यह बटवारा कर रहे थे तो इसे देख सात वर्षीय मासूम जिसे मायूस होकर सिसकियां भरने लगा। लेकिन दोनो पति पत्नी को अपने बच्चे की सिसकियां सुनाई नही दी। इधर खाकी पहने महिला सीओ स्वेता कुमारी ने मासूम की सिसकियां सुन उसे अपने पास बुलाया और गले से लगा लिया। खाकी में मां का प्यार देख बच्चा लिपट गया जैसे मानो उसे कभी मां का प्यार न मिला हो। फिलहाल खाकी में मां का प्यार इस मार्मिक दृश्य को देख सभी की आंखे खुशी से भर आई। फिलहाल महिला सीओ पति पत्नी को आपसी सुलह के लिए काफी देर तक समझाती रही।
रिपोर्ट – मुकेश वर्मा/राहुल कोष्टा






